जन्नत के लिए जिहाद में 12 साल के बच्चे की बलि!
कश्मीर में अपने घर में आतंकियों को पनाह देने वाले परिवार को बदले में अपने 12 साल के बच्चे की लाश देखनी पड़ रही है. एनकाउंटर के वक्त आतंकियों ने घर वालों की मिन्नत के बावजूद इस बच्चे को अपनी ढाल बनाए रखा.
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हाल ही में कश्मीर से एक ऐसी खबर आई है जिसके बारे में सोचकर ही रूह कांप जाए. एक मां के सामने उसके 12 साल के बेटे की क्षत-विक्षत लाश हो और पिता उसे दफन करने जा रहे हों तो कितना दुख भरा होगा उनकी आंखों में ये शायद कल्पना करना भी हमारे लिए आसान नहीं है. बात कश्मीर की है. वो कश्मीर जो अब जन्नत नहीं है. कश्मीर के बंदीपोरा इलाके के हाजिन गांव में रहने वाला आतिफ शफी. एक खुशमिजाज लड़का जो 6वीं क्लास में पढ़ता था.
आतिफ के घर वालों ने लश्कर के दो आतंकियों को अपने घर में पनाह दे रखी थी. वो आतंकी इसी घर के लोगों के साथ खाना भी खा रहे थे, लेकिन जब बात एनकाउंटर की आई तब इसी परिवार के बेटे को बंधक बना लिया और रोती-चिल्लाती मां से कहा कि पहले उसका बेटा मरेगा फिर वो (आतंकी). अंत में आतिफ की बलि चढ़ा दी गई. आतिफ को इसलिए आतंकियों ने पकड़ रखा था ताकि वो उसे ढाल की तरह इस्तेमाल कर सकें.
आतिफ के साथ जो हुआ वो कई सालों से कश्मीर ने नहीं देखा था. आतिफ की मां अपने बेटे की रिहाई के लिए बेचैन थीं और चिल्ला रही थीं, आतंकियों से मिन्नतें कर रही थीं कि उनके बेटे को छोड़ दिया जाए. पर आतंकियों ने उस लड़के को नहीं छोड़ा. अंत में वही हुआ जिसका डर था. आतिफ को छलनी कर दिया गया था. इसके लिए गलती किसे दी जाएगी? आतंकियों को या फिर आतिफ के घर वालों को जो तीन दिन से आतंकियों को अपने घर में रख रहे थे.
आतिफ की मां जो अपने बेटे की मौत पर रो रही है, आतिफ का वो घर जहां उसकी मौत हुई और तीसरी तस्वीर में आतिफ का जनाजा जहां हज़ारों लोग आए.
12 साल का आतिफ जो बन गया बंधक...
आतिफ के घर में तीन दिनों से लश्कर के आतंकियों को पनाह दी जा रही थी. घर वाले उन आतंकियों को खाना खिला रहे थे. सुरक्षा बलों ने घात लगाकर मीर मोहल्ला (हाजिन) में उस घर को घेर लिया. आतिफ के पिता मोहम्मद शफी मीर और उनके भाई अब्दुल हामिद मीर दोनों का भरा पूरा परिवार यहां 3 मंजिला घर में रहते थे. घर के सभी 8 लोग घर में ही मौजूद थे जब लश्कर के दो आतंकियों कमांडर अली और हुबैब को घेरा.
जब सुरक्षा बलों ने हरकत की तो आतंकियों ने गोलीबारी शुरू कर दी. पहले कुछ मिनटों में ही 6 लोग घर के बाहर आ गए, लेकिन आतिफ और उसके चाचा अब्दुल हामिद वहीं रह गए और आतंकियों ने उन्हें बंधक बना लिया. घंटों तक आतिफ के घर वाले आतंकियों से मनुहार करते रहे कि वो आतिफ को जाने दें, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. ये वही घर वाले थे जो लश्कर के उन पाकिस्तानी आतंकवादियों को घर में रख रहे थे.
