Holi 2021: मां के सभी त्योहार किचन में ही क्यों बीत जाते हैं?
होली (Holi 2021) क्या, आप कोई भी त्योहार ले लो. एक मां का सेलिब्रेशन किचन से शुरू होकर वहीं बीत जाता है. चाहें ईद हो या होली...क्या फर्क पड़ता है.
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रंगों के त्योहार कहे जाने वाले होली (Holi kaise manate hain) की तैयारियों के लिए मां (Mother) कई हफ्तों पहले से ही जुट जाती है. घर की साफ-सफाई से लेकर पापड़ और चिप्स बनाने तक. इसके बाद बारी आती है होली की खरीदारी की, जिसमें घर की महिला बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिए कपड़े, रंग, गुलाल और पिचकारी खरीदती है. घर के पर्दे से लेकर सोफे के कवर तक को बदलने की जिम्मेदारी भी उस महिला की होती है.
गुलदस्ते में फूल भी तो वही रखती है और होलिका पूजन की तैयारियां भी वही करती है. इसके अलावा होली से पहले बच्चों और बड़ों को उबटन (Holi puja vidhi) लगाकर उनके दुख दूर करने वाली रस्म भी मां ही करती है. एक मां, जो किसी की पत्नी है तो किसी की बहू, जो सबके बारे में सोचती है लेकिन उसके बारे में (Housewife) क्या हम सोचते हैं?
महिलाओं का त्योहार रसोई में ही बीत जाता है
उत्साह से भरे होली (Holi 2021 messages) के इस त्योहार पर हम यह नहीं गिना रहे कि मां हमारे लिए क्या-क्या करती है. एक मां अपने परिवार और बच्चों के लिए जो करती है वह कोई बयां भी नहीं सकता. होली (Holi 2021) क्या, आप कोई भी त्योहार ले लो. एक मां का सेलिब्रेशन (Holi Songs) किचन से शुरू होकर वहीं बीत जाता है. चाहें ईद हो या होली...क्या फर्क पड़ता है, क्योंकि महिलाओं के त्योहार तो तैयारियों, मेहमानों के स्वागत और रसोई में पकवान बनाने में ही बीत जाते हैं.
एक समय के बाद बड़ी बहन भी मां की जगह ले लेती है. पत्नी में भी एक पुरुष अपनी मां को खोजता है. माना की मां, ममता की मूरत होती है लेकिन क्या उसे त्योहार मनाने का मन नहीं करता. क्या उनका त्योहार हमारी फरमाइश के पकवान बनाने और बर्तन साफ करने तक ही सीमित है. बुरा ना मानो होली कहने भर से होली का त्योहार नहीं मन जाता. होली या कोई भी त्योहार मनता है घर की महिलाओं से.
बच्चों और अपने परिवार के लिए एक महिला जो भी करती है उसको खुशी मिलती है. इसका मतलब यह तो नहीं है कि हम उनकी खुशियों के बारे में ना सोचें. अक्सर घरों में देखा जाता है कि होली के दिन मां सबसे पहले जगकर नहा-धोकर पूजा करती है फिर तरह-तरह के पकवान बनाने के लिए किचन में चली जाती है. होली के दिन सभी लोग लुफ्त उठा सकें, इसलिए मां सबके लिए गर्म-गर्म पकैड़े तल रही होती है. सब लोग जब रंग खेल रहे होते हैं तब वह उनके लिए खाना बना रही होती है और मेहमानों के आवाभगत में जुटी होती है. काम करते-करते अगर किसी ने गुलाल लगा दिया तो वह रंग जाती है, लेकिन वह खुलकर होली नहीं खेल पाती.
एक बात और अगर पति को रंग खेलना पसंद ना हो तब तो मानो ऐसा लगता है रंग खेलकर वह महिला कोई पाप ही कर देगी, इसलिए वह भी रंग को हाथ नहीं लगाती. कई बार तो ऐसा होता कि पति खा-पीकर दोस्तों के साथ रंग खेलने चले जाते हैं और शाम तक पत्नियां उनके लौटने का इंतजार ही करती रहती हैं. जब वे लौटते हैं तो नशे में रहते हैं, ऐसे में क्या होली और क्या परिवार का साथ. जिस महिला को बचपन में होली का इंतजार रहता था, जो सहेलियों के साथ जी भर के होली खेलती थी, अब वह रंगों से दूरी बनाने में भी अपनी भलाई समझती है. इतना ही नहीं जब सभी लोग रंग खेलकर घर में पानी-पानी कर देते हैं और चारों तरफ गुलाल फैला देते हैं तो उसकी साफ-सफाई भी मां ही करती है.
क्या घर की महिलाओं के प्रति हमारी कोशिश नहीं होनी चाहिए. जो एक मां, एक बहू और एक पत्नी होने से पहले एक इंसान (Women playing holi) हैं. जो अपनी छोटी-छोटी खुशियों को बच्चों और परिवार के लिए कंप्रोमाइज करती हैं. इस बार होली 28-29 मार्च को मनाया जाएगा. 28 मार्च को होलिका पूजन है और 29 मार्च को रंगों वाली होली. हम यह नहीं कहते कि आप होली मत खेलो, लेकिन मां की थोड़ी मदद करके इस बार उनके साथ खुलकर हैपी होली (Happy Holi 2021) मनाओ.
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