पहले पीरियड से जुड़ा वो अंधविश्वास जिस पर अब हंसी आती है
अगली सुबह 4 बजे पलक को जगाकर मम्मी और मोहल्ले की कुछ महिलाएं उसे पास की छोपड़पट्टी ले गईं. इसके बाद उसे एक छोटा सा चाकू पकड़ाकर जो करने के लिए कहा गया सह सुनकर अब या तो आपको गुस्सा आएगा या फिर हंसी आएगी...
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अनीता घबराई हुई स्कूल से लौटी और साइकिल पटकते हुए घर के बाहर से ही मम्मी-मम्मी चिल्लाने लगी. उसने अपना स्कूल बैंग भी नहीं उतारा. मां ने आवाज सुनी तो वह भागे-भागे उसके पास पहुंची. मां ने देखा कि गोल-मोल अनीता बस रोए जा रही है. उसके पोनी टेल बने घने बाल पसीने से भीगे हुए थे.
मां ने पूछा क्या हुआ तुझे, क्यों रो रही है? अनीता ने एक सांस में ही अपनी पूरी बात बता दी. उसने कहा कि ‘मैं दोपहर में लंच करने के बाद अपनी सहेलियों के साथ खेल रही थी. तभी सीमा ने बताया कि मेरी स्कर्ट पर लाल रंग का कुछ लग रहा है. मां, मैंने चेक किया मुझे कहीं चोट भी नहीं लगी है लेकिन...’
ज्यादातर घरों में माहवारी को लेकर कई तरह के अंधविश्वास कायम हैं
इतना सुनते ही मां समझ गई कि अनीता के साथ क्या है? मां ने तुंरत कहा चल अंदर चल...ये सारी बातें अनीता की छोटी बहन पलक सुन रही थी. पलक ने देखा कि मोहल्ले की 2-3 महिलाएं शाम को घर के अंदर बैठकर बड़ी गंभीर मुद्रा में किसी विषय पर चर्चा कर रही हैं और वे मम्मी को समझा रही हैं. पलक को बस बीच-बीच में अनीता का नाम सुनाई दिया.
अगली सुबह भोर के 4 बजे पलक को घर के अंदर से 2-3 महिलाओं के बोलने की आवाज सुनाई दी. उसने देखा कि अनीता को लेकर महिलाएं घर के बाहर जा रही थीं. एक महिला के हांथ में छोटा चाकू था. पलक ने आवाज दी...'मम्मी कहां जा रही हो आप?' मां ने कहा हम पूजा करने मंदिर जा रहे हैं तुम सो जाओ.
सुबह जब पलक जगी तो देखा कि अनीता सो रही थी और वह स्कूल नहीं गई...पलक ने शाम को पूछा ‘दीदी तुम भी पूजा करने गई थी ना, कैसी पूजा थी? तब अनीता ने कहा ‘जब तेरा टाइम आएगा तुझे खुद पता चल जाएगा’ मैं नहीं चाहती तेरा यह टाइम जल्दी आए, इसलिए तू चुप रह. अनीता को तो यह लग रहा था कि पीरियड्स होना गंदी और बुरी बात है. मैं तुझे अभी नहीं बता सकती सबने मुझे मना किया है. थोड़ी देर बाद पलक इस बात को भूल गई.
इसके तीन साल बाद जब पलक को पीरियड हुआ तो उसे भी कुछ समझ नहीं आया, उसे लगा मानों उसे कोई खतरनाक बीमारी हो गई है. बड़ी हिम्मत के बाद उसने अपनी बड़ी बहन अनीता से कहा दीदी, मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मेरे पैरों में बार-बार ब्लड कहां से लग रहा है. अनीता तुरंत समझ गई उसने कहा, घबरा मत, कुछ नहीं हुआ तुझे, पीरियड होने पर ऐसा हर लड़की के साथ होता है. मैं भी डर गई थी. इसके बाद उसने मां को सारी बात बताई.
अब इस बार वह अंधविश्वास निभाने का समय पलक था. मां ने कहा, पलक सुबह पूजा करनी है तो जग जाना. पलक डरी हुई थी, बड़ी मुश्किल से उसे नींद आई. उसे लगा जैसे उसकी दुनियां बदल गई है और उसके साथ कुछ गलत हो रहा है. पलक को कपड़े से बना पैड दिया गया और बहुत कुछ समझाया गया.
इसके बाद अगली सुबह 4 बजे पलक को जगाकर मम्मी और मोहल्ले की कुछ महिलाएं उसे पास की छोपड़पट्टी ले गईं. इसके बाद उसे एक छोटा सा चाकू दिया गया और ढाई रस्सी का बांध काटने के लिए कहा गया. मतलब दो रस्सी को पूरा काटना था और एक को आधा...पलक को यह भी बताया गया था कि ऐसा करते हुए उसे कोई देखे ना. अगर किसी ने देखा तो इसे अशुभ माना जाएगा. पलक ने ठीक ऐसा ही किया.
घर आने के बाद उसने मां से पूछा, मम्मी ऐसा क्यों करते हैं तो मां ने बताया कि ऐसा करने से पीरियड दो और आधा दिन ही रहता है. मतलब तीन में पीरियड बहुत कम हो जाता है. तेरी बड़ी बहन अनीता ने भी किया था. मां ने पलक को हिदायत भी दिया कि वो किसी से इस ढोंग के बारे में ना बताए वरना कुछ बुरा हो जाएगा. पीरियड्स के दिनों में मां उसे नीचे तो नहीं सुलाती थी लेकिन सोने से पहले बेड पर पुरानी चादर जरूर बिछा देती.
जरा सोचिए कि रस्सी काटने और पीरियड्स का आपस में भला क्या संबंध है? आपको भी यह जानकर हैरानी हो रही होगी या फिर लग रहा होगा कि ये क्या बकवास है? हमें भी इस पिछड़ी प्रथा के बारे में जानकर बड़ी हैरानी हुई और हंसी भी आई लेकिन आज भी कई पिछड़े इलाकों में इसतरह के अंधविश्वास चोरी-छिप्पे निभाए जा रहे हैं. जबकि हकीकत यह है कि जिस लड़की ने रस्सी का बांध काटा उसे शुरुआत में 7 दिनों तक पीरियड्स हुए. जिसने अपनी कहानी हमें बताई वह खुद अपने किए पर हंस रही थी, लेकिन उसने अपना नाम बदल देने के लिए कहा.
पीरियड्स के नाम पर लड़कियों का मजाक बनाने वाले क्या जानेंगे कि पहली बार माहवारी होने पर उन्हें कितना डर लगता है? कैसा मसूसू होता है? ऊपर से आज भी ज्यादातर घरों में माहवारी को लेकर कई तरह के अंधविश्वास कायम हैं. इन घरों में पीरियड्स के समय मंदिर में पूजा ना करना, आचार न छूना, जमीन पर सोने का नियम तो है ही लेकिन इसके अलावा भी 10 कानून और हैं जिनके बारे घर की महिलाएं ही जानकर रह जाती हैं. ये अंधविश्वास हर शहर और गांव में अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन होते जरूर हैं.
घर के पुरुष भले ही इन बातों को जान लें लेकिन वे अनजान ही बने रहना चाहते हैं. काली पॉलीथीन में मेडिकल से कुछ सामान ले आना, बार-बार वाशरूम जाना, स्कूल बंक करना, पीरियड की परेशानी को पेट दर्द बताकर बहाना बनाना...पहली बार पीरियड होने पर हर लड़की की लगभग यही कहानी होती है.
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