आवारा कुत्ते बवाल कराएंगे ये उम्मीद तो बहुत पहले से थी...
हरियाणा के गुरुग्राम में एक व्यक्ति को कुत्तों को खाना खिलाना महंगा पड़ा है. सोसाइटी के लोग उसके घर के बाहर आ गए हैं जिन्होंने परिवार के खिलाफ न केवल नारेबाजी की बल्कि उन्हें बंधक भी बनाया. भले ही इस मामले पर तमाम तरह की बातें हो रही हों लेकिन जैसा आवारा जानवरों के प्रति लोगों का रवैया है, ऐसा होगा इसकी उम्मीद बहुत पहले ही जता ली गई थी.
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अब इसे सोशल मीडिया पर लाइक कमेंट और शेयर पाने की होड़ कहें या वास्तविक पशुप्रेम बीते कुछ सालों में भारतीयों का जानवरों विशेषकर छुट्टा जानवरों के प्रति प्रेम बढ़ा है. अलग अलग पार्कों से लेकर चौक चौराहों तक ऐसे तमाम लोग मिल जाएंगे जो कबूतरों, कव्वों को दाना पानी दे रहे होंगे. कुत्तों और मवेशियों को रोटी डाल रहे होंगे. छुट्टा जानवरों के प्रति लोगों का ताजा उमड़ा प्रेम एक बिल्कुल नई तरह का टेंड है. जैसा कि होता आया है, इस ट्रेंड ने भी हमारे समाज को दो वर्गों में बांट दिया है. एक वर्ग पशुप्रेमियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है. तो वहीं दूसरे वर्ग का इन पशुप्रेमियों से छत्तीस का आंकड़ा है. जो विरोधी हैं, विरोध के मद्देनजर उनका तर्क यही है कि खुद के पशुप्रेम के चलते हम न केवल आम लोगों की दुश्वारियां बढ़ा रहे हैं. बल्कि प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में उन जानवरों की सेहत को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिन्हें प्यार दिखाते हुए हम रोजाना खाना देते हैं. जानवरों को खाना देने के इस मामले में दिलचस्प पहलू ये भी है कि पशुप्रेमी ऐसे लोगों को स्वार्थी कहते हैं और इनकी आलोचना को खारिज कर अपना काम बदस्तूर जारी रखते हैं. लेकिन क्यों कि हर दिन एक जैसा नहीं होता इसलिए कभी कभी इनका ये पशुप्रेम इनके गले की हड्डी बन जाता है और बात नारेबाजी से शुरू होते हुए थाना पुलिस तक पहुंच जाती है. कहीं और का तो पता नहीं मगर हरियाणा के गुरुग्राम में कुछ ऐसा ही हुआ है.
गुरुग्राम में एक सोसाइटी के बाहर कुत्तों को खाना खिलाने वाले व्यक्ति के खिलाफ कुछ यूं सड़क पर आए हैं लोग
गुरुग्राम के सेक्टर 83 स्थित पॉश हाउसिंग सोसाइटी Gurgaon 21 (G21) में रहने वाले सुमित सिंगला नाम के शख्स को उनका पशुप्रेम काफी महंगा पड़ा है. बता दें कि इस सोसाइटी में रहने वाले 300 परिवारों ने सिंगला के घर के बाहर नारेबाजी की है और बाद में विवाद कुछ इस हद तक बढ़ा कि पुलिस को आना पड़ा और स्थिति को नियंत्रित करना पड़ा. सुमित सिंगला के विषय में जो जानकारी आई है उसके अनुसार वो आस पास के लोगों के मना करने के बावजूद आवारा कुत्तों को खाना खिलाते हैं.
सोसाइटी के लोगों का आरोप है कि सिंगला के इस पशुप्रेम ने सोसाइटी की मुसीबतें बढ़ा दी हैं जहां दो छोटे बच्चों को कुत्तों ने अपना निशाना बनाया है और काट लिया है. चूंकि लोग पहले ही सिंगला को सावधान कर चुके थे इसलिए जब विवाद बढ़ा और पुलिस आई तो उसका भी रुख किसी मूकदर्शक की ही तरह था. गौरतलब है कि सोसाइटी के लोग सिंगला के इस पशुप्रेम से कुछ इस हद तक नाराज थे कि उन्होंने पूर्व में ही इलाके खेड़की दौला पुलिस थाने में शिकायत भी की थी लेकिन पुलिस ने इस बात को बहुत हल्के में लिया और मामले पर किसी तरह का कोई एक्शन नहीं लिया.
