इन दो 'पीड़ितों' के गुनाह की सजा किसी न किसी को तो भुगतनी ही होगी
फर्जी रेप के मामले इतने बढ़ गए हैं कि अगर किसी लड़की का सच में गैंगरेप होता है और अगर वह पुलिस स्टेशन में जाकर केस दर्ज कराती है तो उसी को शक के घेरे में रखा जाता है कि वह सच बोल रही है की नहीं?
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शुक्रवार सुबह दो हेडलाइन सामने आईं. गैंगरेप (Gang Rape) और डकैती (Robbery) के दो अलग-अलग मामलों में हुआ खुलासा एक जैसा ही है. दोनों में पीडि़तों ने किसी को फंसाने के लिए गुनाह का जाल बुना. दोनों कहानियां हैरान करने वाली हैं. लेकिन, निष्कर्ष इतना ही है कि ऐसे ही लोगों के कारण बाकी पीड़ितों को अपनी पीड़ा को जायज साबित करने की परीक्षा से गुजरना पड़ता है.
पहला मामला दिल्ली से सटे गुरुग्राम का है. जहां 22 साल की महिला को इसलिए गिरफ्तार किया गया है क्योंकि उसने दो लोगों पर फर्जी गैंप रेप का केस दर्ज कराकर दो लाख रूपए वसूले हैं. महिला ने 17 मार्च को सेक्टर-53 थाना में गैंगरेप की एफआईआर दर्ज कराई थी. उसका कहना था कि उसके फेसबुक फ्रेंड ने अपने दोस्त के साथ मिलकर पीजी में उसका गैंगरेप किया है.
मामले का खुलासा तब हुआ जब पुलिस ने छानबीन की. पता चला कि लड़की ने युवक से पैसे ऐंठने के लिए झूठा केस कराया है. इसी तरह के और केस उसने दूसरे थानों में भी दर्ज कराए हैं. मामला खुला तो पता चला कि वह झूठे रेप केस में फंसाकर युवक से पैसा वसूलने का काम कर रही थी.
इस तरह की घटनाएं आजकल आम हो चुकी हैं, जिसका खामियाजा असल पीड़िताओं को भुगतना पड़ता है
दूसरा मामला नोएडा सेक्टर -119 स्थित सोसाइटी का है. जहां एक कपल ने दोस्त के साथ लूटपाट की साजिश रची. इसके तहत पहले उन्होंने प्रापर्टी डीलर दोस्त को अपने घर पर बुलाया. फिर अपने लोगों को बुलाकर लूटपाट करवाई. लूटपाट करने वालों ने तीनों को मारा-पीटा, कपल ने इसलिए मार खाई ताकि पुलिस को शक ना हो औऱ रॉबरी की घटना सच लगे.
रिपोर्ट्स के अनुसार, दोस्त ने कपल से करोड़ों के क्रिप्टो करेंसी निवेश की बात कही थी. कपल आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे और लूटपाट के जरिए उसका पासवर्ड जानना चाह रहे थे. लूटपाट के बाद कपल ने खुद थाने में जाकर रिपोर्ट दर्ज करवाई मगर पुलिस की पूछताछ में सच सामने आ गया कि ये सारा किया धरा कपल का ही है.
इस तरह की घटनाएं आजकल आम हो चुकी हैं, जिसका खामियाजा असल पीड़िताओं को भुगतना पड़ता है. फर्जी रेप के मामले इतने बढ़ गए हैं कि अगर किसी लड़की का सच में गैंगरेप होता है और अगर वह पुलिस स्टेशन में जाकर केस दर्ज कराती है तो उसी को शक के घेरे में रखा जाता है कि वह सच बोल रही है की नहीं? कहीं वह फर्जी केस तो नहीं दर्ज करा रही है. पीड़िता को अपने साथ हुए कृत्य को साबित करना पड़ता है.
इल्जाम पुलिस वालों पर लगता है मगर वे भी क्या करें? उनकी भी गलती नहीं है उनके पास इतने फर्जी केस आते हैं कि वे असल पीड़ितों को भी शक की नजरों से देखने लगते हैं. कई बार ऐसी खबरे आती हैं कि पुलिस वाले किसी मामले में लापरवाही कर रहे हैं, असल में पुलिस वाले इसी तरह के फर्जी केस के कारण लापरवाही बरतते हैं.
साल 2021 की NCRB की रिपोर्ट के अनुसार, रेप के 4,000 से ज्यादा मामले फर्जी पाए गए. इतना ही नहीं 11,000 से ज्यादा महिलाओं के जबरन अपहरण के मामले भी पुलिस जांच में झूठे निकले. रिपोर्ट के अनुसार, रेप के झूठे मामलों में पिछले 5 सालों में 55% की वृद्धि हुई है. जहां एक ओर रेप के मामलों में पिछले पांच सालों में कमी आई है. वहीं, पुलिस जांच में झूठे पाए रेप के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है. नतीजन असली पीड़िताओं के न्याय नहीं मिल पाता है.
मान लीजिए कल को किसी के साथ लूटपाट हो जाती है, वह पुलिस के पास पहुंचता है मगर पुलिस उस पर ही इल्जाम लगाए तो कैसा लगेगा? कहने का मतलब यह है कि फर्जी पीड़ित तो अपना विक्टिम कार्ड खेल लेते हैं, किसी को फंसा देते हैं मगर परेशानी उन लोगों के साथ हो जाती है जो सच में पीड़ित होते हैं. उन्हें दर-दर भटकना पड़ता है...आखिर इस तरह के फर्जी पीड़ितों के गुनाह की सजा किसी ने किसी को तो भुगतनी ही पड़ती है.
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