कुछ समय बात अब्दुल हामिद भागता हुआ घर से बाहर आया और उसने बताया कि आतिफ को तीसरी मंजिल पर रखा गया है और जान बचाकर वो किसी तरह से भाग निकले. एक आतंकी ने उन्हें घर के आगे वाले कमरे में जाने को कहा था, लेकिन इसी समय मौका देखकर वो भाग निकले. अब्दुल जो आतंकियों की गिरफ्त से बचकर निकले हैं वो बार-बार कह रहे थे कि उन्होंने आतंकियों से दया की भीख मांगी. वो आतंकियों से बार-बार कह रहे थे कि उन्हें छोड़ दिया जाए. उन्हें क्यों कब्जे में रखा है, लेकिन उनकी एक न सुनी गई.
आतिफ वहीं फंसा रहा. आतिफ के घर वालों ने उन आतंकियों से कई बार मिन्नतें कीं. आतिफ के पिता जी ने कहा, 'ये जिहाद नहीं है, ये तो जहालत है. आतिफ एक बेकसूर बच्चा है. उसे छोड़ दो.'
Brutality of Pakistan backed terrorists.????See how the father of a 12-year-old Atif Mir appealing to terrorists to leave the child whom they made human shield during an encounter in #Hajin but they killed that child.????At the end both terrorists were killed by security forces. pic.twitter.com/CwX3TlXcCU
— Juned Wani (@juned_wani) March 22, 2019
सिर्फ पिता ने हीं नहीं बल्कि आतिफ की मां ने भी आतंकियों से फरियाद की.
Heart-wrenching appeal by a Kashmiri mother to release her hostage teenage son Atif Mir (12-yr-old).????Both father & mother begged the Pakistani terrorist to leave the child but they showed no mercy.Terrorists made him a human shield to escape & thn brutally killed him.????#Haijn pic.twitter.com/0fZuy9By7E
— Mauseen Khan (@mauseen_khan) March 22, 2019
इस वीडियो की भाषा भले ही समझ न आए, लेकिन इसमें मौजूद भाव जरूर समझ आएंगे. एक मां जो रुंआसी है, जो दुख के कारण ठीक से बोल भी नहीं पा रही है और जिसे अपने बेटे की तलाश है. 12 साल का आतिफ जन्नत के दरवाजे पर खड़े होकर ये सवाल जरूर करेगा कि किस काम की ये जन्नत जिसके लिए उसे बलि चढ़ा दिया गया. ये वीडियो असल कश्मीर की कहानी कहता है. प्रोपगैंडा के चलते कश्मीर में हिंदुस्तान को गलत साबित किया जाता है, हिंदुस्तानी सैन्य बलों को विलेन बनाया जाता है और सोशल मीडिया पर मानव अधिकारों की दुहाई दी जाती है. 2017 में जब एक आर्मी मेजर ने पत्थरबाज़ी के दौरान एक कश्मीरी को ह्यूमन शील्ड बनाया था तब पूरे कश्मीर में विरोध प्रदर्शन हुआ था और हर जगह उसे गलत कहा जा रहा था. मैं उस वाक्ये पर कोई राय नहीं दे रही पर उसकी याद करते हुए एक सवाल जरूर करना चाहूंगी. क्या 12 साल के बच्चे के साथ ऐसा गुनाह करने वाले आतंकियों के खिलाफ अब कश्मीरी आवाम नहीं होगी? क्या उन्हें ये नहीं लगना चाहिए कि वो बच्चा आज जिंदा हो सकता था अगर आतंकियों को घर में पनाह नहीं दी जाती.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट कहती है कि आतंकी आतिफ की बहन के साथ यौन शोषण करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन परिवार ने किसी तरह से उन्हें बाहर भेज दिया. आतिफ की मां आतंकियों से कह रही थीं कि आतिफ को छोड़ दिया जाए, वो कह रही थीं कि तुमने तो हमारे यहां खाना खाया है. इस बच्चे के साथ ऐसा क्यों कर रहे हो. अगर वाकई आतंकियों ने उस घर की लड़की पर बुरी नजर डाली थी तो उस घर के लोगों का कलेजा तभी कांप जाना चाहिए था कि उनके घर में कुछ भी हो सकता है. ये आतंकी किसी के सगे नहीं होते जिस घर में खाना खाया वहीं चिराग बुझाकर चले गए. अपने एकलौते बेटे की लाश देखकर उस परिवार के मन में जो दुख होगा उसकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती, लेकिन अगर कश्मीर में अभी भी लोग आतंकियों के सपोर्ट में लगे रहे तो हालात और बिगड़ेंगे.
