हिजाब पहनने को लेकर क्या बोलीं हिंदू-मुस्लिम लड़कियां?
हिजाब विवाद (Hijab Row) जनवरी 2022 में तब तेज हो गया, जब एक कॉलेज ने 6 छात्राओं को हिजाब की वजह से एंट्री नहीं दी थी. इसके बाद ही दूसरे कॉलेज और स्कूलों में भी प्रदर्शन होने शुरू हो गए.
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हिजाब (Hijab) शब्द पर शायद ही पहले कभी इतना विवाद हुआ होगा जितना अब हो रहा है. अचानक से इस शब्द ने लोगों के दिमाग को गिरफ्त में ले लिया है. लोगों के मन में सिर्फ दो तरह की बातें हैं. पहला यह कि हिजाब पहनना चाहिए और दूसरा यह है कि हिजाब नहीं पहनना चाहिए.
खैर, इनमें से कुछ लोग ऐसे भी हैं जो यह कह रहे हैं कि स्कूल, कॉलेज में सभी धर्म और जाति के बच्चे शिक्षा लेने आते हैं. यहां पढ़ने वाले सभी छात्र एक समान होते हैं. इसलिए स्कूल के लिए एक समान यूनिफॉर्म बनाया जाता है.
वैसे कुछ दिनों से नोटिस किया है कि इस विवाद के बाद वे मुस्लिम लड़कियां भी हिजाब पहनने लगीं हैं जो पहले कभी हिजाब नहीं पहनती थीं. अचानक से उन्हें हिजाब की अहमियत समझ आ गई या फिर उन्हें समझा दिया गया. माहौल ऐसा बना कि उन लड़कियों पर भी हिजाब पहनने का डायरेक्ट या इनडायरेक्टली रूप से दबाव बनने लगा है.
यह तो पहनने वाली तय करेगी कि उसे हिजाब पहनना है या नहीं
लोगों की नजरों में हिजाब पहनने वाली लड़की अच्छी और न पहनने वाली बुरी है. मुस्लिम लड़कियों का फुल कमीज, सलवार और दुपट्टा ओढ़ना काफी नहीं है, अगर उन्होंने हिजाब नहीं लगाया मतलब वो गंदी औरत की लिस्ट में ही आती हैं. हिजाब पहनना और अपनी मर्जी है तो फिर उन लड़कियों को क्यों मजबूर किया जा रहा है जो हिजाब नहीं पहनना चाहतीं.
एक तरफ अफगानिस्तान में तालिबानी हुकुमत की वजह से महिलाएं पर्दा प्रथा में घुट रही हैं. उनकी तो आंखों पर भी जालीनुमा पर्दा रहता है. उन्होंने इसके खिलाफ विरोध तो किया लेकिन इसे अनसुना कर दिया गया. अब अगर उन्हें जीना है तो तालिबानी हुकुमत को मानना ही पड़ेगा. दूसरी तरफ हमारा देश हिंदुस्तान है जहां मुस्लिम लड़कियां पर्दा में रहने के लिए आवाज उठा रही हैं.
मैंने कई ऐसी वेबसाइट्स देखीं जो यह बता रहे थे कि किस रंग का हिजाब पहनना अच्छा होता है. सफेद रंग का हिजाब में क्या खासियत है? वैसे हिजाब पर राजनीति करना हमारा काम नहीं है. अपने चेहरे और बाल को धूप और धूल से बचाने के लिए हिंदू लड़कियां भी दुप्पट्टे से अपने चेहरा को ढकती हैं.
बनारस में एक जगह है दालमंडी...5 साल पहले एक बार जब मैं वहां गई तो देखा कि 3,4, 5, 6 साल की बच्चियों ने फुल साइज का सलवार-कमीज के साथ हिजाब पहना हुआ था. वो आपस में खेलने की कोशिश कर रही थीं लेकिन आधा ध्यान तो दुपट्टा संभालने में जा रहा था. ऐसा लग रहा था कि किसी ने उनके बचपन को बांध दिया है. कोलकाता की एक गली में साल 2012 में भी कुछ ऐसा ही नजारा था. इसके उलट मैंने गावों में कई मुस्लिम बच्चियों को हाफ पैंट और टीशर्ट में देखा है, बिल्कुल उनके भाई की तरह.
किस बच्ची को क्या पहनना है यह वह खुद तो तय नहीं करती, उसे कौन बताता है कि कौन सा कपड़ा अच्छा है और कौन सा बुरा? जो घरवाले पहनाते हैं और बताते हैं वही उनके दिमाग में घर कर जाता है. वैसे, हिजाब सिर्फ सिर और माथे को ही ढकता है तो इसे नंगेपन से जोड़ने की गलती को मत ही कीजिए. दूसरी बात किसी भी स्कूल या कॉलेज में स्कूल ड्रेस नाम की भी कोई चीज होती है जो इसलिए ही बनाई गई है कि ताकि वहां पढ़ने वाले हर छात्रों का समान दृष्टि से देखा जाए.
