Farmers Violence Protest: दिल्ली में हिंसा हुई तो कंगना रनौत बधाई क्यों देने लगीं?
जिस वक्त राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड हो रही थी, ठीक उसी वक्त किसान भी ट्रैक्टर परेड कर रहे थे. अचानक लाल किले पर अफरा-तफरी मच गई. कुछ किसान समर्थकों ने भारी हंगामें के बीच लाला किले की प्राचीर पर खालसा पंथ का झंडा फहरा दिया.
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वही हुआ जिसका डर था. दिल्ली पुलिस ने गणतंत्र दिवस (Republic Day) पर जब किसानों को ट्रैक्टर परेड की सशर्त अनुमति दी, तभी खटका. समझ नहीं आया कि 26 जनवरी जैसे संवेदनशील दिन को परेड निकालने की अनुमति पुलिस कैसे दे सकती है, जबकि इस दिन सबसे ज्यादा सिक्योरिटी रखी जाती है. खैर, अनुमति मिली और ट्रैक्टर परेड निकला. इसी बीच किसानों ने लाल किले पर धावा बोल दिया. भारी हंगामे के बीच एक युवक दौड़ा. उसने उस पोल पर चढ़ कर खालसा पंथ और किसान संगठन का झंडा बांध आया, जहां प्रधानमंत्री हर साल स्वतंत्रता दिवस के दिन ध्वजारोहण करते रहे हैं. इतना ही नहीं दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में जमकर हिंसा हुई. तलावर चले. लाठियां बरसीं. आंसू गैस के गोले दागे गए. सोशल मीडिया पर भी सनसनी मच गई. पक्ष-विपक्ष में दनादन पोस्ट आने लगे. ऐसे में भला बॉलीवुड कैसे पीछे रह जाता.
आंदोलन की आड़ में ऐसी हिंसा बर्दाश्त नहीं की जा सकती किसान संगठनों द्वारा भारी बवाल और हंगामे पर बौखलाई एक्ट्रेस कंगना रनौत ने जमकर शब्दबाण चलाए. कंगना ने लिखा, 'झंड बनकर रह गए हैं. अनपढ़ गंवार मोहल्लों में किसी के घर शादी या कोई अच्छा त्योहार आए तो जलने वाले ताऊ/चाचा/चाची कपड़े धोना या बच्चों को आंगन में शौच करवाना या खटिया लगाके बीच आंगन में शराब पीकर नंगे हो कर सो जाना, वही हाल हो गया है इस गंवार देश का. शर्म कर लो आज. #RepublicDay.' इतना ही नहीं उन्होंने पंजाबी एक्टर दिलजीत दोसांझ और मशहूर एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा को भी आड़े हाथों लिया है. उन्होंने लिखा- 'दिलजीत दोसांझ और प्रियंका चोपड़ा इसे एक्सप्लेन करने की जरूरत है. आज पूरी दुनिया हमारे ऊपर हंस रही है. ये ही चाहिए था न तुम लोगों को. बधाई.' बताते चलें कि दिलजीत दोसांझ और प्रियंका चोपड़ा ने देशभर में चल रहे किसान आंदोलन का समर्थन किया है.
You need to explain this @diljitdosanjh @priyankachopra Whole world is laughing at us today, yahi chahiye tha na tum logon ko!!!! Congratulations ???? pic.twitter.com/ApHo5uMInO
— Kangana Ranaut (@KanganaTeam) January 26, 2021
कंगना आगे लिखती हैं कि आज जो कुछ भी हुआ, उससे पूरी दुनिया में भारत की छवि खराब होने वाली है. यह हर भारतीय को शर्मिंदा करेगी. हम सभी को गंवार की तरह दिखाएगी. हमारे विदेशी निवेशक, हमारी अर्थव्यवस्था, छवि, हर चीज पर इसका नाकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. देश को हम एक कदम आगे ले जाते हैं और वे हमें 100 कदम पीछे खींच ले जाते हैं. वे फिर जीत गए. यह दुखद है. सभी जानते हैं कि कंगना इस वक्त देश में हो रहे किसान आंदोलन के खिलाफ हैं. उनका कहना है कि यह आंदोलन प्रायोजित है. कंगना द्वारा किसान आंदोलन का विरोध करने पर छह ब्रांड ने उनके साथ अपना अनुबंध रद्द कर दिया है. कुछ आगे भी रद्द करने की बात कर रहे है. ब्रांड का कहना है कि कंगना किसानों को आतंकवादी कहती हैं, ऐसे में वे उनको अपना ब्रांड एम्बेसडर नहीं रखना चाहते. एक्ट्रेस इसकी तस्दीक करते हुए कहती हैं, 'आज मैं उन सभी को भी आंतकवादी कहूंगी, जो इस दंगे का समर्थन करते हैं.'
