दलाई लामा के विवादित बयान का सच जानने के लिए जरा ठहरिए...
बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा ने बीबीसी को इंटरव्यू दिया है जिसके बाद से वो विवादों में हैं. दलाई लामा को लेकर जो भी बातें कही जा रही हों मगर स्वास्थ्य आलोचना तभी हो सकती है जब हम उनकी पूरी बातें सुनें. जिस तरह लोगों ने आधी अधूरी बातों पर आलोचना शुरू की है वो नैतिक रूप से बिल्कुल गलत है.
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राय बनाना और एक बार बन चुकी उस राय से किसी की छवि को धूमिल करना बहुत आसान है. बात अगर इस रेसिपी में पड़ने वाली सामग्री की हो तो चंद ट्वीट्स कुछ पुराने बयान, मॉर्फ तस्वीरों और मीम्स के जरिये हम किसी की छवि को बदनाम करने के अपने मिशन में फौरन ही कामयाब हो सकते हैं. सवाल होगा कि ये बातें क्यों ? जवाब है दलाई लामा. तमाम अलग-अलग मुद्दों को लेकर दलाई लामा ने बीबीसी से बात की है. इंटरव्यू का प्रसारण होने में अभी वक़्त है. कार्यक्रम लोग देखें, इसके प्रचार के लिए वीडियो के छोटे छोटे हिस्से इंटरनेट पर डाले गए हैं जो विवाद की जड़ बने हैं. बीबीसी का ये वीडियो देखने पर मिल रहा है कि अमेरिका, यूरोप, तिब्बत, चीन और महिला उत्तराधिकारी के चयन जैसे मुद्दों पर दलाई लामा से सवाल हुए हैं जिनका जवाब देते हुए बौद्ध धर्म गुरु ने एक नई बहस का आगाज कर दिया है.
अपने कुछ बयानों के चलते एक बार फिर से बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा विवादों में आ गए हैं.
दलाई लामा के विषय पर कुछ कहने या इन मुद्दों पर कुछ और बात करने से पहले हमारे लिए ये जान लेना जरूरी है कि दलाई लामा ने क्या कहा:
डोनाल्ड ट्रम्प पर
डोनाल्ड ट्रम्प पर दलाई लामा का तर्क है कि उनके इमोशंस बहुत जटिल हैं. इस पर जब सवाल हुआ कि इसका क्या अर्थ है? दलाई लामा का कहना था कि किसी दिन वो कोई बात कहते हैं. दूसरे दिन उस बात के बिल्कुल विपरीत एक दूसरी बात कहते हैं. उनमें नैतिक सिद्धांतों का आभाव है. जब वो अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे उन्होंने 'अमेरिका फर्स्ट' की बात कही थी. जो पूरी तरह गलत है. होना ये चाहिए कि वो जबकि होना ये चाहिए था कि वो वैश्विक जिम्मेदारी को समझें.
ब्रेक्सिट पर
मैं आध्यात्मिक यूरोपीय संघ का एक प्रशंसक हूं, मैं बाहरी हूं, लेकिन मुझे लगता है कि संघ में रहना बेहतर है. इसी इंटरव्यू के बाद शरणार्थियों को लेकर दलाई लामा आलोचना का शिकार हो रहे हैं.
इंटरव्यू में उनसे शरणार्थियों को लेकर सवाल हुआ था जिसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा था कि यूरोपीय देशों को इन शरणार्थियों को लेना चाहिए और इन्हें शिक्षा और ट्रेनिंग देकर इनकी अपनी ज़मीन पर भेज देना चाहिए. इसपर जब ये सवाल हुआ कि तब क्या जब ये शरणार्थि यूरोप में रहना चाहें? क्या उन्हें इसकी अनुमति नहीं होनी चाहिए? इस जटिल सवाल का जवाब देते हुए दलाई लामा ने कहा कि यदि संख्या सीमित हो तो अच्छा है मगर पूरा यूरोप मुस्लिम या फिर अफ्रीकी हो जाएगा. दलाई लामा की इस बात पर सवाल हुआ कि इसमें कुछ गलत नहीं है और आप तो खुद शरणार्थि हैं. इस सवाल का जवाब दलाई लामा ने बड़ी ही चतुराई के साथ दिया. उन्होंने कहा कि ये शरणार्थि अपने देश में अच्छे लगते हैं बेहतर यही होगा कि यूरोप में यूरोपीय लोग ही रहें.
तिब्बत जाने पर
किसी मंच पर दलाई लामा हों और वहां तिब्बत को लेकर सवाल न हो ये नामुमकिन है. बीबीसी के इस मंच पर भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला. सवाल हुआ कि क्या आपने तिब्बत वापस जाने की उम्मीद छोड़ दी है. ये एक अहम सवाल था. इस सवाल का जवाब देते हुए दलाई लामा ने कहा कि तिब्बती लोगों में मेरे प्रति अपार आस्था और विश्वास है. वो आंखों में आंसू लिए मुझसे पूछते हैं कि मैं तिब्बत कब वापस आऊंगा. इस जवाब पर दलाई लामा से सवाल हुआ कि ये कैसे होगा? इसपर उन्होंने कहा कि चीन बदल रहा है.
