छेड़खानी से तंग आकर बेटी ने दे दी जान, पिता से की गई आखिरी ख्वाहिश दिल चीर देती है!
एक पिता का कलेजा फट गया होगा जब उसकी बेटी के मरने के बाद उसका सुसाइड नोट हाथ में आया होगा. इससे भी ज्यादा तब जब उस लेटर में लिखा होगा कि पापा मेरी मौत का बदला जरूर लेना. पिता का दिल बैठ गया होगा जब उसे यह पता चला होगा कि मेरी बेटी इतने महीनों तक कितना कुछ सहती रही.
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एक पिता का कलेजा फट गया होगा जब उसकी बेटी के मरने के बाद उसका सुसाइड नोट हाथ में आया होगा. इससे भी ज्यादा तब जब उस लेटर में लिखा होगा कि पापा मेरी मौत का बदला जरूर लेना. पिता का दिल बैठ गया होगा जब उसे यह पता चला होगा कि मेरी बेटी इतने महीनों तक कितना कुछ सहती रही.
जौनपुर में एक बेटी ने छेड़खानी से तंग आकर फांसी लगा ली
दरअसल, यूपी के जौनपुर में दिल को दुखाने वाली एक घटना सामने आई है. यहां 15 साल की एक लड़की ने छेड़खानी से तंग आकर अपनी जिंदगी को खत्म करने का फैसला लिया और फांसी लगा ली. सुबह के समय काफी देर होने के बाद भी जब वह अपने कमरे से बाहर नहीं निकली तब मां उसके रूम में गईं, जहां बेटी को फांसी पर लटकते देख उनके पांव तले जमीन खिसक गई. उनकी चीख सुनकर पड़ोसी इकट्टठा गए.
यह घटना जौनपुर के सुरेरी थाना क्षेत्र की है जहां विशेष समुदाय के लोग ज्यादा रहते हैं. लड़की ने एक सुसाइड नोट छोड़ा है जिसमें उसने अपने पिता से अपनी मौत का बदला लेने की बात कही है. सुसाइड नोट के अनुसार, एक विशेष समुदाय के लड़के उससे छेड़खानी करते थे. वे लड़के पिछले तीन साल से उसे परेशान करते थे. पिता ने कहा कि लोक-लाज के कारण मेरी बेटी ने किसी को कुछ नहीं बताया.
पिता ने यह भी कहा कि गांव के ही रुस्तम, वारिस और अली रजा नाम के लड़के मेरी बेटी को परेशान कर रहे थे. इन्ही लोगों की वजह से मेरी बेटी ने मौत को गले लगा लिया.
पिता ने कहा कि सुसाइड नोट में मेरी बेटी ने लिखा है कि.” पापा आप इनसे मेरी मौत का बदला जरूर लेना.” उन्होंने कहा कि ये लोग काफी दबंग है और गांव की बहू बेटियों को अक्सर परेशान करते हैं.
बेटी को खोने के बाद से ही मां बेहोशी ही हालत में हैं, उन्हें जब भी होश आता है वे पति से एक ही बात कहती हैं कि मेरी बेटी की मौत का बदला जरूर लेना. दूसरी तरफ छेड़खानी की इस घटना के बाद से ही गांव में तनावपूर्ण माहौल है.
असल में यह घटना दो समुदायों से जुड़े होने के कारण गांव में पुलिस पीएसी तैनात कर दी गई है और कार्रवाई भी का जा रही है. अब सवाल यह है कि इससे होगा क्या, क्योंकि कल फिर किसी बेटी के साथ छेड़खानी हो जाएगी और आदतन यह तो हमारे लिए बहुत ही छोटी सी बात है.
आखिर लड़कियों को खुलकर बोलना क्यों नहीं सिखाया जाता ताकि उसे ऐसा माहौल मिले कि वह अपने मन की बात अपने घरवालों को तो बता सके. उसके साथ कुछ गलत हो तो बता सके. हमारे यहां तो लड़की छेड़ने की घटना को बहुत छोटा माना जाता है. जैसे यह कोई अपराध है ही नहीं. दूसरी तरफ समाज के लोग दोष उस लड़की को ही देते हैं कि वह ऐसी थी, वैसी थी. गलती लड़की की थी, उसे नजरें झुकाकर चलना चाहिए था, उसे पलटकर जवाब नहीं देना चाहिए था. उसे बर्दाश्त कर लेना चाहिए था. उसे इगनोर कर लेना चाहिए था...
सदियों से लड़कियां यही तो करते आई हैं, वरना समाज में उनकी इज्जत का क्या होगा, इनसे शादी कौन करेगा. लड़कियों को संस्कार के साथ यह सब सिखाना लोग क्यों भूल जाते हैं कि किसी का भी जुर्म मत सहना…
अब अपनी बेटी को खोने के बाद एक पिता क्या बदला लेगा, क्या बदला लेने से उसकी बेटी उसे मिल जाएगी. आपको क्या लगता है कि एक पिता अपनी बेटी की ये आखिरी ख्वाहिश कैसे पूरी करेगा.
एक पिता उसकी बेटी को छेड़ने वाले के साथ क्या करेगा, जब वह गरीब है, असहाय है. क्या वह उन लड़कों को भी छेड़ेगा या फिर मारेगा...ऐसा कौन सा उपाय है जिससे लोग लड़कियों को चैन से जीने देंगे.
ऐसा क्या किया जाए कि लड़कियों के साथ छेड़खानी और रेप जैसी घटनाएं बंद हो जाएं...कभी-कभी तो लगता है कि काश ऐसी कोई जड़ी-बूटी होती तो इन अपराधियों को सूंघा दी जाती जिससे वे कभी किसी महिला के साथ दुर्व्यवहार नहीं करते. आखिर एक पिता अपनी बेटी के उत्पीड़न का बदला कैसे ले सकता है, यह तो कानून का काम है...लेकिन किसे क्या फर्क पड़ता है. इस बात की क्या गारंटी है कि कल किसी लड़की को नहीं छेड़ा जाएगा…
यह घटना वाकई दिल तोड़ देती है लेकिन आखिर इससे बदलेगा क्या, कुछ नहीं. बेटियों के लिए कल क्या बदल जाएगा. उस मासूम की लिखी बातें दिल को कचोट लेती हैं, ऐसा लगता है कि उसने अपने मन की बात आखिर किसी को क्यों नहीं बताई. वह क्यों अकेले इतना कुछ सहती रही. वजह साफ है लोक-लाज और समाज का डर...जो बेटियों को चुप रहना सिखाता है.
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