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Updated: 25 जनवरी, 2021 04:57 PM
ज्योति गुप्ता
ज्योति गुप्ता
  @jyoti.gupta.01
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भले ही लोग ये कहने लगे हों कि ब्लैक इज ब्यूटीफ़ुल (Dark skin) लेकिन यह लाइन बस बोलने के लिए है. फर्क बस इतना है कि विज्ञापनों में गोरे रंग की जगह ‘चमक’ शब्द ने ले लिया है. इस बात का अदांजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि जब किसी लड़की की शादी होने वाली होती है तो 6 महीने पहले से ही गोरेपन के लिए ट्रीटमेंट से लेकर तरह-तरह के उबटन लगाया जाने लगता है. इस आर्टिकल में हम एक साधारण लड़की से लेकर एक सेलिब्रेटी तक की कहानी बता रहे हैं, जिन्हें उनके सांवलेपन (Dark SkinTone) की वजह से कई परेशानियों का सामना करना पड़ा, जो बहुत ही अजीब हैं. 

1- एक छोटी बच्ची पीकू जो 5 साल की है. मैंने उसे अक्सर बाहर खेलने जाने के लिए जिद्द करते हुए देखा था. सांवली-सलोनी (Black Beauty) पीकू बहुत ही चंचल और तेज दिमाग वाली बच्ची है. एक दिन वह चुपचाप अपने घर के बाहर सीढ़ियों पर बैठी थी और सामने पार्क में खेलते हुए बच्चों को देख रही थी. मैंने जब पूछा यहां क्यों बैठी हो पीकू, आज खेलने नहीं जाना क्या? तो उसने जो जवाब दिया मैं सुनकर हैरान रह गई. 

पीकू ने कहा, मैं धूप में बाहर खेलने नहीं जाउंगी. सभी लोग कहते हैं कि अगर मैं धूप में खेलने गई तो ज्यादा काली हो जाउंगी फिर मैं सुंदर नहीं देखूंगी ना. उसका यह फैसला बता रहा था कि, काला या सांवला होना कितना खराब होता है. आज भी लड़कियों के लिए शादी के लिए बनाए गए बायोडेटा में गोरी, पतली, लंबी शब्द ही लिखा जाता है. मोटी, सांवली या छोटी नहीं. 

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2- कुछ दिनों पहले ऐशु ने इंस्टाग्राम पर अपनी कहानी शेयर करते हए बताया कि, कैसे डार्क कॉम्प्लेक्शन को लेकर उसके साथ भेदभाव किया गया. ऐशु ने बताया कि जब वह छोटी थी तो डर कर जीने को मजबूर थी, क्योंकि उसका रंग सांवला था. उसके रंग की वजह से सभी लोग उससे भेदभाव करते और कभी फेयरनेस क्रीम तो कभी हल्दी लगाने की सलाह देते. ऐशु ने बताया कि, लोग उसे अलग-अलग नामों से चिढ़ाते थे जिससे उसे शर्मिंदगी महसूस होती थी. 

वहीं एक यूजर ने ऐशु को इंस्टाग्राम पर गोरा होने के लिए ब्लीच करवाने की सलाह तक दे दी. जिसका जवाब देने के लिए ऐशु ने एक फैसला लिया और खूबसूरत गाना गाकर उस यूजर के साथ उन तमाम लोगों को जवाब दिया जो काले रंग को बदसूरत मानते हैं. ऐशुु जैसी बहादुर लड़की के इस कदम की सभी लोगों ने सराहना की. 

ऐशु ने अपने पोस्ट में बताया कि कैसे उसने इन बातों को इग्नोर करना सीखा और अपना आत्मविश्वास जगाया. एशु का कहना है कि, मेरी तरह कई लड़कियां रंगभेद का सामना करती हैं. साउथ एशिया में लड़कियों को कॉम्प्लेक्शन की वजह से काफी कुछ सहना पड़ता है. 

3- मुझे नीलू अभी भी याद है. उसकी आंखें बड़ी-बड़ी थीं और उसके चेहरे पर तेज था और वह सुंदर भी बहुत थी. नीलू के घरवाले उसके सांवले रंग को लेकर हमेशा उसकी चिंता करते और सहानुभूति जताते रहते. साथ ही उसकी बड़ी बहन सोनम से उसकी तुलना करते रहते. सोनम गोरी थी और उसे भी अपनी बहन की चिंता रहती. कुछ दिनों में सोनम की तो शादी हो गई. अब नीलू की मां को उसकी शादी की चिंता सताती रहती और वे नीलू को गोरे होने के 10 तरीके बताती रहतीं. 

एक दिन नीलू की मां ने सबके सामने कहा कि, इसके पापा को बोला है एक महंगा वाला किट लाने के लिए, उसे लगाकर नीलू का रंग साफ हो जाएगा फिर हम लड़का देखेंगे. इतना सुनते ही नीलू वहां से उठकर बाथरूम में चली गई और खूब रोई.

