क्या दिल्ली शहर अपराधों का शहर है ?
यह वही दिल्ली है, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रहते हैं. उनके चुनाव में एक नारा 'बहुत हुआ महिलाओं पर अत्याचार, अबकी बार मोदी सरकार'. वो महिलाओं पर हो रहे अपराध रोकने आये थे. दिल्ली का अपराध नियंत्रण उनकी ही जिम्मेदारी है. पर आंकड़े बोल रहे हैं वो ऐसा नहीं कर पाए.
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15 जुलाई को देश के एक प्रमुख हिंदी दैनिक अख़बार हिन्दुतान के दिल्ली के स्थानीय पृष्ठ पर ख़बरों की हेडलाइंस इस तरह की हैं. गर्ल्स पीजी केयरटेकर की घर में घुसकर हत्या, सीपी में भाई-बहनों पर बदमाशों ने फायर झोंका, चाकू मारकर युवक की हत्या, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी से किशोरी को अगवा कर दुष्कर्म, चाकू मारकर युवक की हत्या, दरोगा ने बाइक सवार को रोका तो पेचकस घोंप दिया, चाकू की नोक पर बच्ची से रेप किया, किशोरी के लापता होने पर कोर्ट खफा इत्यादि. ये दर्शा रही है कि दिल्ली में कैसे अपराधों का बोलबाला है.
उसी अखबार के पहले पेज पर खबर है कि दिल्ली में हर घंटे एक मोबाइल फोन छीना जा रहा है. इस खबर के अनुसार जहां बेखौफ बदमाश राजधानी की सड़कों पर झपटमारी कर रहे हैं, वहीं दिल्ली पुलिस दो फ़ीसदी से भी कम मोबाइल जब्त कर पा रही है. इस खबर में दिल्ली पुलिस के द्वारा दिए गए आंकड़ों के हवाले से बताया गया है कि झपटमारी की 70 फ़ीसदी वारदातों में बदमाश केवल स्मार्ट फोन छीनते हैं, जबकि 30 फ़ीसदी मामलों में मंगलसूत्र, चेन एवं पर्स इत्यादि ले जाते हैं. इस साल 30 जून तक 4500 से अधिक झपटमारी की वारदातें हो चुकी हैं. वहीं 1381 लूट की वारदात हुई हैं. लूट की 25 फीसदी से अधिकतर वारदातों में मोबाइल फोन लुटे जाने की बात सामने आई है.
नशे का गढ़ बनता जा रहा है दिल्ली
15 जुलाई के अंग्रेजी के अख़बार मेल टुडे की मुख्य खबर है- Delhi turning into India's cocaine capital, अर्थात दिल्ली भारत का कोकीन कैपिटल बन रहा है. इस खबर में नारकोटिक्स कण्ट्रोल ब्यूरो के डाटा के हवाले से बताया गया है कि पिछले साल 30 किलो कोकीन, जिसकी कीमत लगभग 210 करोड़ रुपए होगी, जब्त किया गया. जबकि पिछले साल केवल 11 किलो कोकीन जब्त किया गया था.
इसके एक दिन पहले, यानी की 14 जुलाई को एक और हिंदी अखबार दैनिक जागरण में एक खबर का शीर्षक है- '15 दिन 136 महिलाओं का अपहरण 94 से दुष्कर्म'. इस खबर के मुताबिक दिल्ली में महिलाओं के अपहरण का रिकॉर्ड टूट चुका है. दुष्कर्म की वारदात भी बढ़ी है. राजधानी में 1 जून से 15 जून के बीच 136 महिलाओं का अपहरण किया गया, जबकि 94 महिलाएं दुष्कर्म का शिकार हुई. इस खबर के मुताबिक 1 जनवरी से 15 जून तक अपहरण के 1690 दुष्कर्म के 930 छेड़छाड़ के मामले दर्ज हुए हैं.
ठीक इसी तरह से 15 जुलाई के अंग्रेजी के एक राष्ट्रीय दैनिक Hindutan Times की एक हेड लाइन है why is Delhi the rape capital? यानी दिल्ली रेप की राजधानी क्यों बनी हुई है? इस खबर में दिल्ली पुलिस के आंकड़ों के हवाले से बताया गया है कि पिछले 6 महीने में 930 रेप की घटनाएं हुई हैं, यह खबर आगे बताता है कि प्रत्येक 4 घंटे में दिल्ली में एक रेप होता है. दिल्ली पुलिस के ही आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल 2155 रेप की घटनाएं हुई थी और इस साल अभी तक 930 रेप की घटना हो चुकी है.
अपराध कम नहीं हुए
15 जुलाई के ही एक और अंग्रेजी राष्ट्रीयत दैनिक DNA के एक खबर का शीर्षक है Capital Shame: Crime rate price Rises by 21% in Delhi, अर्थात राजधानी शर्मसार है और यहां अपराधों में 21 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है. इसके मुताबिक 2017 के पहले हाफ में दिल्ली में अपराधों की संख्या में ऐतिहासिक वृद्धि हुई है.
पता नहीं इन ख़बरों को वो लोग पढ़ते हैं या नहीं जिनकी जिम्मेदारी दिल्ली में कानून एवं व्यवस्था बनाए रखना है. आम लोग इसको पढ़ के सहमते हैं, डरते हैं. पर पता नहीं शासक वर्ग को ये पढ़ के शर्म का एहसास होता है की नहीं.
यह वही दिल्ली है, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रहते हैं. उनके चुनाव में एक नारा 'बहुत हुआ महिलाओं पर अत्याचार, अबकी बार मोदी सरकार'. वो महिलाओं पर हो रहे अपराध रोकने आये थे. दिल्ली का अपराध नियंत्रण उनकी ही जिम्मेदारी है. पर आंकड़े बोल रहे हैं वो ऐसा नहीं कर पाए. हालत और ख़राब ही हुई है. इसी दिल्ली में सोनिया गांधी भी रहती हैं. जब उनकी पार्टी सत्ता में थी तो भी दिल्ली रेप कैपिटल के ही नाम से जाना जाता था. यानी की सत्ता बदली पर अपराध नहीं रुका. दिल्ली में सरकार किसी की भी हो, पर ऐसा प्रतीत हो रहा है की राज अपराधियों का ही चलता है.
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