भारत में एक लड़की जब 18 की होती है तो...
अगर तुम अपने लिए जीवनसाथी चुनना चाहती हो तो 18 में तो तुम गलत हो ही... 25, 35 या 45 साल की होने पर भी ऐसा करने पर तुम बच्ची ही कहलाओगी. पहले वो कहेंगे कि तुम्हें तजुर्बा नहीं है. फिर वो, तुम्हें इज्जत और समाज के नाम पर बहलाने की कोशिश करेंगे.
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तुम स्कूल में हो. ग्यारहवीं या बारहवीं में हो. या फिर कॉलेज के फर्स्ट ईयर में हो. तुम अभी भी किशोरावस्था में हो. इसी समय तुम्हारे माता-पिता तय कर लेते हैं कि अब तुम्हारी शादी कर देनी चाहिए. तुम्हें लाल या सफेद कपड़े में बांध कर बिठा दिया जाएगा. हो सकता है कि तुम अंदर ही अंदर ये चाहती हो या इस बात की प्रार्थना कर रही हो कि कोई आकर इसे रोक दे. लेकिन कोई नहीं आएगा.
तुम अठ्ठारह साल की हो. इसलिए ये पूरी तरह कानूनी है. कानून के दायरे में है. ये इतना कानूनी है कि राज्यों के मुख्यमंत्री इसी दिन के लिए जनता के पैसे का इस्तेमाल कर फंड जमा करते हैं. ताकि तुम्हारे माता-पिता उन पैसों का इस्तेमाल कपड़े, खाना और थोड़ा बहुत दुल्हे पर खर्च करने के लिए कर सकें.
तुम 18 साल की हो. तुम्हें किसी अजनबी के साथ एक कमरे में बंद कर दिया जाता है. इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता तुम क्या कह रही हो. 'हां', 'ना' या फिर कह रही हो कि 'अभी नहीं', अभी मन नहीं है. लड़का उम्र में तुमसे बड़ा ही होगा क्योंकि कानून के अनुसार लड़कों की शादी की उम्र 21 साल होती है.
कोई आगे नहीं आता. कोई आकर नहीं कहता कि 'रूक जाओ'. न पुलिस, न प्रशासन और न ही कानून. तुम 18 साल की एक 'जवान' लड़की हो और अब दुनिया को चलाने, आगे बढ़ाने के लिए बिल्कुल फिट हो. तुम खाना बनाओगी, झाड़ू पोछा बर्तन सारे काम करोगी. पानी भरकर लाओगी, सारा घर संभालोगी. 18 साल की उम्र में तुमसे बच्चे पैदा करने, उनकी देखभाल करने की अपेक्षा की जाती है. ऐसा करते हुए तुम्हें मरने तक की इजाजत नहीं है.
22 साल की उम्र में तुम दुनिया को त्याग सकती हो. 13 साल की उम्र में खाना-पीना छोड़ सकती हो. ये सब गैर-कानूनी नहीं है. सब कानून के दायरे में है 18 साल की उम्र में तुम्हें एक समझदार इंसान होना चाहिए. 25 साल की उम्र में तुम सांसद बन देश चला सकती हो. जब तुम संविधान की शपथ लेती हो तो अपने काम में तुमसे बराबर की भागीदारी की उम्मीद की जाती है.
औरतों सुन लो... औकात क्या है तुम्हारी
लेकिन 25 साल की उम्र में तुम अपनी जिंदगी किसके साथ बिताना चाहती हो ये तय नहीं कर सकतीं. सभी भारतीय स्त्रियों को ये बात गांठ बांधकर रख लेनी चाहिए कि जो मर्द आपके देश पर राज करते हैं उनके अनुसार आप 18 साल की उम्र में सेक्स और बच्चा पैदा करने के लिए 'तभी तक' बड़े हैं जब तक आप खुद अपने लिए लड़का पसंद नहीं करतीं. जैसे ही तुमने अपने लिए पति खुद चुन लिया तुम नालायक, बच्ची, नासमझ सब हो जाती हो. फिर चाहे तुम्हारी उम्र 25 साल ही क्यों न हो.
