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Updated: 22 सितम्बर, 2017 02:34 PM
मिहिर रंजन
मिहिर रंजन
  @ranjanmihir
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मनोहर कहानियां याद है आपको. वही मनोहर कहानियां, जिनका हर हर्फ रहस्य और रोमांच की ऐसी चाशनी में लिपटा होता था कि जब तक कहानी पूरी खत्म ना हो जाए, उसे छोड़ने का मन नहीं करता था. उन कहानियों का मेन किरदार ऐसा होता था, जो फंतासी की दुनिया में पाठक को इस कदर घुमाता कि लोग उसे भूला नहीं पाते. वक्त गुजरा, जमाना डिजिटल हो गया. कहानियां अंगूठे के नीचे मोबाइल के स्क्रीन पर स्क्रॉल होने लगीं. वो मनोहर कहानियां कहीं गुम-सी हो गईं.

लेकिन 25 अगस्त को पंचकूला कोर्ट के फैसला सुनाने के बाद से तकरीबन हर रोज जिस तरह की नए कहानियों से हमारा सामना हुआ, उसने मनोहर कहानियां की याद फिर से ताजा कर दी. बस इस बार मेन किरदार बदल गया है. इस बार मुख्य पात्र का नाम है राम रहीम. चाहे तो आप इसे गुरमीत सिंह इंशा कहें. मैसेंजर ऑफ गॉड कहें. बाबा कहें. पिताजी कहें. जट्टू इंजीनियर कहें या फिर डेरा सच्चा सौदा प्रमुख. सबका मतलब एक ही है. सवाल उठता है कि आखिर एक डेरा प्रमुख बाबा मन हरने वाली कहानियों का मुख्य पात्र कैसे बन गया? साथ ही, आखिर कैसी हैं राम रहीम से जुड़ी वे कहानियां, जो मनोहर कहानियों को टक्कर दे रही हैं?

गुरमीत राम रहीम, डेरा सच्चा सौदागुरमीत राम रहीमक्या क्या है राम रहीम के ‘मायावी लोक’ की कहानियां?

1- बाबा एक सेक्स एडिक्ट है. उसे रोज सेक्स चाहिए. जेल में सेक्स के बिना वह बीमार पड़ गया है.

2- बाबा ने सेक्स के लिए रिश्ते को कलंकित किया. हनीप्रीत नाम की जिस लड़की को राम रहीम मुंहबोली बेटी बोलता है, उसके साथ उसके जिस्मानी रिश्ते थे.

3- राम रहीम के डेरे में एक गुफा थी. जिसमें बाबा रहता था. उस गुफा में 'पिता जी की माफी' के नाम पर लड़कियों को भेजा जाता था. माफी देने का मतलब सेक्स था.

4- गुफा में पहुंचने पर लड़कियों को गुलाबी रंग का शेक पीने के लिए दिया जाता, जिसे पीते ही लड़कियां बेसुध हो जाती थीं. फिर उसका शारीरिक शोषण बाबा करता था.

5- राम रहीम मिसाइल बनाने की फिराक में था. इसके लिए रिसर्च करवा रहा था.

6- राम रहीम कनाडा में एक एयरपोर्ट खरीदने की फिराक में था. इसके लिए वह इंजीनियर को अपने यहां ट्रेनिंग दिला रहा था.

7- राम रहीम ने डेरे में सैंकड़ों लोगों को नामर्द बनवाया. उनके टेस्टिकल निकलवा लिए. कहते हैं कि उन टेस्टिकल का वह सूप बनवा कर पीता था ताकि उसकी मर्दाना ताकत में इजाफा हो.

8- राम रहीम कंकाल के ढेर पर सोता था. सिरसा में जहां राम रहीम का डेरा है, वहां कम-से-कम 600 लोगों के कंकाल दबे हैं.