Sick and tired of riots and blood bath almost every month , Delhi, Bangalore and now again Delhi #दिल्ली_पुलिस_लठ_बजाओ #RedFort pic.twitter.com/pWhXtOrqkx
— Kangana Ranaut (@KanganaTeam) January 26, 2021
कृषि कानूनों के खिलाफ हो रहे किसान आंदोलन का लगातार समर्थन कर रही बॉलीवुड एक्ट्रेस गुल पनाग ने भी हिंसा की निंदा की है. उन्होंने कहा, 'तिरंगे का अनादर नहीं किया जा सकता है. बिल्कुल अस्वीकार्य. निंदा की जानी चाहिए. मैंने पहले दिन से शांतिपूर्ण प्रोटेस्ट का समर्थन किया है, हालांकि यह हिंसक मोड़ निंदनीय है. इस पवित्र दिन पर, केवल भारत के तिरंगे झंडे को लाल किले के ऊपर लहराना चाहिए.' पिछले सप्ताह ही गुल पनाग किसान आंदोलन के समर्थन में उनके बीच पहुंची थीं. आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी की सराहना करते हुए कहा था कि इस वक्त महिलाएं किसान आंदोलन को फ्रंट से लीड कर रही हैं. साल 2014 में गुल पनाग AAP के टिकट से लोकसभा चुनाव लड़ चुकी हैं.
Undesirable turn of events.I have supported this peaceful protest from day one, however this violent turn is condemnable.And, on this sacred day, only the Tricolour ???????? should fly aloft the Red Fort.
— Gul Panag (@GulPanag) January 26, 2021
किसान आंदोलन के एक और समर्थक कवि कुमार विश्वास ने भी दिल्ली में हुई हिंसा और बवाल पर दुख जताया है. उन्होंने कहा, 'बेहद दुःखद ! संविधान की मान्यता के पर्व पर देश की राजधानी के दृश्य लोकतंत्र की गरिमा को चोट पहुंचाने वाले हैं. याद रखिए देश का सम्मान है तो आप हैं. हिंसा लोकतंत्र की जड़ों में दीमक के समान है. जो लोग मर्यादा के बाहर जा रहे हैं वे अपने आंदोलन और अपनी मांग की वैधता व संघर्ष को ख़त्म कर रहे हैं. इस तरह से तो आप अपनी बात रखने की शुचिता व स्वीकार्यता समाप्त कर लेंगे.' इतना ही नहीं कुमार ने किसी भी आंदोलनों की सफलता के लिए जरूरी चार बातों का भी जिक्र किया है. उन्होंने बताया, 'आंदोलन का उद्देश्य आख़री आदमी तक सही-सही समझा पाना, आंदोलन के कुछ सर्वसम्मति से बने मानक चेहरे होना, आंदोलन की गति सत्ता विरोध से किसी भी हाल में देश-विरोधी न होने देना और राष्ट्रीय सम्पत्ति, राष्ट्रीय मनोबल पर चोट न करना.'
गौरतलब है कि किसान ट्रैक्टर परेड के दौरान आज दिल्ली में बवाल हो गया. कुछ किसान समर्थकों ने लाल किले के पास जमकर तांडव किया. पुलिस ने लाठीचार्ज किया, तो किसानों ने तोड़फोड़ शुरू कर दी. दिल्ली में बिगड़ते हालात के मद्देनजर गृह मंत्री अमित शाह ने आपात बैठक बुलाई. बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात करने का आदेश जारी हुआ. इस बीच किसान नेताओं ने कहा कि उनकी तरफ से कानून नहीं तोड़ा गया है. 32 किसान संगठन ट्रैक्टर परेड के लिए पुलिस की ओर से तय किए रूट पर ही चल रहे थे. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यदि किसान संगठन के लोग या समर्थक इस हिंसा में नहीं थे, तो आखिर कौन था? ट्रैक्टर परेड की तरह क्या हिंसा भी सुनियोजित थी? क्या हिंसा की आड़ में आंदोलन को नुकसान पहुंचाना था या फिर लंबे समय से धरने पर बैठे किसान अब ऊब चुके हैं और सरकार से मामले का हल चाहते हैं? सवाल कई हैं, जिसका जवाब मिलना शेष है.
वीडियो में देखिए कैसे ट्रैक्टर से बैरिकेड तोड़ा गया...
ITO पर बैरिकेड को तोड़ते हुए पलटा टैक्टर #हल्ला_बोल #FarmersProtest #TractorRally@anjanaomkashyap @arvinojha pic.twitter.com/MHAaNuCII1
— AajTak (@aajtak) January 26, 2021
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