'मर्दों' की लड़ाई में हिसाब बराबर करने के लिए 10 साल की बच्ची कुर्बान!
जिस समय लालू यादव (Lalu Yadav) की जान बचाने के लिए बेटी रोहिणी अपनी किडनी दान कर रही थी, उसी समय पीलीभीत में एक बाप ने अपने भाई की जान बचाने के लिए अपनी दस साल की बेटी की आंत निकाल ली. और इस तरह दो बेटियां 'काम आ गईं', चाहे मर्जी से या बेमर्जी से.
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जिस समय लालू यादव (Lalu Yadav) की जान बचाने के लिए बेटी रोहिणी अपनी किडनी दान कर रही थी, उसी समय पीलीभीत में एक बाप ने अपने भाई की जान बचाने के लिए अपनी दस साल की बेटी की आंत निकाल ली. और इस तरह दो बेटियां 'काम आ गईं', चाहे मर्जी से या बेमर्जी से.
पीलीभीत (Pilibhit) में 10 साल की बच्ची अनम की हत्या हो चुकी है. लेकिन, जिन कारणों से ये हत्या हुई और जिसने ये हत्या की, वह दिमाग सन्न कर देने वाला है. कारणों की चर्चा बाद में करेंगे, पहले जानिए कि इस अबोध बच्ची की जान लेने वाले कोई और नहीं, बल्कि उसके 'सगे' थे.
इधर लोग पिता को किडनी देने वाली बेटी रोहिणी के नाम की दुहाई दे रहे थे उधर अनम को उसके अपने ही पिता, चाचा और दादा मार रहे थे
मामला अमरिया थाना क्षेत्र के माधोपुर गांव का है. अनम को मारने वाले उसके अपने ही पिता अनीस, चाचा शादाब और दादा शहजादे हैं. उसकी हत्या की साजिश उसके दादा ने की थी. वे चाहते थे कि बच्ची का केस किडनैपिंग का लगे. इसलिए अनम का चाचा पहले उसे मेला घुमाने ले गया. उसे खिलाया-पिलाया और झूला झुलाया. वह खिलौने लेने की जिद कर रही थी मगर यह सोचकर नहीं दिलाया कि अब तो वह मरने वाली है. उन्होंने बच्ची के जूस में नींद की गोली मिलाकर पिला थी. वह बेहोश हो गई तो उसे खेत में पुल के नीचे छिपा दिया.
इसके बाद वे घर गए औऱ कहा कि बच्ची गायब हो गई है. थोड़ी देर बाद वे बच्ची को ढूढ़न के बहाने निकले. वे पुल के पास पहुंचे तो बच्ची बेहोश मिली. इसके बाद तीनों ने उसके ऊपर पत्थर से वार किया. उसके मुंह से आवाज न निकले इसलिए दादा ने उसका मुंह औऱ गला दबा दिया. पिता ने बच्ची के चेहरे पर पत्थर फेंका. बच्ची की आवाज सुनकर पिता ने मुंह पीछे घुमा लिया और छोटे भाई से कहा कि तुम मारो. इसके बाद बच्ची के चाचा ने उसकी जैकेट खोलकर चाकू उसके पेट के अंदर डालकर घुमा दिया. जिससे बच्ची की अंतड़ी बाहर निकल आई. इसके बाद वे बच्ची को मरता हुआ देखते रहे. उन्हें जब लगा कि वह मर गई तो उसे उठाकर गेंहू के खेत में थोड़ी दूरी पर डाल दिया.
हत्यारों का कहना था कि बेटी तो फिर पैदा हो जाएगी-
जिस परिवार को बचाने के लिए घर के मर्दों ने बच्ची की कुर्बानी दी थी वह परिवार अब पूरी तरह बिखर चुका है. असल में बच्ची के चाचा शादाब का पड़ोस की गांव की एक लड़की से प्यार हो गया. वे दोनों शादी करना चाहते थे मगर लड़की के भाई शकील को यह रिश्ता मंजूर नहीं था. इसके बाद शकील ने भागकर उस लड़की से शादी कर ली. इसके बाद दोनों परिवार एक-दूसरे के जान के दुश्मन बन गए.
इसी बीच शकील ने अपनी पत्नी के रेप का आरोप शादाब पर लगा दिया. कोर्ट ने इस मामले में वारंट जारी कर दिया. अब शादाब के घरवालों को समझ नहीं आया कि वे क्या करें? इसलिए उन्होंने अपनी बेटी की हत्या करके उसका इल्जाम शकील के ऊपर डालना चाहा. ताकि शकील पर समझौते का दबाव बनाया जा सका, मगर सच कहां छिपता है? हत्यारों का कहना था कि बेटी तो फिर पैदा हो जाएगी मगर परिवार बिखर गया तो?
बेटियों का क्या है? ये तो पैदा होते ही पराई कहलाने लगती हैं. वंश को बेटा चलातै हैं ना? इसलिए बेटियां मर भी गईं तो कौम सी आफत आ जाएगी. घर का चिराग जिंदा रहना चाहिए. तभी तो बेटियां अपना सबकुछ देने के बाद भी परिवार के लिए पराया धन ही होती हैं. अब रोहिणी आचार्य हों या अनम, बेटियों के नसीब में कुर्बानी ही लिखी रहती है....
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