ड्राइवरलेस मेट्रो ने दीवार तोड़ी है या प्रधानमंत्री मोदी का सपना !
लम्बे समय से दक्षिण दिल्ली के लोगों के बीच चर्चा का विषय रही मेट्रो की मेजेंटा लाइन एक बार फिर ख़बरों में है. कालिंदी कुंज के पास मेट्रो दीवार से टकरा गयी है.
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दिल्ली स्थित कालका जी, जामिया, ओखला जैसी जगहों पर रहने वाले लोग बड़े खुश हैं. जल्द ही मेजेंटा लाइन पर मेट्रो चलने वाली है, जिसका उद्घाटन स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करने वाले थे. लोगों का मानना है कि ये सरकार की एक अच्छी पहल है जिससे लोगों का समय बचेगा और उनका कहीं आना जाना आसान हो जाएगा. अभी इस खबर का जश्न लोग ढंग से मना भी नहीं पाए थे कि खबर आई कि मेजेंटा लाइन पर गमन करने वाली मेट्रो कालिंदी कुंज में दीवार तोड़ कर बाहर निकल गयी. आपको बताते चलें कि ड्राइवरलेस इस मेट्रो में दुर्घटना के कारण कोई घायल नहीं हुआ है.
ये मेट्रो पूर्णतः ड्राइवरलेस है जो भारत के लिए बड़ी उपलब्धि है
प्राप्त जानकारी के अनुसार यह हादसा तकनीकी कारणों से नहीं, बल्कि इंसानी भूल की वजह से हुआ है. आपको बताते चलें कि 25 दिसंबर को मैजेंटा लाइन की शुरुआत होने वाली है और स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मेट्रो को हरी झंडी दिखाने वाले थे. यह लाइन नोएडा को साउथ दिल्ली से जोड़ेगी जहां यह रूट कालकाजी से बॉटनिकल गार्डन तक का होगा. इस लाइन के शुरू होने के बाद नोएडा और साउथ दिल्ली के बीच यात्रा समय में खासी कमी देखने को मिलेगी.
Delhi: Empty metro train on trial run, breaks through boundary at Kalindi Kunj depot. Matter being probed. pic.twitter.com/kiqWn7TCVH
— ANI (@ANI) December 19, 2017
गौरतलब है कि बॉटनिकल गार्डन-जनकपुरी वेस्ट (मैजेंटा) लाइन के इस 12.64 किलोमीटर लम्बे हिस्से को मेट्रो रेल सुरक्षा आयुक्त ने पिछले महीने ही सुरक्षा संबंधी मंजूरी दी थी. ये लाइन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ये पूर्णतः ड्राइवरलेस होगी जिसके मद्देनजर अत्याधुनिक संचार आधारित ट्रेन नियंत्रण (सीबीटीसी) सिग्नल तकनीक सेवा को भी इसमें जोड़ा गया है.
मेट्रो हादसे की पूरी पड़ताल :
ज्ञात हो कि भारत विश्व का सातवां देश है जहां बिना ड्राइवर के मेट्रो चलेगी और शुरूआती दौर में आम आदमी को इस बात से कोई दहशत न हो इसके लिए अगले दो या तीन सालों तक इस मेट्रो में ड्राइवरों को रखा जाएगा मगर बाद में उन्हें हटा दिया जाएगा. बताया जा रहा है हादसे के बाद इस रूट के मुसाफिरों के बीच बेचैनी बढ़ गयी है और उन्हें लग रहा है कि बिना ड्राइवर के उनकी यात्रा कितनी सुरक्षित होगी जब खड़े खड़े मेट्रो दीवारों से टकरा रही है.
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