एक समय था जब उन्हें लगता था कि तुम्हारी शादी 12 साल की उम्र में कर देनी चाहिए. कभी लगा था कि 8 साल में किसी अजनबी से बांध दें. कभी 9 साल में तो कभी 12 में तो कभी 14 या 18 में तुम्हें बांधने की उम्र लगातार अपने हिसाब से तय की जाती रही. क्योंकि वो चाहते थे कि तुम खुद अपने लिए फैसले न लो.
हां इन्होंने तुम्हें नाक दुसरे तरीके से पकड़वाई. कभी कहा कि समाज और संस्कृति के कारण विवश हैं. कभी कहा कि उन्होंने सबकुछ तुम्हारे लिया किया है. कभी कहा कि ढंग का लड़का मिलना बहुत मुश्किल काम है. कभी कहा कि वो तुम्हारी सुरक्षा चाहते हैं और अकेली लड़की के लिए ये दुनिया बहुत खराब है. लेकिन शहद भरे इन शब्दों के पीछे सिर्फ एक ही सच्चाई छुपी थी- वो तु्म्हें चुनने का अवसर नहीं देना चाहते थे. अगर सीधी सपाट भाषा में कहूं तो- आप सिर्फ उसके साथ सेक्स करें जिसके लिए उन्होंने आदेश दिया है. ये पढ़कर आपको बुरा लगा होगा. लेकिन यही सच है.
मैं बहुत गुस्से में हूं. और इसलिए बिना लाग-लपेट के मैं कड़े शब्दों में कहूंगी: ये गुलामी है. जिस इंसान को अपना साथी चुनने का अधिकार नहीं है वो गुलाम है. गुलामी. ये शब्द रसूख, इज्जत, परिवार, माता-पिता, नैतिकता जैसे शब्दों से घिरा हुआ है. शादी करने से पहले उन कायदों को अच्छी तरह समझ लीजिए जिसे कोर्ट पैमाना मानता है कि आखिर आप किसी से शादी क्यों कर रहे हैं. वरना आप पर हक जताने वाले आपको ढूंढ निकालेंगे, दबोच लेंगे और आपकी तमाम तमन्नाओं को धूल में मिला देंगे.
अगर आप अपने लिए जीवनसाथी चुनना चाहती हैं तो 25, 35 या 45 साल की उम्र में भी आप बड़ी नहीं हो जातीं. पहले वो कहेंगे कि आपको तजुर्बा नहीं है. फिर वो, लोग और समाज के नाम पर आपको बहलाने की कोशिश करेंगे. और अंत में आप शादी के लिए खुद फैसला कर रही हैं इसके लिए दुत्कारेंगे. रेप के लिए आपकी कोई उम्र नहीं होती. रेप का शिकार बनने के लिए आप कभी भी बच्ची या बुढ़ी नहीं होती. जब सारे उपाय फेल हो जाएंगे तो वो आपको समाज का डर और प्रतिष्ठा का हवाला देकर अपनी बात मानने के लिए कहेंगे. वो आपको गुलामी करने के लिए तैयार कर रहे हैं. आप गुलाम बन रही हैं.
उनको लगा कि आप उनके झांसे में आ गईं. 2000 साल तक तुम्हें अपना गुलाम बनाकर रखने के बाद अब उन्हें फिर से छटपटाहट हो रही है. 2000 साल पहले वो समय था जब हर बात के लिए तुम अपने मालिक के आदेश का इंतजार करती थी. अब पिछले 150 सालों में उन्हें अपने कदम पीछे हटाने पड़े हैं. इसलिए अब वो तुम्हें तुम्हारी औकात दिखा रहे हैं. तुम्हें बता रहे हैं कि तुम्हारी देह से लेकर तुम्हारी कोख तक पर उनका अधिकार है.
तुम्हारे अपने भोलेपन के खिलाफ वो लात, मुक्के और हथियार तक का इस्तेमाल करेंगें. जहां जरुरत होगी वहां कानून का इस्तेमाल करेंगे. और जब कुछ भी काम नहीं करेगा तो वो हत्या का सहारा लेंगे. और वो ऐसा करते हैं. तुम भारतीय लड़कियां और महिलाओं अगर ये सोच रही हो कि इस गुलामी से तुम बाहर आ जाओगी. इस समय तो खैर तुम फिर भी चुन सकती हो लेकिन कल का मैं नहीं सकती.
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