पुलिस का कहना है कि आतंकियों ने लड़के को पहले ही मार दिया था. फिर घर में धमाका किया गया. आतिफ के जनाजे में हज़ारों लोग आए और कई कश्मीरी सोशल मीडिया के जरिए अपनी बात कह रहे थे. कुछ के हिसाब से तो अभी भी सुरक्षा बल जिम्मेदार हैं शायद उन लोगों ने आतिफ की मां का रोता हुआ चेहरा नहीं देखा जो ये साफ कर देता कि आतिफ की मौत के लिए जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ वो आतंकी हैं, लेकिन इस घटना के बाद कुछ कश्मीरियों की आंखें खुली हैं और वो ये कह रहे हैं कि ये जुर्म आतंकियों ने किया था. सोशल मीडिया पर ऐसे कश्मीरियों की भी कमी नहीं है.
लोग अपना गुस्सा दिखा रहे थे, कश्मीर की आज़ादी के नारे भी लगाए जा रहे थे, लेकिन दबी जुबान में कुछ लोग ये भी कह रहे थे कि आतंकी जानते थे कि उनकी मृत्यु निश्चित है, वो उस लड़के को छोड़ सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.
क्या पंजाब की राह चल पड़ा है कश्मीर?
आतिफ की मौत अपने साथ कई सवाल छोड़ गई है. ये हालात कश्मीर में नए हैं जब आतंकी अपने सामने बच्चों को बंधक बनाकर उन्हें कवच के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं. एक समय था जब पंजाब में भी ऐसा ही दौर सामने आया था. उग्रवादियों को आम लोग पनाह देते थे और उस समय इन लोगों के घरों में ही आतंक फैलने लगा था. महिलाओं का रेप होने लगा था, बच्चों को मारा जाने लगा था और ये उग्रवादी परेशानी का सबब बन गए थे. ये वो दौर था जब केपीएस गिल पंजाब के डायरेक्टर जनरल हुआ करते थे. उस दौर में आम लोगों को बहुत परेशानी होती थी और आखिर पंजाब की जनता ने उग्रवादियों के खिलाफ आवाज़ उठानी शुरू कर दी थी.
कश्मीर का ये किस्सा भी कुछ-कुछ वैसा ही है. अभी तक कश्मीरी आज़ादी की बात करते थे, अभी तक कश्मीरियों को लगता था कि जिहादी उनके भले के लिए हैं, लेकिन अब कुछ लोगों की आंखें तो खुली हैं. कुछ को ये समझ आया है कि ये आतंकी किसी के सगे नहीं हैं.
आतिफ के पिता उसे पास के ही एक बोर्डिंग स्कूल में भेजने के बारे में सोच रहे थे, लेकिन एक पिता के सपने कैसे टूटते हैं और एक मां का कलेजा कैसे छलनी होता है ये तो आतिफ की कहानी बता सकती है. कश्मीर में आतंकवाद ने जिस तरह से अपनी पकड़ जमा रखी है वो दहशत की नई कहानी कहता है. नन्हे आतिफ की मौत ने जैसे अंदर से झकझोर दिया है. आतिफ की मौत उन लोगों के मुंह पर तमाचा भी है जो खुलेआम आतंकियों का समर्थन करते हैं. किसी और को गलती देने से पहले अगर ऐसे लोग ये जान जाएं कि आतिफ जैसे न जाने कितने बच्चे इन आतंकियों के कारण खतरे में हैं तो शायद कश्मीर की स्थिति कुछ सुधरे. इन्हें आतंकी कहा ही इसलिए जाता है क्योंकि ये आतंकवाद का साथ देते हैं न किसी इंसान का. इनके लिए उस घर के बच्चों की भी कोई कीमत नहीं होती जो इन्हें पनाह देते हैं. ऐसे में भला क्यों लोग इनके बहकावे में आ जाते हैं ये सवाल बेहद पेचीदा है.
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