वैसे हमने कई हिंदू और मुस्लिम लड़कियों से यह जानना चाहा कि उनके मन में हिजाब को लेकर क्या राय है? क्या स्कूल में हिजाब पहनना चाहिए? ये एकदम सामान्य लड़कियां हैं जिनका राजनीति से कुछ लेना-देना नहीं है. ये वही लड़कियां हैं जो समाज की नजरों में बेहद सामान्य हैं. ये कोई एक्टिविस्ट नहीं है, ये वो हैं जो घरेलू हैं, जिन पर हर फैसले का बेहद असर होता है. ये मीडिल क्लास के घर की लड़कियां हैं. तो देखिए इनमें से कुछ लड़कियों ने क्या जवाब दिया है...
मोनिका का कहना है कि कॉलेज में हर धर्म के छात्र आते हैं. हिजाब पहनने या माथे पर तिलक लगाने से कोई फ़र्क नहीं पड़ता. हर छात्र शिक्षक के लिए बराबर है. हिजाब पहनना या ना पहनना यह सामने वाले के ऊपर निर्भर करता है. हम किसी की मानसिकता को नहीं बदल सकते. अगर कोई महिला हिजाब पहनन कर खुद को महफूज समझती है तो पहनें.
वहीं पारुल का कहना है कि, स्कूल में हिजाब नहीं पहनना चाहिए. स्कूल में ड्रेस कोड होना चाहिए और सभी धर्म के लोगों को वही फॉलो करना चाहिए. ना कई भदवा गमछा पहनें और ना ही कोई हिजाब.
इस सवाल का जवाब देते हुए उज्मा फातिमा कहता हैं कि हां बिल्कुल पहनना चाहिए, क्योंकि अपने शरीर को कवर करने में कोई बुराई नहीं है. हालांकि मैं हर जगह हिजाब नहीं पहनती. यह समय-समय पर निर्भर करता है.
वहीं रीमा का कहना है कि बाकी जगह के बारे में मैं कमेंट नहीं कर सकती लेकिन किसी भी स्कूल या कॉलेज में हिजाब नहीं पहनना चाहिए. इस बारे में मुस्कान का कहना है कि 'मेरे विचार से शैक्षणिक संस्थानों को धार्मिक तथा राजनीतिक गतिविधियों से दूर रखना चाहिए. जिससे लोगों को एक समान शिक्षा मिले और एकसमता का माहौल बने'. वहीं आसी का भी यह कहना है कि ड्रेस कोड का पालन करना चाहिए और हिजाब नहीं पहनना चाहिए.
शबनम का कहना है कि यह तो पहनने वाली तय करेगी कि उसे हिजाब पहनना है या नहीं. ऐसा क्यों है कि किसी और की मर्जी का फैसला करने पर हम उतारू हो जाते हैं.
इस पर 'दंगल' और 'सीक्रेट सुपरस्टार' फेम अभिनेत्री जायरा वसीम का कहना है कि ''मुस्लिम महिलाओं के ख़िलाफ़ एक बड़ा पूर्वाग्रह खड़ा किया जा रहा है. एक ऐसी व्यवस्था बनाई जा रही है, जहां उन्हें हिजाब या शिक्षा के बीच किसी एक को चुनना होगा. यह पूरी तरह अन्याय है.''
चुनावी माहौल में उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि 'कोई बच्ची अपनी मर्जी से हिजाब नहीं पहनती है और मैं किसी पर भगवे को नहीं थोपता हूं.
खैर, इस मुद्दे पर बहस खत्म होना इतना आसान नहीं है. यह बात इतनी हावी हो चुकी है कि विजयपुरा में एक छात्रा को सिर्फ इसलिए कॉलेज के अंदर नहीं जाने दिया गया क्योंकि उसने सिंदूर लगाया था. इंडी कॉलेज के प्राचार्य ने छात्रा से 'सिंदूर' हटाने के लिए कहा. वहीं बजरंग दल के एक कार्यकर्ता की हत्या को भी इसी से जोड़ा जा रहा है क्योंकि उसने हिजाब के खिलाफ फेसबुक पर पोस्ट किया था.
हिजाब विवाद पर हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है. आज कोर्ट में इसी मुद्दे पर फिर से बहस होने वाली है. यह विवाद जनवरी 2022 में तब तेज हो गया, जब एक कॉलेज ने 6 छात्राओं को हिजाब की वजह से एंट्री नहीं दी थी. इसके बाद ही दूसरे कॉलेज और स्कूलों में भी प्रदर्शन होने शुरू हो गए. अब आलम यह है कि कर्नाटक हिजाब विवाद का केंद्र बन गया है.
स्कूल और कॉलेज में जहां पढ़ाई होना चाहिए वहां राजनीति हो रही है. यह बेहद दुखद है, क्योंकि एक तरफ कोरोना वायरस ने पहले ही शिक्षा की लंका लगा रखी है ऊपर से हिजाब और भगवा विवाद...हम कितना भी इनकार कर लें लेकिन नुकसान तो हिंदू और मुस्लिम दोनों छात्रों का होगा. समझ नहीं आता कि मैं इन अंधेरों को सुबह कैसे कहूं?
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