कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद भी क्या खतरा है? ऐसे ही 7 जरूरी सवालों के जवाब
वैक्सीन लेने के बाद क्या आप कोरोना संक्रमित हो सकते हैं? अगर आप संक्रमित होते हैं तो आपको क्या करना चाहिए? टीका लेने के बाद किस तरह की सावधानी बरतनी चाहिए? एक्सपर्ट्स के जरिए जरूरी सवाल और उनके जवाब.
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भारत में कोविड-19 के लिए टीकाकरण अभियान तेज होने के साथ एक बात खूब सुनने में आ रही है. यह कि वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बावजूद कुछ लोगों की टेस्ट पॉजिटिव आई है. ऐसे मामलों को "ब्रेकथ्रू" इन्फेक्शन कहा जाता है. इसे लेकर ज्यादा परेशान होने की कोई वजह नहीं है. दरअसल, ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन के मामले बहुत ही मामूली हैं, यहां तक कि जिन्हें संक्रमण हुआ उनमें भी कोविड-19 के मामूली गंभीर लक्षण दिखे हैं. एक्सपर्ट्स का भी कहना है कि इसमें कोविड-19 की वैक्सीन से जुड़ी कोई गड़बड़ नहीं है.
वैक्सीन लेने के बाद क्या आप कोरोना संक्रमित हो सकते हैं? अगर आप संक्रमित होते हैं तो आपको क्या करना चाहिए? टीका लेने के बाद किस तरह की सावधानी बरतनी चाहिए? इस तरह के कई सवाल लोगों के मन में आ रहे हैं. आइए एक्सपर्ट्स के जरिए ऐसे ही जरूरी सवाल और उनके जवाब जानते हैं.
1) ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन क्या हैं? ये रीइन्फेक्शन से कैसे अलग है?
इसे ऐसे समझें कि अगर कोई व्यक्ति सभी डोज लेने के बावजूद कोविड-19 से संक्रमित होता है तो ये ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन कहा जाएगा. इसका मतलब सिर्फ इतना है कि वैक्सीन से किसी व्यक्ति में इम्यून रेस्पोंस कम हुआ. ऐसे संक्रमण के मामले ज्यादातर हल्के-फुल्के होते हैं. यानी ये बड़े पैमाने पर खतरनाक नहीं होते और सभी प्रकार के वैक्सीन में ऐसे मामले दिखते हैं.
हालांकि ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन, रीइन्फेक्शन से अलग होते हैं. रीइन्फेक्शन यानी कोरोना से ठीक हो चुके व्यक्ति का फिर से संक्रमित हो जाना है. ICMR ने एक स्टडी में रीइन्फेक्शन को कम से कम 102 दिनों के अंतराल में दो पॉजिटिव टेस्ट के साथ एक इंटरिम निगेटिव टेस्ट के रूप में परिभाषित किया है.
2) वैक्सीन लेने वाला व्यक्ति Covid-19 से कैसे संक्रमित हो सकता है?
अपोलो हॉस्पिटल की डॉ. अंजना भट्टाचार्य ने इंडिया टुडे को बताया- फिलहाल इसके पुख्ता सबूत नहीं हैं. पहली बात तो ये कि कोई भी वैक्सीन 100 प्रतिशत प्रभावी नहीं है और सभी तरह के टीकों में ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन की पूरी गुंजाइश है. भारत में तीन कोविड-19 वैक्सीन को आपातकालीन इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी गई है. कोरोना से बचाव में कोविशील्ड वैक्सीन 70 प्रतिशत (दो डोज के बीच एक महीने का गैप) कोवैक्सीन 78 प्रतिशत और रूस की स्पुतनिक-वी 92 प्रतिशत कारगर है.
दूसरी बात- सामान्यतौर पर शरीर में वैक्सीन से प्रतिरोधक क्षमता या एंटीबॉडी तैयार होने में दूसरी डोज लेने के बाद करीब दो से तीन हफ़्तों का समय लगता है. इसलिए काफी हद तक गुंजाइश है कि दो से तीन हफ्ते की इसी अवधि में कोई भी संक्रमित हो सकता है.
तीसरी बात- एक्सपर्ट डॉ अमिताभ नंदी ने बताया, वैक्सीन बीमारी रोकने के लिए होते हैं, हो सकता है कि इससे संक्रमण ना रुके. इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि बीमारी में लक्षण दिखते हैं जबकि वायरस की टेस्टिंग के बाद संक्रमण का पता चलता है. कोविड-19 के वैक्सीन किसी को भी हलके लक्षण, गंभीर बीमारी और अस्पताल जाने की स्थिति से बचाने में कारगर हैं. लेकिन यह भी पूरी तरह से संभव है कि वायरस के संपर्क में आने पर टीका लेने वाला व्यक्ति भी संक्रमित हो जाए.
