महिला सुरक्षा पर रणनीति तैयार करने वाले कार्यक्रम में ही छेड़ दी गई लड़की !
Congress के लिए तो पहले से ही कुछ अच्छा नहीं चल रहा है अब Indore में Youth Congress के एक कार्यक्रम में कुछ ऐसी घटना हो गई की एक बार फिर बहस छिड़ गई है Women Safetyऔर नारी सम्मान पर, इस महिला सुरक्षा को अमल में किस तरह लाया जा सकता है उसकी भी चर्चा होनी चाहिए.
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इंदौर में पिछले दिनों एक गज़ब घटना घटी जिसकी चर्चा हो रही है, और चर्चा हो भी क्यों न बात ही ऐसी है. इंदौर के प्रेस क्लब में Youth Congress नेताओं का जमावड़ा था, बात हो रही थी Farmer Protest की और साथ ही महिला सुरक्षा को लेकर भी रणनीति तैयार की जा रही थी. इसी बीच एक कार्यकर्ता ने ही कार्यक्रम में मौजूद लड़की को छेड़ दिया, जिसके बाद जमकर बवाल हुआ. लड़की ने लड़के का गिरेबान पकड़कर घसीटते हुए विरोध दर्ज किया, जिसके बाद कार्यक्रम में मौजूद सभी लोग सकते में आ गए कि आखिर ये हो क्या रहा है. जब तक लोग कुछ समझ पाते और जान पाते तब तक वह युवक भी वहां से फरार हो गया और पीड़ित लड़की भी वहां से गायब हो गई. इस घटना को सुनकर भले ही आपके दांत निकल पड़ें और आप हंस बैठें लेकिन ये एक संवेदनशील घटना है जिसपर चिंता होनी चाहिए. यूं तो वैसे भी महिलाओं की सुरक्षा का बंदोबस्त ज़बरदस्त तरीके से करना चाहिए और गारंटी होनी चाहिए महिलाओं के सम्मान और उनकी सुरक्षा की.
यूथ कांग्रेस के प्रोग्राम में कुछ यूं हुई लड़की के साथ छेड़छाड़
भारत में नारी या महिला के सम्मान को देवी के साथ जोड़ कर देखा जाता है. भारत में नारी का सम्मान इसलिए भी होना चाहिए क्योंकि यहां का पुरुष समाज नजाने कितनी देवी को पूजता है. उनके ही आशीर्वाद से ज़िंदगी की सीढ़ी चढ़ता है, और ऐसे देश में महिलाओं की सुरक्षा की बातें की जाए तो यह अपने आप में निराशाजनक है. महिला सुरक्षा के लिए देश में कड़े कानून भी बनाए गए हैं. वर्ष 2018 में इस कानून को और सख्त भी कर दिया गया था, जिसमें बालात्कार जैसे वारदातों के लिए कठोरता बरती गई थी.
अनुमान लगाया जा रहा था कि अब महिलाओं की सुरक्षा बढ़ जाएगी महिलाओं के अपराध में कमी आ जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. न तो महिलाओं के प्रति अपराध कम हुआ है और न ही बालात्कार जैसी वारदात. हमारे सामने अकसर ऐसी खबरें आया करती हैं जहां दर्दनाक तरीके से बालात्कार जैसी घटना होती हैं साथ ही ऐसे कई बालिका गृह से भी मामले सामने आते हैं जहां पर शोषण होता है.
भारतीय संविधान में इतने सख्त और कठोर नियम कानून होने के बावजूद महिलाओं के प्रति अपराध में कमी न आ पाने का साफ मतलब है कि इन अपराधों को रोकने के लिए केवल कानून ही काफी नही है बल्कि इसके प्रति ज़मीनी स्तर पर जागरुकता फैलाए जाने की ज़रूरत है. महिलाओं के प्रति सम्मान भाव पैदा करने की ज़रूरत है. महिलाओं को अगर अपनी सुरक्षा चाहिए तो इसके लिए सबसे पहला कदम उनको ही उठाए जाने की ज़रूरत है.
एक महिला ही अपने बच्चों की परवरिश और उनके पालन पोषण के वक्त ही महिलाओं के प्रति सम्मान को पैदा करने का काम करे. जब देश के हर घर में महिलाओं के प्रति जागरुकता उनके ही घर से फैलाई जाएगी तो यकीनन एक दिन महिलाओं की सुरक्षा देश का हर नागरिक करने लग जाएगा. महिला सुरक्षा की चर्चा होना या महिला सम्मान का नारा देना ही काफी नहीं होता है इसके लिए सभी को अमल करने की भी ज़रूरत होती है.
इंदौर में जो हुआ वो कतई सही नहीं था. हम यह भी नहीं कहते कि उस कार्यक्रम में मौजूद सभी लोग ऐसे थे लेकिन वहां पर एक ऐसे इंसान के होने का साफ मतलब है कि ऐसे लोगों की तादाद अधिक है. इन्हें महिलाओं की सुरक्षा और उनका सम्मान करना सिखाया नहीं जा सकता है बल्कि इनको पहला सबक इनके ही घरों से मिल सकता है. कानून कितना भी कड़ा हो पर वह लोगों के दिल में डर नहीं पैदा करेगा क्योंकि किसी को लगता ही नहीं कि लड़की छेड़े जाने या बालात्कार करने के बाद वह पकड़ में आएंगें.
जब वह पकड़ में आते हैं तब उन्हें कानून से डर लगता है लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है. हर युवक को अगर घर से ही सही शिक्षा मिलने लग जाएगी तो एक दिन ये माहौल पूरी तरीके से बदल जाएगा. आखिर जो छेड़खानी या बालात्कार जैसी घटना को अंजाम देता है वह भी किसी का बेटा, भाई और पति होता है जबकि जो शिकार होती है वह भी किसी की बेटी, बहन या पत्नी होती है.
जब घर में ही महिलाओं के सुरक्षा के प्रति चर्चा होगी बातचीत होगी सही गलत के अंतर पर बातचीत होगी तो ज़ाहिर सी बात है घर के युवकों पर भी उसका असर होगा. लेकिन कुल मिलाकर बात सिर्फ इतनी सी है कि महिला सुरक्षा के नारे लगाना या उसपर मंथन करना अलग बात है और महिला सुरक्षा पर हुई बातों पर अमल करना अलग बात.
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