उस लड़की की कहानी जिसने प्रेग्नेंट होने पर किसी को बिना बताए एबॉर्शन पिल खा ली
नेहा की सच्ची कहानी से जानिए कि जब एक गर्भवती (Pregnant) लड़की अपना गर्भपात (Abortion) करने के लिए बिना किसी को बताए एबॉर्शन पिल (Abortion pill) खाती है तो उसके साथ क्या होता है?
-
Total Shares
मुंबई की रहने वाली 22 साल की नेहा (बदला हुआ नाम) रिलेशनशिप में थी. उसका ब्रेकअप हो चुका था. वह एक कंपनी में इंटरशिप कर रही थी. वह जिंदगी में आगे बढ़ रही थी. कुछ दिनों में उसे एहसास हुआ कि उसका वजन बढ़ रहा है. उसे लगा कि वह अपनी जॉब और लाइफ से खुश है इसलिए वह वेट गेन कर रही है.
हालांकि जब उसके पीरियड्स 10 दिन लेट हुए तब उसने प्रेग्नेंसी टेस्ट किया, जिसका रिजल्ट देखकर नेहा के होश उड़ गए. उसने देखा कि किट में दो लाइनें बनी थी. हालांकि उसे यकीन था कि वह गर्भवती नहीं है. इसलिए उसने कुछ और दिन इंतजार करने का सोचा.
नेहा को लगा कि पीरियड्स में कुछ दिनों की देरी होना आम बात है. हालांकि उसने 4-5 दिनों बाद अपने जन्मदिन वाले दिए एक बार फिर से टेस्ट किया औऱ उसे पता चला कि वह गर्भवती है. अब पढ़िए कि जब एक अकेली लड़की बिना किसी को बताए इस सिचुएशन में फंसती है तो उसके साथ क्या होता है?
असल में हमारे समाज में एक बिन ब्याही लड़की का गर्भवती होना अभी भी सामान्य बात नहीं है. सबसे पहले तो उसके कैरेक्टर पर उंगली उठाई जाती है फिर उसे जी भर के कोसा जाता है. अगर वह सिंगल मदर बन भी जाती है तो दुनिया वाले उसे जीने नहीं देंगे. ऐसे मामलों में परिवार वाले भी साथ नहीं देते. नेहा को भी इसी बात का डर था. इसलिए उसने किसी को अपनी प्रेग्नेंसी के बारे में नहीं बताना चाहती थी. एक तो उसने अभी-अभी करियर की शुरुआत की थी. अगर वह मां बनती तो भी बच्चे की जिम्मेदारी उस अकेले को झेलनी पड़ती.
यह सिर्फ नेहा की कहानी नहीं है. ऐसी ना जाने कितनी लड़कियां इस स्तिथी में फंसती हैं और धीरे से मेडिकल स्टोर से एबॉर्शन की दवाई खरीद कर खा लेती हैं
नेहा अंदर से घबराई हुई थी. उसने सुबह 3.30 बजे टेस्ट किया और फिर सो गई. वह काम पर जाने से पहले डॉक्टर के पास गई और अपना बल्ड टेस्ट कराया. इसके बाद वह रोजाना की तरह ऑफिस चली गई. रोज की तरह सूरज वही था, हवाएं भी वही थी लेकिन नेहा खुश नहीं थी. कुछ था जो उसे अंदर ही अंदर कचोट रहा था. वह खोई-खोई थी जैसे उसके आस-पास सन्नाटा हो.
नेहा ने अल्ट्रासाउंड कराने की सोची, जिससे उसे पता चला कि उसकी प्रेग्नेंसी को 6 से 7 सप्ताह पूरे हो चुके हैं. वह मन ही मन खुद को कोसने लगी. उसने अभी भी किसी को इस बारे में नहीं बताया. वह चुपचाप मेडिकल स्टोर पर गई और एबॉर्शन पिल खरीदकर खा ली. मगर अब जो नेहा के साथ होने वाला था उसे इस बात का अंदाजा भी नहीं था.
