हाथरस गैंगरेप केस पर जस्टिस काटजू की टिप्पणी तो शर्म को भी शर्मसार कर दे रही है
हाथरस गैंगरेप (Hathras Gangrape ) पर किसी आम भारतीय की तरह सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) के रिटायर जज मार्कंडेय काटजू (Markandey katju) ने भी अपने विचार साझा किये हैं और रेप जैसे घृणित कृत्य का जिम्मेदार बेरोजगारी (Unemployment) को ठहराया है.
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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के हाथरस (Hathras) में दबंगों द्वारा जो कुछ भी वाल्मीकि समाज की 20 साल की लड़की के साथ किया गया और फिर जिस तरह उत्तर प्रदेश पुलिस (UP Police) ने सच छुपाने की नीयत से लड़की का अंतिम संस्कार किया. उससे पूरा देश क्षुब्ध है. जगह जगह धरना और प्रदर्शन हो रहे हैं. मांग की जा रही है कि या तो सरकार घटना में शामिल चारों अभियुक्तों को फांसी दे नहीं तो ये कह दे कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा झूठा है. घटना ने देश की राजनीति में भी भूचाल ला दिया है. कांग्रेस (Congress) से लेकर आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) और तृणमूल कांग्रेस (Trinmool Congress) तक लगभग सभी दल उत्तर प्रदेश की योगी सरकार (Yogi Government) के विरोध में मुखर होकर सामने आ गए हैं. आरोप लग रहे हैं कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार बेटियों को सुरक्षा मुहैया कराने में नाकाम है. घटना को लेकर देश भर में उबाल है ऐसे में अपने एक बयान से सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जज रह चुके मार्कंडेय काटजू (Markandey Katju) ने एक नई बहस को आयाम दे दिए हैं. काटजू ने हाथरस गैंगरेप (Hathras Gangrape) घटना के लिए बेरोजगारी (Unemployment) को जिम्मेदार ठहराया है. काटजू ने घटना की निंदा तो की लेकिन ये कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि ये अपराध सिर्फ बेरोजगारी के कारण हुआ है.
हाथरस गैंगरेप पर जो दलील काटजू ने दी है लोगों का विरोध में उतरना स्वाभाविक है
ध्यान रहे कि समसामयिक विषयों पर अक्सर ही अपने बयानों के चलते सुर्खियां बटोरने वाले पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने जाने अनजाने ऐसा बहुत कुछ कह दिया है जो न सिर्फ विवादास्पद है बल्कि बेहूदा और मानवता को शर्मसार करने वाला है.
तो क्या कह दिया काटजू ने
हाथरस में जो कुछ भी 20 साल की दलित महिला के साथ हुआ उसपर अपने मन की बात करते हुए काटजू ने अपने फेसबुक पर एक लंबा लेख लिखा है. अपने लेख में काटजू ने कहा है कि यदि रेप के मामलों को कम करना है तो फिर लोगों को रोजगार देना होगा.
काटजू द्वारा लिखी गयी इस फेसबुक पोस्ट का यदि अवलोकन किया जाए तो काटजू लिखते हैं कि, बलात्कार के मामलों में वृद्धि के पीछे देश में बढ़ती बेरोजगारी एक कारण है. उन्होंने लिखा है कि , हाथरस गैंगरेप की कड़ी निंदा करता हूं और दोषियों को सख्त से सख्त सजा की मांग करता हूं. इससे जुड़ा एक और नजरिया है, जिसपर विचार करने की जरूरत है. भारत जैसे रूढि़वादी देश में सेक्स शादी के बाद ही किया जा सकता है. लेकिन जब बड़े पैमाने पर बेरोजगारी है तो बड़ी संख्या में युवाओं की शादी नहीं होगी. क्योंकि कोई लड़की बेरोजगारी से शादी नहीं करेगी.
— Markandey Katju (@mkatju) September 30, 2020
मामला तूल पकड़ने के बाद काटजू ने अपनी सफाई दी गया और कहा है कि वह रेप को ठीक नहीं ठहरा रहे बल्कि इसकी निंदा करते हैं.
मैं हाथरस में बलात्कार और हत्या की घोर निंदा करता हूँ मगर यह कोई नयी बात नहीं है I बीसों साल से ऐसे अपराध होते आये हैं, रोज़ कहीं न कहीं ऐसा होता है मगर उसका कोई नहीं बोध लेता न वह प्रकाशित होता है I इसलिए इस नए काण्ड पर इतना हो हल्ला क्यों ? क्या राजनीती करने के लिए ?