अमिताभ नंदी के मुताबिक़ प्रतिरक्षा (Immunogenicity) और प्रोटेक्टिव इम्युनिटी दो अलग-अलग चीजें हैं और एक-दूसरे से स्वतंत्र हैं. प्रतिरक्षा में केवल बायलोजिकल इम्यून रेस्पोंस होता है- यह प्रोटेक्टिव नहीं भी हो सकता है. इसी वजह से इम्यून रेस्पोंस के बावजूद वायरस के संपर्क में आने पर वैक्सीन (कोई भी) संक्रमण रोकने में विफल हो सकता है.
3) क्या ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन के पीछे अलग अलग वेरियंट के कोरोना वायरस हैं?
दूसरी लहर में नए और ज्यादा वेरियंट के वायरस दिखे हैं. अभी तक इस बात की पूरी संभावना है कि कुछ (वेरियंट) वैक्सीन के प्रतिरक्षा कवच को भेद दें. यानी ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन की वजह बनें.
डॉ गणेश दिवाकर ने डबल म्यूटेंट वेरियंट के बारे में इंडिया टुडे को बताया- कुछ लैब साक्ष्यों में पाया गया कि डबल म्यूटेंट ज्यादा ट्रांसमिसेबल है और एंटीबॉडी को वायरस रोकने में जरूर मुश्किल पैदा कर रहा है. लेकिन अभी वैज्ञानिक इस बात का पता लगा रहे हैं कि इसमें कितनी इम्युनिटी जा रही है.
उधर, इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च की एक स्टडी में पाया गया कि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन यूके वेरियंट पर कारगर है.
4) भारत में ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन के कितने मामले सामने आए हैं?
हाल ही में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की ओर से जारी एक डेटा के मुताबिक़ 10,000 लोगों में से सिर्फ दो से चार लोगों को ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन हुआ. ये संख्या बहुत मामूली है.
यदि हम इसे वैक्सीन के आधार पर बांटे तो करीब 0.04 प्रतिशत लोग जिन्होंने कोवैक्सीन की दूसरी डोज भी ली, कोरोना संक्रमित हुए. कोविशिल्ड के मामले में ये काफी कम (0.03 प्रतिशत) है. आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल डॉ. बलराम भार्गव के मुताबिक़- ये संख्या और भी कम हो सकती हैं. क्योंकि इनमें ज्यादातर हेल्थ वर्कर शामिल हैं जिन्हें वैक्सीन के डोज तो मिले, लेकिन अन्य लोगों की अपेक्षा ये लोग संक्रमण के संपर्क में ज्यादा आए और किस वजह से दर इनमें ज्यादा थी.
5) टीकाकरण के बाद क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
एक्सपर्ट्स ने इंडिया टुडे को बताया कि सभी टीके लेने वाले लोगों को कोविड से जुड़े सेफ्टी प्रोटोकॉल लगातार फॉलो करते रहना चाहिए. जैसे मास्क पहनना, दूसरों से बराबर सोशल डिस्टेन्शिंग रखना, भीड़ से बचना और खराब वेंटिलेशन वाली जगहों में रुकना. हाथ को लगातार धोते रहना चाहिए.
6) टीका लेने के बाद अगर कोई संक्रमित हो जाए तो उसे क्या करना चाहिए?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर टीका लेने के बाद भी किसी को कोविड-19 के लक्षण पता चल रहे हैं तो उसे तत्काल खुद को घर के दूसरे लोगों से अलग होकर आइसोलेट कर लेना चाहिए और अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. डॉ गणेश दिवाकर कहते हैं कि ऐसे मामलों में RT-PCR टेस्ट से यह पता चलेगा कि व्यक्ति वायरस के सम्पर्क में आया है या नहीं. इसका मतलब यह कतई नहीं कि ये टीके का साइड इफेक्ट है. लैब टेस्ट के नतीजे और CT वैल्यू से व्यक्ति के इलाज और अस्पताल में भर्ती आदि का निर्धारण होगा.
7) क्या दूसरे देशों में भी ऐसे ब्रेकथ्रू मामले सामने आए हैं?
अमेरिकी सरकार की एक आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक़ 87 मिलियन से ज्यादा लोगों को 20 अप्रैल तक वैक्सीन के दोनों डोज दिए जा चुके हैं. इसमें से करीब 7,157 लोग टीका लेने के बाद संक्रमित हुए. यूएस सीडीसी ने कहा भी कि बहुत ही मामूली संख्या में लोग बीमार हुए, अस्पतालों में भर्ती हुए या कोविड से उनकी मौत हुई. अमेरिका में कुछ ब्रेकथ्रू की वजह SARS-CoV-2 वेरियंट रहा.
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