9- राम रहीम बच्चों की तस्करी का काम भी करता था. वह अपने अखबार 'सच कहूं' में बच्चा दान करने के विज्ञापन देता था. जब कोई अंधभक्त बच्चा दान करता तो वह उस बच्चे को किसी अमीर को बेच देता.

10- राम रहीम के डेरे में कई लड़कियां अनचाही गर्भवती हुई, जिनका जबरन वहीं के अस्पताल में गर्भपात करवाया गया.

11- राम रहीम की एक डायरी है जिसमें उसके सारे राज नोट किए हुए हैं. हनीप्रीत ब्रीफकेस में वो डायरी लेकर फरार हो गई है.

12- राम रहीम का पक्का भक्त बनने के लिए नाम और जाम हासिल करना जरूरी होता था. महाभक्तों को बाबा एक खास लॉकेट देता था जिसमें एक नंबर लिखा होता. नंबर के हिसाब से भक्त की सारी डिटेल्स राम रहीम के कंप्यूटर में दर्ज होती.

13- राम रहीम का एक मायावी लोक है, जिसमें ताजमहल से लेकर एफिल टावर तक है. इसके अलावा बड़े-बडे सूईट हैं जहां वह अपने खास मेहमानों को ठहराता था. यहां बाबा ने अपने लिए एक आलीशान कमरा बना रखा है, जहां वह काम क्रीड़ा करता था.

14- वैसे तो करवाचौथ का व्रत सुहागिनें अपने पति के लिए रखती हैं. लेकिन राम रहीम के आश्रम में रहने वाली महिलाओं और लड़कियों को अपने ‘पिताजी’ यानी राम रहीम के लिए करवा चौथ का व्रत रखने के लिए मजबूर किया जाता था.

15- जेल में असली राम रहीम बंद नहीं है. सलाखों के पीछे बाबा का डुप्लिकेट है. असली राम रहीम तो कनाडा जा चुका है.

16- राम रहीम को जेल ले जाने के वक्त भगाने की साजिश रची गई थी. इस काम में उसके बॉडी गार्ड को लगाया था लेकिन मिशन फेल हो गया.

क्या है बाबा की कहानियों का सच?

राम रहीम किसी हमदर्दी का पात्र नहीं है. कोई भी समझदार इंसान उससे नरमदिली नहीं दिखाएगा. लेकिन जरा सोचिए उस आडंबरी बाबा के बारे में जितनी कहानियां सामने आ रही हैं, क्या वे सभी सच हैं. मिसाइल बनाने की बात हो या फिर पुरुषों के टेस्टिकल का सूप पीने का आरोप. कनाडा में एयरपोर्ट खरीदना की बात हो या फिर कंकालों के ढेर पर साम्राज्य बसाने का इल्जाम. जेल में बाबा के डुप्लिकेट हो या फिर जेल जाते वक्त भागने की साजिश... ये तमाम आरोप कहानियां का हिस्सा ही लगते हैं. सबूत बताते हैं कि बाबा महिलाओं का यौन शोषण करता था, उसके डेरे में गलत काम होते थे.

लेकिन बाबा जेल जाते वक्त फरार हो जाएगा. यह बात कोई हजम कैसे कर पाएगा? राम रहीम अगर भागने की कोशिश करता भी तो कहां जाता? यह कोई फिल्मी कहानी तो थी नहीं कि बाहर खड़े प्लेन में बैठकर वह होंडूरास टाइप किसी द्वीप पर जाकर अपनी नई दुनिया बसा लेता. वैसे ही बात मिसाइल को लेकर लगती है. बाबा कोई किम जोंग तो नहीं जिसे गोली बंदूक से इतर मिसाइलों का इतना शौक है कि वह अपनी एक अलग दुनिया बसाना चाहता है.

