जहां घर-घर थेपला बनता है, वो गुजरात ब्रांडेड फ्रोजन पराठों पर 18% GST से क्यों परेशान होगा?
जिस देश की करीब 27 करोड़ की आबादी अभी भी गरीबी रेखा के नीचे (Below Poverty Line) रहती हो. और, केंद्र सरकार की कोरोना काल के दौरान शुरू हुई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (Ration Scheme) का लाभ करीब 80 करोड़ की जनता ले रही हो. वहां फ्रोजन पराठे (Frozen Paratha) पर 18 फीसदी GST पर रोना जरूरी नहीं लगता है.
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गुजरात की अपीलेट अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग (AAAR) ने रेडी टु कुक यानी फ्रोजन पराठे पर 18 फीसदी जीएसटी लगाने का फैसला किया है. जिस पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि 'खाने-पीने की चीजों पर तो अंग्रेजों ने भी टैक्स नहीं लगाया था. आज देश में महंगाई का सबसे बड़ा कारण केंद्र सरकार द्वारा लगाया जा रहा इतना ज्यादा GST है. इसे कम करना चाहिए और लोगों को महंगाई से छुटकारा दिलवाना चाहिए.' इस फैसले पर सोशल मीडिया पर काफी हो-हल्ला मचा हुआ है. वैसे, जिस देश की करीब 27 करोड़ की आबादी अभी भी गरीबी रेखा के नीचे रहती हो. और, केंद्र सरकार की कोरोना काल के दौरान शुरू हुई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का लाभ करीब 80 करोड़ की जनता ले रही हो. वहां फ्रोजन पराठे पर 18 फीसदी GST पर रोना जरूरी नहीं लगता है.
क्या देश की 135 करोड़ की आबादी बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों के पिज्जा-बर्गर ही खाती है?
ये नहीं कहा जा सकता है कि देश की 135 करोड़ की आबादी बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों के पिज्जा-बर्गर ही खाती है. हमारे देश में एक बड़ी आबादी आज भी रात के बचे पराठे को फ्रिज में डालकर फ्रोजन बना लेती है. और, सुबह के नाश्ते में सुपाच्य पराठे की तरह इस्तेमाल करती है. उन्हें पराठे पर लगने वाले 18 फीसदी GST से क्या ही दर्द महसूस होगा? वैसे, अरविंद केजरीवाल के बयान पर नजर डालें, तो गुजरात चुनाव में ये आम आदमी पार्टी के काम नहीं आने वाला है. क्योंकि, हमारे देश में बहुतायत संख्या में लोग आज भी घर में बनी चीजों को ही खाने में वरीयता देते हैं. और, गुजराती तो खाखरा, थेपला, खांडवी, फाफड़ा जैसी चीजों को घर में ही बनाकर लंबे समय तक इस्तेमाल करते हैं. और, ये फ्रोजन यानी रेडी टु कुक खाने की तरह महंगा भी नहीं होता है.
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