कुछ 'सही' बताने वालों ने जीना हराम कर दिया है !
यह जो गलत को सही करने पर तुले हुए हैं, इन्होंने जीना हराम कर रखा है. यह जो आपको सही मुसलमान और वास्तविक हिन्दू बना रहे हैं न, असलियत में आपकी नसों में जहर भर रहे हैं.
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तुम सही मुसलमान नहीं हो. आओ तुम्हें सही मुसलमान बनाएं. तुम देखो तुममें कितने गुनाह शामिल हो रहे हैं. तुम्हारे किस कदम से तुम्हारा खुदा नाराज हो रहा है. तुम्हारे रंग खेलने, गाना गाने, ढोल तमाशे में देखो इस्लाम नहीं है. तुममें दूसरे मआशरे की बुराइयां आ गई हैं. तुम हल्के हल्के बुतपरस्ती तक जा रहे हो. तुम दूसरों में इतना घुल मिल रहे हो कि तुममें मौजूद इस्लाम अकेला पड़ रहा है. आओ हम तुम्हें सही इस्लाम बताएं. तुम्हें हर बहके हुए, गैर शरई, गैर इस्लामिक चीजों से बचाएं. तुम जन्नत की ज़ीनत हो. यहां दुनियावी चकाचौंध में मत पड़ो. सही मुसलमान बनो. जिसका दिल सिर्फ मुसलमान के लिए धड़के. मैं तुम्हें सच्चा मुसलमान बनाउंगा.
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तुम कैसे हिन्दू हो. तुममें सनातन तो है ही नहीं. तुम मस्जिद के सामने भी कतार लगाए हो और मज़ार के सामने भी. तुम बाबर की औलादों को अपना समझ रहे हो. तुम इन आतताइयों, मलेच्छों के साथ उठ बैठ रहे हो. तुम्हारे हृदय में वास्तविक सनातनी संस्कृति लगातार दम तोड़ रही है. जिन्हें तुम्हें त्रिशूल पर टांग देना चाहिए उन्हें तुम अपना रहे हो. तुम्हारे धैर्य की परीक्षा बहुत हुई. तुम्हारी सहिष्णुता अब तुम्हारी कमजोरी बन गई है. उठो और अपनी वास्तविक संस्कृति और धर्म की रक्षा करो. हम तुम्हें एक सही हिन्दू बनाएंगे. जिसका हृदय,आत्मा और शरीर केवल और केवल हिन्दू होगा.
यह जो दोनों तरह के सही बनाने वाले गलत लोग हैं. इन्होंने ही जीना हराम कर रखा है. यह जो आपको सही मुसलमान और वास्तविक हिन्दू बना रहे हैं न, असलियत में आपकी खूबसूरत नसों में जहर भर रहे हैं. यह जो सही वाला कॉन्सेप्ट है न, यही सबसे गलत है. यह आपको दूसरे धर्मों, संस्कृतियों से अलग कर रहे हैं. उनकी खूबियों से किनारे कर रहे हैं दिलों में इतना फासला पैदा कर रहे हैं कि आपको सामने वाला इंसान हर वक़्त गुनहगार और प्रत्येक दिन पापी अधर्मी नजर आए.
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मैं नहीं कहता मैं सही हूं, बस एक बार ठहर जाइये. थोड़े बिगड़े रहिये. पूरा सही मत होइये. आपके बिगड़ने से दिल संवरते हैं. आपका दूसरी संस्कृति के प्रति लगाव, ईश्वर की मंशा का विस्तार है. आपकी दूसरे मआशरे की मोहब्बत आपके दिल को नरम करती है. मैं फिर कह रहा हूं, ऊपर की तरह सही मत बनिए. गलत ही रहिए. यकीन मानिये अब तक आप गलत थे, तो धर्म पर थे, जबसे यह सही करने लगे तबसे आप अधर्मी हो गए.
बहकिए मत, धड़कते दिल आपका सहारा ढूंढ रहे हैं. मोहब्बत से उन्हें थाम लीजिए. थोड़े गलत भी हुए तो क्या हुआ, कम से कम दूसरे का दिल तोड़कर महापाप तो नहीं किया. किसी की रूह को नोचकर दोज़ख का रास्ता तो नहीं खोला. हल्का-फुल्का एक दूसरे के साथ घुलमिल कर इंसान बने रहिए.
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