Residents of a society in Gurugram protesting against a family for feeding street dogs inside the society. They allege that dog bite incidents has increased in the society. Cops trying to control the situation. @ndtv pic.twitter.com/1gx35PGI2T
— Mohammad Ghazali (@ghazalimohammad) March 1, 2021
ध्यान रहे कि अभी बीते दिनों हैं सिंगला के पाले एक कुत्ते ने सोसाइटी के एक व्यक्ति पर हमला किया. सोसाइटी वाले इसी पल के इंतजार में थे जैसे ही ये मामला हुआ सोसाइटी के 300 परिवारों को सिंगला के खिलाफ आने का मौका मिल गया. सोसाइटी के लोगों ने सिंगला के घर के बाहर खूब जमकर हंगामा किया और उन्हें तथा उनके परिवार को बंधक बना लिया. बाद में पहुंची पुलिस ने दोनों पक्षों की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.
मामला क्यों कि पॉश लोकैलिटी से जुड़ा था इसलिए पुलिस मूकदर्शक बनी. खुद सोचिये. अगर ये मामला हमारी गली में होता तो नौबत क्या होती? पुलिस का रुख कैसा रहता ये किसी से छुपा नहीं है. बाकी जिस तरह आवारा कुत्तों को खाना डालने पर आम लोगों का गुस्सा फूटा इसका अंदाजा उसी दिन लगा लिया गया था जब हमने कुत्तों को घर में बना दाल चावल, सब्जी रोटी और चिकन मटन खाते देखा.
पता नहीं ये बात कितनी सही है मगर हम ये ज़रूर बताना चाहेंगे कि कुत्ते उन चुनिंदा जीवों में से हैं जो स्वभाव से घुमंतू और एक सीमा में रहकर खाने वाले जीव हैं. हमारा उन्हें असहाय समझना या फिर ये कहना कि कुत्ता भूखा होगा. ये कुत्ते की नहीं हमारी भूल है.बात सीधी है जिसे समझने के लिए हमें डार्विन की उस थ्योरी को समझना होगा जिसमें उन्होंने Survival of the fittest या सर्वोत्तम की उत्तरजीविता की बात कही थी.
इस कांसेप्ट के अनुसारवही जीव जीवित रहेंगे जो विद्यमान परिस्थितियों के अनुसार स्वयं को ढाल लेंगे. अब अगर हम अपने सामने कोई भरा पूरा कुत्ता देख रहे हैं और उसे भूख समझ हैं तो हमें ये जान लेना चाहिए कि कुत्ता जानता है कि उसे कैसे जिंदा रहना और मुश्किल हालात का सामना करना है.
इसके इतर हमें ये भी समझना होगा कि मुहब्बत के नाम पर हम जो कुत्ते को दाल चावल, सब्जी रोटी, चिकन ग्रेवी, ब्रेड और पार्ले जी खिला रहे हैं इससे हम उस कुत्ते की भूख नहीं मिटा रहे बल्कि उसकी जान जोखिम में डाल रहे हैं. तमाम पशु चिकित्सक इस बात पर एकमत हैं कि कुत्तों का पेट उन खाद्य प्रदार्थों के अनुकूल नहीं है जो मानव खाता है. आप किसी भी अच्छे वेट से बात कर लीजिए वो खुद आपको मना करेगा और कहेगा कि मनुष्य का ये पशुप्रेम पशुओं का असली दुश्मन है.
खैर हम ये भी जानते हैं कि उपरोक्त बातों का असर पशुप्रेमियों पर नहीं होगा. इनका इतिहास रहा है तर्कों को खारिज करना, ये पहले भी कर चुके हैं आज भी करेंगे. जो समझदार है उन्हें बस इस बात को समझना है कि हम खाना खिलाकर कुत्तों को फायदा नहीं बल्कि उन्हें नुकसान पहुंचा रहे हैं. विवाद कुत्तों को खाना खिलाने को लेकर है तो कुत्तों को जब तक खाना मिल रहा तब तक ठीक है, जब नहीं मिलेगा तो उनका आक्रामक होना लाजमी है.
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