बदलते हुए व्यस्त जीवन शैली ने किताबों को दरकिनार सा कर दिया है!
जीवन का लक्ष्य बताने वाली, मंजिल तक जाने का जरिया है ये किताबें. अब्दुल कलाम को डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम बनाने वाली किताबें या भीमराव को भारतरत्न दिलाने वाली किताबें, एक आम आदमी से करोड़ो का आदर्श बनने का साधन है ये किताबें.
-
Total Shares
अ से अनार से शुरू होता ये सिलसिला ज्ञ से ज्ञानी तक जाता है. नर्सरी की राइम्स से होकर न जाने कब ये जिंदगी का सबक भी सिखाने लगती है. न जानें कब ये किताबें एक साथी का एहसास देने लगती हैं. कभी पढ़ते पढ़ते नींद आ जाए तो मखमली तकिए सी हो जाती है, फिर कभी खर्च होने वाले पैसों का गुल्लक बन जाती हैं, दोस्त से मिली चिट्ठी संभालनी हो तो वो भी ये कर जाती हैं.
ट्यूशन से घर आते वक्त धूप से बचने को छाते की तरह काम आती है. पिता जी की डांट से बचने का सहारा भी बन जाती है. सीखने सिखाने के साथ साथ एक नहीं कई तरीकों से हमारी जिंदगी में एक दोस्त, एक साथी का किरदार निभाती हैं ये किताबें.
जीवन का लक्ष्य बताने वाली, मंजिल तक जाने का जरिया है ये किताबें. अब्दुल कलाम को डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम बनाने वाली किताबें या भीमराव को भारतरत्न दिलाने वाली किताबें, एक आम आदमी से करोड़ो का आदर्श बनने का साधन है ये किताबें.
इंसान अपने जीवन का अधिकतर हिस्सा इन्हीं के साथ गुजारा करता था. पर आज सच्चाई कुछ और है. किताबें अब केवल अलमारी में सजाई ही नजर आती है. व्यस्त जीवन और बदलते जीवन शैली ने किताबों को दरकिनार सा कर दिया. एक दोस्त बिछड़ जाने पर जैसा दुख हमे होता है शायद वैसा ही दुख इन बक्से में बंद पड़ी किताबों को भी होता होगा.
हाय स्पीड डेटा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अद्वितीय तकनीकी आविष्कारों की इस दुनिया में हमने अपने पुराने साथी को कहीं खो दिया. जो रिश्ता उनसे हुआ करता था उसकी जगह अब मोबाइल और इंटरनेट ने ले ली है. हमारे हर सवाल का जवाब उसपे उपलब्ध है इसलिए कई लोग तो किताब खोलने का कष्ट भी नहीं करते. अपने उत्तर वो केवल कुछ क्लिक में ढूंढने लगते है.
पिछले कुछ सालों में स्कूलों में भी डिजिटल शिक्षा पर अधिक जोर दिया गया जिसके कारण बच्चे अपना अधिकतर समय मोबाइल और यू ट्यूब पर बिता रहे हैं. युवा वर्ग भी ज्यादा समय सोशल मीडिया और वीडियो गेम्स पर बिताते है. किताबें पढ़ने में उन्हें खास दिलचस्पी नही है.
आज के समय की बहुत बड़ी खामी है की किताबें उस लगाव और उत्साह से नही पढ़ी जाती जैसी पहले हुआ करती थीं. जिसकी वजह से जो दोस्ती उनसे हुआ करती थी अब वो कहीं न कहीं पीछे छूटती नजर आने लगी है.
आपकी राय