रूस ने Corona vaccine बना तो ली मगर अभी भी कुछ झोल हैं!
कोरोना वायरस (Coronavirus) की वैक्सीन (Vaccine) का इंतजार सबको है. रूस का दावा है कि उसने वह वैक्सीन बना ली है मगर लोगों को सुकून क्यों नहीं मिला और रूस (Russia) का दावा कितना सच है इसकी जानकारी होनी भी जरूरी है.
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डान का इंतजार तो महज 11 मुल्कों की पुलिस को था लेकिन कोरोना की वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) का इंतजार पूरी दुनिया कर रही है. हर कोई देश चाहता है कि वह जादुई तरीके से ही सही लेकिन कोरोना की वैक्सीन ज़रूर बना ले. पूरी दुनिया ने इस वायरस के सामने घुटने टेक दिए है. इस वायरस ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था (Economy) को हिला कर रख दिया है इसका आंतक लगातार बढ़ता जा रहा है. दुनिया भर के करीब दर्जनों देश इस वायरस की वैक्सीन बनाने में जुटे हुए हैं. ऐसे समय में एक खबर रूस (Russia) से आयी, जिसने दावा कर दिया की उसने इस वायरस के लिए वैक्सीन तैयार कर दी है. लेकिन जिस तरह से इसकी खुशी में लोगों को झूम उठना चाहिए था वैसा कुछ भी नहीं हुआ. जिस वैक्सीन का इंतजार इतनी शिद्दत से हो, उस वैक्सीन के बन जाने की खबर ने लोगों के चेहरे पर राहत क्यों नहीं दी यह हैरान कर देने वाला है.
रूस ने कोरोना की दवा तो बना ली है मगर अब भी बहुत चुनौतियां हैं
आखिर क्यों लोगों को यकीन नहीं हो रहा है कि यह वैक्सीन वही वैक्सीन है जिसका हमें इंतजार था. इस वैक्सीन के हम तक पहुंचने में अब क्या झोल है, यह वैक्सीन हम तक कब और कैसे आएगी ये सवाल सभी के दिमाग में दिन-रात घूम रहा है. इसी को समझते हैं कि आखिर अब क्या मामला रह गया है.
रूस का एक शहर है जहां एक यूनिवर्सिटी है सेचेनोव यूनिवर्सिटी. उसने हाल ही में दावा किया है कि उसने कोरोना की वैक्सीन तैयार कर ली है और इसका ट्रायल सफल रहा है. यह इंसानों पर पूरी तरह से सुरक्षित है, वैज्ञानिकों ने यह भी दावा किया है कि ट्रायल तीनों फेस में कामयाब रहा है. जबकि दुनिया के अधिकतर देश अभी फेस-1 या फेस-2 में ही अटके हुए हैं.
अब रूस के दावे पर करीब से नजर डालते हैं. इस वैक्सीन के मुख्य शोधकर्ता का दावा है कि वैक्सीन के सभी ह्यूमन ट्रायल पूरे हो चुके हैं, लेकिन सबसे बड़ा झोल यहीं पर है, रूसी वैज्ञानिकों ने ट्रायल के दौरान केवल 40 वॉलेंटियरों को ही शामिल किया था. जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, फेस-2 में कम से कम 100 और फेस-3 में हजार वॉलेंटियर्स का शामिल होना जरूरी है.
जबकि रूस ने केवल 40 इंसानों पर ही परीक्षण करने का दावा किया है यानी अभी उसे कम से कम हजार लोगों पर परीक्षण जल्द से जल्द करना होगा उसके बाद ही इसे पूरी तरह से सुरक्षित माना जा सकेगा.एक सबसे बड़ा झोल और है, रूस ने दावा किया है कि उसने इंसानों पर इस वैक्सीन का परीक्षण 18 जून से शुरू किया था.
अब एक महीने के भीतर ही रूस ने इसे सुरक्षित घोषित कर दिया है. जबकि अभी तक किसी भी बीमारी या वायरस के लिए इतनी जल्द न तो कोई दवाई बन सकी है और न ही कोई वैक्सीन. रूस लाख दावा करे कि उसकी वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन क्या इतनी जल्द इस वैक्सीन को मंजूरी दे देगा?
रूसी वैज्ञानिक दावा कर रहे हैं कि वह अगस्त में ही इस वैक्सीन को मरीजों के लिए उपलब्ध करा देंगें और सितंबर महीने से इसका निर्माण बड़ी संख्या में शुरू कर देंगें. हालांकि जानकारों का कहना है कि अगस्त महीने से जो वैक्सीन मरीजों को दी जाएगी वही फेस-3 का ट्रायल होगा जिसे वैज्ञानिक बड़े स्तर पर करेंगें और सफल होने के बाद ही इसका निर्माण तेजी से करना शुरू कर देंगें.
रूसी वैज्ञानिकों ने कहा है कि यह वैक्सीन भी अन्य वैक्सीन जितनी ही कारगर है और इसके नतीजे भी किसी अन्य वैक्सीनों के जैसे ही हैं. रूस में 50 से अधिक वैक्सीनों पर तेजी से काम चल रहा है, जिसमें अभी तक बाजी सेचेनोव यूनिवर्सिटी ने ही मारी है. अब सवाल उठता है कि आखिर सबकुछ ठीक रहा तो वैक्सीन कब तक बाजार में उपलब्ध हो जाएगी?
वैक्सीन का फेस-3 का ट्रायल बहुत तेजी के साथ किया जाएगा. और उसी के नतीजे देखते हुए इस वैक्सीन का निर्माण भी बहुत तेजी के साथ होगा. इसमें 2-3 महीने का समय तो लग ही सकता है. लेकिन सबसे बड़ा पेंच होगा इसकी मंजूरी का. जितनी तेजी के साथ वैज्ञानिक इसका ट्रायल कर रहे हैं उसको देखते हुए इसके मंजूरी में भी थोड़ा वक्त लग सकता है. फिर भी एक अंदाज के मुताबिक यह कहा जा सकता है कि इस वैक्सीन को बाजार में आने तक 6 महीने तो लगेगें ही.
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