असल में बात यह नहीं है कि बाबा के कुकर्मों की लिस्ट कितनी लंबी है. हकीकत यह है कि राम रहीम का साम्राज्य बिखर गया है और इस बिखरे राजपाठ की मसालेदार कहानियां सुनने और सुनाने में जो रस है, वह परनिंदा में भी नहीं. और इन कहानियां में जब रंगीनी का तड़का लगता है, तो वह वर्ग और तबके की सीमा के बंधन को पार कर यूनिवर्सल पसंद हो जाती है. इसलिए रोज एक नए एंगल से कोई-ना-कोई कहानी सामने आ जाती है. और लोग चटखारे लेकर उसे पढ़ते हैं.

बाबा के रहस्यमयी संसार के कहानियों की जरूरत किसे?

राम रहीम एक बलात्कारी है, यह अदालत कह चुकी है. सजा सुना चुकी है. लेकिन उसके बलात्कारी और व्यभिचारी होने की खबरों को इतनी प्रमुखता क्यों दी जा रही है? असल में जब कोई तिलिस्म टूटता है तो उसके हर टुकड़े में इंसान को लुभाने के लिए, जिज्ञासा जगाने के लिए कुछ-ना-कुछ होता है. राम रहीम का संसार भी किसी तिलिस्म से कम नहीं था. और जब वह टूटा तो उसके हर टुकड़े को उसी कौतुहल से देखा जाने लगा. पब्लिक भी जानना चाहती थी कि आखिर डेरा के अंदर और बाबा के वेश में छुपे एक बलात्कारी इंसान का असलियत क्या है? मीडिया के हिसाब से देखिए तो यह किसी सस्पेंस थ्रिलर फिल्म से कम मसालेदार नहीं था. नतीजा सामने है, हर नए दिन राम रहीम की रंगीन कहानियां का नया अध्याय आपके सामने आता रहा.

राम रहीम पर फंतासी की कहानियां लिखना, कितना सही

समरथ को नहीं दोष गोसाईं... यही राम रहीम जब जेल के बाहर था और उसका रसूख सत्ता के गलियारों से लेकर बड़े-बड़े हुक्मरान तक था तो उसमें कोई दोष नहीं था. लेकिन अदालत के बलात्कारी करार देते ही उसमें छलनी की तरह छेद ही छेद नजर आने लगे. अच्छा तो तब होता, जब अदालत से पहले मीडिया ने उसका सच दिखाया होता और व्यभिचार की उसकी लंका जलाई होती. लेकिन ऐसा करने का साहस सिर्फ एक लोकल पत्रकार रामचंद्र प्रजापति ने दिखाया. उन्हें उसकी कीमत जान देकर चुकानी पड़ी.

ऐसे में यह मरे हुए को मारने वाली बात हो गई क्योंकि जो खबरें आज सामने आ रही है, उनमें से 90 फीसदी खबरें सिर्फ सुनी-सुनाई बातें हैं और लोगों के आरोपों पर आधारित हैं. एक सवाल यह भी है कि आरोप लगाने वाले पहले क्यों नहीं सामने आए और उन साध्वियों जैसी हिम्मत क्यों नहीं दिखाई, जिनकी शिकायत के चलते राम रहीम आज सलाखों के पीछे है.

कब होगा राम रहीम की रंगीन कहानियों का अंत?

गन्ने से मीठा रस एक बार ही निकलता है. उसके बाद उसमें पानी डाल कर आप रस तो निकाल सकते हैं लेकिन मिठास नहीं होती. राम रहीम की रंगीन कहानियों का अंत भी कुछ ऐसे ही होने वाला है. लेकिन इस गन्ने से अभी पूरा रस निचोड़ा नहीं गया है. हनीप्रीत नाम का जो आखिरी टुकड़ा इस गन्ने का अटूट हिस्सा है, एक बार वह पुलिस या मीडिया को हाथ लग जाए और कुछ राज फाश कर दे. तो राम रहीम की मनोरम कहानियां का आखिरी अध्याय लिखा जाए.

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लेखक

मिहिर रंजन मिहिर रंजन @ranjanmihir

लेखक आजतक में एसोसिएट एक्जिक्यूटिव प्रोड्यूसर हैं

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