चीन की नीतियों पर
दलाई लामा और चीन एक दूसरे के बिना अधूरे हैं तो चीन को पृष्ठभूमि में रखकर उनसे सवाल होना लाजमी था. दलाई लामा इस बात को स्वीकार कर चुके थे कि चीन बदल रहा है अतः सवाल हुआ कि ज्क्य किसी चीनी अधिकारी ने उन्हें बीते हुए कुछ वर्षों में संपर्क किया है? इसपर उन्होंने कहा कि वो कुछ रिटायर चीनी अधिकारियों और विद्वानों के संपर्क में हैं. इसके बाद बौद्ध धर्म गुरु से सवाल हुआ कि क्या आपको राष्ट्रपति शी ने किसी मीटिंग के बुलाया इसपर उनका जवाब था नहीं. क्योंकि दलाई लामा का शुमार चीन के प्रबल आलोचकों में होता है इसलिए उनसे ये भी सवाल हुआ कि क्या उन्हें ये महसूस होता है कि चीन के बढ़ते हुए प्रभाव के चलते तिब्बत को लेकर जो उनका प्रभाव है उसमें कुछ प्रभाव पड़ा है? इस सवाल पर उग्र होते हुए दलाई लामा ने कहा कि मुझे इसकी कोई परवाह नहीं है चीन खुद अपना व्यवहार बदल रहा है.
महिला उत्तराधिकारी के चयन पर
महिलाओं को लेकर अपने नजरिये के कारण दलाई लामा लगातार आलोचना का शिकार हो रहे हैं और एक बड़ा वर्ग है जो दलाई लामा की बातों को अनैतिक और उन्हें स्त्रीविरोधी बता रहा है .
बात क्योंकि महिलाओं और स्वयं दलाई लामा से जुड़ी थी इसलिए हमारे लिए बल्कि किसी भी आलोचक के लिए ये बेहद जरूरी है कि हम उनकी सम्पूर्ण बातों का अवलोकन करें. दलाई लामा से सवाल हुआ था कि आपने एक बार कहा था कि आपकी इच्छा है कि कोई महिला उत्तराधिकारी आए जो सुन्दर होना चाहिए अन्यथा वो किसी काम का नहीं है. क्या एक महिला के लिए इस तरह के विचार व्यक्त करना सही है? इसपर दलाई लामा ने कहा कि ये संभव है. यदि महिला दलाई लामा आए तो उसका सुन्दर और आकर्षक होना जरूरी है. कोई भी नहीं चाहेगा कि महिला दलाई लामा बुजुर्ग हो या फिर जो 'डेड फेस' लिए हो.
Dalai Lama thinks if his successor is a female, she should be attractive.Why?Because,"Dead People I think prefer not to see a 'dead face'."He literally said that.pic.twitter.com/OmPyZ1zDkr
— Zainab Sikander (@zainabsikander) June 28, 2019
What a hypocrite and communal man he is! He himself has been living in India for last 70 years as a refugee with his 10,000 other Tibetans. Should he not be sent back to Tibet? Give this sermon after returning to Tibet. https://t.co/Pp7y8QMSQ7
— Rifat Jawaid (@RifatJawaid) June 27, 2019
This comment by the Dalai Lama is both Islamophobic and racist. He forgets that "Europe" as we know it is a product of colonisation. People of African origin coming to Europe can say to white supremacists in Europe, "We are here because you were there"! https://t.co/j2Du4m9PzW
— Kavita Krishnan (@kavita_krishnan) June 27, 2019
Nobel Committee should seriously start thinking a process of how to strip Nobel Peace Prize! https://t.co/6Oxzsv7fxD
— Ashok Swain (@ashoswai) June 28, 2019
गौरतलब है कि प्रमोशन के लिए जो वीडियो इंटरनेट पर डाला गया है उसपर अभी इतनी ही बातें मिल रही हैं. चूंकि अभी बातचीत में आगे बहुत कुछ है, इसलिए हमें पहले से कोई राय नहीं बनानी चाहिए. बाक़ी बात दलाई लामा की चल रही है तो उनका मामला इसलिए भी अहम है कि इससे पहले भी तमाम मौके ऐसे आए हैं जब उन्होंने अपनी कही बातों से विवाद खड़ा किया है.गत वर्ष ही स्वीडन के माल्मो में भी उन्होंने शरणार्थियों के विषय में जो बताएं कहीं थीं उसने खूब सुर्खियां बटोरी थीं जिसके लिए उनकी तीखी आलोचना हुई थी.
बहरहाल, दलाई लामा ने क्या कहा है इसका पता हमें जल्द ही चल जाएगा. मगर जिस तरह दलाई लामा की बातों को ट्विस्ट किया गया है और अपने हिसाब से उसके अलग अलग अर्थ निकाले गए हैं. उससे इतना तो साफ है कि अपनी कुंठा दूर करने के लिए लोगों को मुद्दा चाहिए जो दलाई लामा के रूप में उन्हें मिल गया है.
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