विधायक के अलावा शक्तिमान के दो और गुनहगार!!
विधायक गणेश जोशी ने घोड़े शक्तिमान के साथ जो किया उसके लिए फिलहाल उन्हें गिरफ्तार कर 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. लेकिन इस पूरे मामले में सिर्फ वही दोषी नहीं हैं.
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देहरादून के बीजेपी विधायक गणेश जोशी ने जितनी बर्बरता से घोड़े शक्तिमान को शक्तिविहीन किया, उसे सबने देखा. घोड़े की टांग काटनी पड़ी. लेकिन विधायक साहब इसपर भी अपनी सफाई देते रहे. देहरादून पुलिस ने विधायक के खिलाफ केस दर्ज करवाया जिसपर कार्यवाही करते हुए फिलहाल जोशी को गिरफ्तार कर 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.
मेनका गांधी मौन क्यों?
उम्मीद की जा रही थी कि मेनका गांधी इस मामले में जरूर कोई एक्शन लेंगी, लेकिन सबकी प्रतिक्रियाएं आई, मेनका गांधी की नहीं. 'पीपुल फॉर एनिमल्स' नाम का पशु कल्याण संगठन चलाने वाली मेनका गांधी की संस्था ने उत्तराखंड के डीजीपी को एक पत्र लिखकर संवेदनाएं भेज दीं जिसमें गणेश जोशी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की. मेनका का कहना है कि उन्होंने विधायक के निष्कासन के लिए बीजेपी को एक पत्र लिखा है.
चार क्विंटल का शक्तिमान अब अपना वजन इस कृत्रिम पैर की मदद से उठाएगा |
जिस मामले पर मेनका गांधी की त्वरित प्रतिक्रिया का इंतजार था वहां उन्होंने मात्र औपचारिकता निभाई. बड़ी से बड़ी हस्ती को जानवरों से बदसुलूकी करने के लिए फट से नोटिस भेज देने वाली मेनका गांधी, इस बार शांत कैसे हैं. मेनका गांधी का अब तक का रिकॉर्ड तो यही बताता है कि अगर हमारे देश में जानवरों की सबसे ज्यादा फिक्र किसी को है तो वो एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट मेनका गांधी हैं. शेर और हाथी को छोड़िए, चूहा, बिल्ली, कबूतर और कॉकरोच के दर्द तक को समझती हैं मेनका. लेकिन जब उनके इस पशु प्रेम की परीक्षा का वक्त आया तो वो फेल साबित हुईं.
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सवाल पुलिस विभाग से भी
देहरादून विधानसभा का घेराव करने पहुंचे बीजेपी कार्यकर्ताओं को जब रोकने की कोशिश की गई तो, विधायक गणेश जोशी पुलिस के घोड़े पर ही बरस पड़े. उन्होंने घोड़े को लाठी से पीटकर लहूलुहान कर दिया और वो जमीन पर गिर पड़ा. अब सवाल ये उठता है कि उत्तराखंड पुलिस फोर्स जब कोई कार्रवाही करने जाती है तो जीप, वज्र वाहन आदि के साथ क्यों नहीं जाती. पुलिस फोर्स में घोड़े अंग्रेजों के जमाने से हैं. पहले आने जाने के साधन सीमित थे इसीलिए इन घोड़ों की भर्ती की जाती थी. लेकिन आज आधुनिक युग में, सब सुविधाएं होने के बावजूद भी पुलिस फोर्स घोड़े साथ लेकर चलती है. पुलिस विभाग को ये भी तो तय करने की जरूरत है कि उन्हें कहां घोड़े ले जाने चाहिए और कहां नहीं. और उन्हें ये भी नहीं भूलना चाहिए कि वे रक्षक हैं. फोर्स पर जितनी जिम्मेदारी लोगों की रक्षा करने की होती है उतनी ही इन जानवरों की रक्षा करने की भी. वीडियो में साफ नजर आ रहा है कि घोड़े पर जब वार किए जा रहे थे तो बाकी पुलिस अधिकारी विधायक को रोक तक नहीं पा रहे थे. और तो और इस दौरान घोड़े पर बैठा सिपाही, उसकी पीठ पर तब तक बैठा रहा जब तक घोड़ा नीचे गिर नहीं गया. तो इस मामले में पुलिस की भूमिका भी संतोषजनक नहीं है.
बहरहाल शक्तिमान अब पुलिस फोर्स का हिस्सा नहीं है, उसका पैर कट चुका है, प्रोस्थेटिक लेग लगाया गया है, वो कब तक इस कत्रिम पैर के साथ जी पाएगा मालूम नहीं. विधायक बीजेपी से हैं, ज्यादा से ज्यादा कुछ दिन जेल में रहेंगे, मेनका गांधी ज्यादा से ज्यादा एक आध डिफेंसिव बयान और दे देंगी, प्रधानमंत्री हमेशा की तरह ऐसे किसी भी मामले पर मन की बात नहीं करेंगे. ये बेचारा तो जानवर है, कुछ नहीं बोलेगा, लेकिन इस जानवर के साथ जो कुछ भी हुआ उससे शर्मिंदा देश सिर्फ यही बोल पाएगा कि 'सॉरी शक्तिमान'.
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