दवाई खाने के बाद नेहा को ऐसा दर्द हुआ कि ना वह खड़ी हो पा रही थी ना बैठ पा रही थी. जैसे पेट के अंदर कोई चाकू चला रहा हो. जैसे पीरियड का दर्द सौ गुना बढ़ गया है. उसकी आंखों के सामने सब धुंधला दिख रहा हो. वह चिल्लाना चाहती थी मगर ढंग से रो भी नहीं पा रही थी. उसने जिंदगी में ऐसा दर्द कभी नहीं सहा था. वह मन ही मन खुद को हिम्मत दे रही थी. उसे मम्मी-पापा और परिवार के बाकी दूसरे सदस्यों के चेहरे दिख रहे थे. वह पसीने से तरबतर हो रही थी और आंखों से थप-थप आंसू गिर रहे थे. ऐसा लगा जैसे पानी और खून एक साथ बह रहा हो. कितने भी पैड लगा लो उसे रोकना मुश्किल था. मुझे दस्त औऱ उल्टियां हो रही थीं.
मगर अभी नेहा की मुश्किले खत्म नहीं हुई थीं. उसके इतना दर्द सहने के बाद एबॉर्शन सही से नहीं हुआ था. इसके बाद उसने सोनोग्राफी करवाई. जिससे पता चला कि अभी भी उसके अंदर छोटे-छोटे टिशू बचे हुए थे. वह सोच रही थी कि काश कोई ऐसी दवाई खाई होती जिससे सब एक ही बार में क्लीयर हो गया होता. वह शारीरिक रूप से कमजोर हो गई थी. वह अचानक रोने लगती थी. उसके मन में अपने बच्चे का ख्याल आ रहा था. उसने बच्चे की धड़कन जो सुनी थी. वह इमोशनली कमजोर पड़ रही थी मगर उसके पास कोई और दूसरा रास्ता नहीं था.
आखिरकार उसने वैक्यूम प्रोसीजर कराने की सोची. इससे उसे दर्द को नहीं हुआ मगर पैसे काफी खर्च हो गए. आखिरकार उसे यह बात अपने एक्स को बतानी पड़ी. उसके एक्स ने कहा कि जो भी खर्चा आएगा हम आधा-आधा बांट लेंगे. काश कि वह नेहा का आधा दर्द भी बांट पाता. एबॉर्शन में नेहा का शरीर गया , मन गया औऱ धन भी गया.
नेहा अपनी प्रेग्नेंसी की खबर जानने से लेकर एबॉर्शन तक एकदम शांत थी. उसकी मानसिक हालात का अंदाजा इस बात से लगाइए कि उसे कुछ महसूस ही नहीं हो रहा था. दुनिया में क्या हो रहा है. आस-पास कौन क्या कह रहा है किसी बात से उसे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था. वह बस जी रही थी जिंदा नहीं थी. सोचिए वह अकेले कितनी रोई होगी, ना जाने कितनी रातें बिना सोए बिताई होगी, आखिर वह कितने टेंशन में होगी...उसे डर होगा कि कोई उसे इस हालत में देख ना ले.
किसी को गलती से इस बात का पता न लग जाए. नेहा के लिए वह एक बुरा सपना था जो अब एक धुंधली याद बनकर उसके अंदर कहीं रह गया है. उसे यकीन नहीं होता है कि यह सब उसके साथ हुआ. जो लड़की सुई लगवाने से डरती वह अकेले ही एबॉर्शन कराने चली गई. नेहा कहती है कि काश अबॉर्शन के लिए कोई ऐसी दवा होती जो 100 फीसदी इफेक्टिव होती और जिससे दर्द कम होता.
नेहा ने का कहना है कि "वह दौर काफी अलग था. यह फिल्मी सीन से अलग था. यह बहुत मुश्लिक था. इन सब में मेरी स्किन खराब हो गई है. अब स्किन डॉक्टर के पास जाना पड़ेगा. अब मैं सामान्य हूं. यह मेरी छोटी सी गलती थी. अब मैं जानती हूं कि मुझे अपना लाइफ में क्या करना है?"
यह सिर्फ नेहा की कहानी नहीं है. ऐसी ना जाने कितनी लड़कियां इस स्तिथी में फंसती हैं और धीरे से मेडिकल स्टोर से एबॉर्शन की दवाई खरीद कर खा लेती हैं. इनमें से कितनी लड़कियों की जान पर बन आती है. नेहा की कहानी से समझ आता है कि बिन ब्याही लड़की अगर गर्भवती हो जाती है तो उसे क्या कुछ झेलाना पड़ता है...
आपकी राय