— Markandey Katju (@mkatju) October 2, 2020
काटजू की पोस्ट के बाद इस बात की पुष्टि हो जाती है कि इस नाजुक मौके पर उनकी ये छिछली बातें लोगों को बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी हैं. लोगों का यही तर्क है कि सुप्रीम कोर्ट का एक रिटायर जज आखिर कैसे ऐसी बेबुनियाद और सतही बातें कर सकता है. काटजू का ये फेसबुक पोस्ट इंटरनेट पर वायरल हुआ है और जैसे रिएक्शन्स काटजू की बातों पर आए हैं उन्होंने तसदीख कर दी है कि इन वाहियात बातों के मद्देनजर लोग उनके साथ बिल्कुल भी नहीं हैं.
Unbelievable. What an absolute moronic statement. To reiterate that you condemn the act but? Why is there a justification? And women don’t feel this need? Only unemployed men have such “feelings”??? What utter nonsense! https://t.co/DvoNVXt6ps
— Pahadan~ (@Popcorrrrnn) September 30, 2020
@jikookssii नाम की यूजर ने ट्वीट किया है कि यानी इंसान एक ऐसा जानवर है जो अपनी 'इच्छाओं' पर काबू नहीं रख सकता. इन्हें संतुष्ट रखने की जरूरत है वरना ये किसी को भी अपना निशाना बना सकते हैं.
So men are animals who cannot control their "urges", need to be kept satisfied otherwise they will force themselves on non consenting women. Next time write paras to condemn such men and the society who gives out such explanations defending them, blaming everything but them.
— kookliet ✨ (@jikookssii) September 30, 2020
लोगों को तर्क है कि उन्होंने इससे ज्यादा वाहियात चीज शायद ही कभी पढ़ी हो.
Oh my god this is the dumbest and most disappointing piece I've ever read
— ????????????/???????????????????????????? ???????????? ???????????????? ???????? ????????????/ (@prodjenniekim) September 30, 2020
लोगों का कहना है कि काटजू रेप को बेरोजगारी से जोड़कर कहीं न कहीं बलात्कार जैसे घिनौने कृत्य का समर्थन कर रहे हैं.
Sir, The narrative that it is an uncontrollable “urge” for men is just a means of justifying the act of rape. Rape is about violence. Rapists overpower their victims because they believe they have a right to that body. Your words reiterate that belief.
— droppedcroissant (@geekszee) September 30, 2020
काटजू ने भले ही सही उद्देश्य को लेकर अपनी बातें कही हों लेकिन जैसा रुख जनता का उनके प्रति सोशल मीडिया पर है साफ़ है की एक जज के रूप में काटजू ने अपनी थू थू स्वयं कराई है और अब प्रतिक्रियाओं के रूप में वो उसी का खामियाजा भुगत रहे हैं.
Honestly this should've stayed in your drafts. In our country almost 75% of women are body shamed, sexually assaulted and brutally r@ped. And saying this will do nothing but just increasing these r@pist's confidence. You're litreally justifying there actions.
— Rueᵒᵗ⁵ wants a hug from Louis ♡ (@rudraaa7) September 30, 2020
बहरहाल अब जबकि काटजू की किरकिरी हो चुकी है. कई बातें साफ़ हो गयी हैं. कहीं न कहीं हमें ये भी पता चल चुका है कि आज भी लोग इस देश में रेप जैसी चीज को कैसे देखते हैं और उसे किस बेशर्मी से जस्टिफाई करते हैं.
कोई जाहिल गंवार होता तो एक बार उसकी बातों को इग्नोर किया जा सकता था. काटजू देश की सर्वोच्च अदालत में जज रह चुके हैं. तमाम फैसले उनकी कलम लिख चुकी होगी। उसके बाद अब जब वो ऐसी बातें करते हैं तो उनकी काबिलियत पर शक होना लाजमी है. अंत में बस इतना ही कि इतने संवेदनशील विषय पर बोलते हुए काटजू ने पैर पर कुल्हाड़ी नहीं बल्कि कुल्हाड़ी पर पैर मारा है जो हुआ उसके पूर्ण रूप से जिम्मेदार वो खुद हैं.
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