उसने रगड़-रगड़कर अपना चेहरा इतना धोया कि लाल कर लिया था. बाहर उसने गुस्से में अपनी मां से कहा कि वह शादी ही नहीं करेगी. नीलू के पापा उससे बहुत प्यार करते थे उन्होंने उसे समझाया कि आज से तुझे जो करना है कर, अब कोई कुछ नहीं बोलेगा. कई सालों बाद पता चला कि नीलू की शादी हो गई. सांवली लड़कियों की शादी के लिए मां-बाप पहले से ज्यादा पैसे रखते हैं ताकि लड़के वालों को मना सकें. 

4- एक और कहानी याद है नैना की, गोरोपन की क्रीम का क्या असर होता है यह जान लीजिए. नैना का नाम इसलिए ‘नैना’ रखा था कि उसकी आंखें मछली की तरह सुंदर थी. उसका रंग सांवला था. उसके मोहल्ले की सहेलियां गोरी थीं. वह अपने सांवेपन को लेकर परेशान रहती थी. उसने कई तरह के कड़वे जूस भी पीए. एक दिन उसने एक पत्रिका में गोरेपन का दावा करने वाली क्रीम का विज्ञापन देखा. अब नैना ने वह क्रीम खरीदने का फैसला किया. जिसे लगाने के बाद उसके चेहरे पर फफोले पड़ गए थे फिर उसे डॉक्टर को दिखाना पड़ा.

5- अच्छी भली लड़की शीला को गोरेपन का इतना भूत सवार था कि वह रोज सुबह-शाम फेस पैक लगाती रहती. जिसकी वजह से कभी उसका नाश्ता स्किप होता तो कभी खाना. कभी-कबी तो ऑफिस की बस भी छूट जाती. अब भी कोई फर्क नहीं पड़ा तो वह स्किन डॉक्टर से लेकर पार्लर में पैसे खर्च करने लगी. नई-नई नौकरी और इतने खर्च से वह पेरशान रहने लगी. बाद में पता चला कि ऑफिस में किसी ने उसके रंग को लेकर ताने मारे थे. वह इससे जुड़े कई कारणों से परेशान रहने लगी. उसने जॉब छोड़ने का भी फैसला ले लिया.  

6- मैं उस मकान मालकिन आंटी को कैसे भूल सकती हूं जो 12 साल की पिया को इसलिए डांटती रहती थीं कि वह गोरा होने वाला लेप नहीं लगाती थी. अब पढ़ाकू पिया को लेप लगाने का शौक ही नहीं था. आंटी बोलती पढ़ाने के साथ-साथ तेरी शादी भी तो करवानी है. उनकी बातों से परेशान होकर पिया ने उनसे दूरी मेंनटेन करने का फैसला ले लिया और वह अपना खाली समय या तो दीदी के यहां जाकर बिताती या कान में इयरफोन लगाकर.

7- कई लड़कियों की रोल मॉडल प्रियंका चोपड़ा (Priyanka Chopra) भी रंगभेद का शिकार हो चुकी हैं. अपने एक इंटरव्यू में प्रियंका ने बताया कि जब वे 13 साल की थीं तो अपनी आंटी के साथ पढ़ाई के लिए अमेरिका चली गईं थीं. जहां उन्हें भारतीय होने की वजह रंगभेद का सामना करना पड़ा था. जिसकी वजह से प्रियंका ने अपना आत्मविश्वास भी खो दिया था और एक अजीब फैसला लिया.  

प्रियंका ने बताया कि, सांवली होने की वजह से लड़कियां मेरा मजाक उड़ाती थीं और मझे बुली (Bully) किया जाता था. मेरे साथ बदसलूकी भी हुई. लड़कियां कहती थीं कि, ब्राउनी तुम अपने देश लौट जाओ. इन बातों की वजह से मैं परेशान हो गई थी. मैंने अपना आत्मविश्वास भी खो दिया था फिर मैंने एक फैसला लिया और अमेरिका छोड़कर अपने माता-पिता के पास लौट गई. आगे की पढ़ाई मैनें बरेली की आर्मी स्कूल से की और फिर एक नया सफर शुरु हो गया.

दरअसल, हमारे समाज ने सांवले रंग को उस तरह नहीं स्वीकारा जिस तरह गोरे रंग को. भले ही श्याम सुंदर हो और कालिदास ने अपनी कविताओं में सांवले रंग को सुंदर माना हो लेकिन आज के जमाने में गोरा होना ही सुंदरता है. कई लोगों को यह कहते हुए मैंने सुना है कि, लड़की के नैन-नक्स तो सुंदर हैं पर सांवली है. अगर आपके या आपके किसी अपने के साथ ऐसा ऐसा कुछ हुआ है तो हमें कंमेट बॉक्स में जरूर बताएं. 

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लेखक

ज्योति गुप्ता ज्योति गुप्ता @jyoti.gupta.01

लेखक इंडिया टुडे डि़जिटल में पत्रकार हैं. जिन्हें महिला और सामाजिक मुद्दों पर लिखने का शौक है.

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