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Updated: 31 दिसम्बर, 2022 07:59 PM
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उत्तर प्रदेश में नशे के खिलाफ एक जोरदार सामाजिक अभियान खड़ा होता नजर आ रहा है. मोहनलालगंज से सांसद और नरेंद्र मोदी कैबिनेट में आवास एवं शहरी कार्य राज्यमंत्री कौशल किशोर का अभियान धीरे-धीरे जनआंदोलन का रूप धरता जा रहा है. असल में सोशल मीडिया पर पिछले कुछ दिनों से नशाखोरी के खिलाफ उनकी सक्रियता देखते ही बनती है. नशे को लेकर उनकी अपील और उसके पीछे की वजह स्वाभाविक रूप से लोगों का ध्यान खींच रही है. कौशल किशोर अनुसूचित समुदाय में पासी समाज से आने वाले राष्ट्रीय कद के नेता हैं. असल में उनके बेटे की मौत हो गई. बेटे को नशे की लत थी. उन्हें लग रहा है कि नशे ने ना सिर्फ उनके बेटे का जीवन ख़त्म कर दिया बल्कि उनकी निर्दोष बहू को भी कीमत चुकानी पड़ रही.

यह वही कौशल किशोर हैं जिन्होंने हाल ही में शाहरुख खान की फिल्मों का इस बिना पर विरोध किया कि वह नशा करते हैं. इस वजह से लोग उनकी पठान को ना देखें. सोशल मीडिया और तमाम सामाजिक अभियानों के जरिए कौशल किशोर लोगों को नशे के खिलाफ आगाह कर रहे हैं. वे यहां तक कह रहे कि जो गलती मैंने की उससे आप सबक लें और किसी भी ऐसे व्यक्ति से अपनी बेटी की शादी ना करवाए जो नशाखोरी करता हो. भले ही वह कितना ही अमीर और कितने ही बड़े पद पर क्यों ना बैठा हो. उनका ट्विटर हैंडल नशे के खिलाफ अभियान का एक प्लेटफॉर्म नजर आता है. प्राय: उनके ट्वीट और रीट्वीट नशे के खिलाफ जनजागरूकता फैलाने वाले नजर आ रहे हैं. इसी महीने 12 दिसंबर को उन्होंने एक पर एक तीन ट्वीट्स में लिखा- "मैंने एक गलती करके अपने नशा करने वाले लड़के की शादी कर दी. जिसकी वजह से आज मेरी बहू विधवा हो गई. अब कोई और लड़की विधवा ना हो इसलिए अपनी लड़कियों की शादी किसी भी नशा करने वाले व्यक्ति से न करें चाहे वह कितने बड़े पद, पोस्ट पर हो और चाहे कितना ही वह अमीर हो."

Kaushal Kishore campaign PM मोदी के साथ दिग्गज नेता कौशल किशोर.फोटोPTI

उन्होंने एक और ट्वीट में लिखा- "यदि नशा न करने वाले किसी गरीब लड़के से शादी करेंगे तो निश्चित तरीके से कम से कम लड़कियां सुरक्षित रहेंगी और अमन चैन से रहेंगी लेकिन जो लोग नशा करते हैं, वह लोग घर में आकर मारपीट झगड़ा विवाद गाली-गलौज करते हैं जिसकी वजह से परिवार पीड़ित रहता है और महिलाओं को बच्चों को सबसे ज्यादा पीड़ा झेलनी पड़ती है. इससे बचने के लिए सभी से अनुरोध है कि अपनी लड़कियों की शादी नशा न करने वाले लड़कों से ही करें. लड़कियों से भी मेरा अनुरोध है कि लड़कियां नशा करने वाले लड़कों से शादी करने से इनकार कर दें. ऐसे लड़कों से ही शादी करें जो नशा नहीं करते." कौशल किशोर के अभियान से पता चलता है कि वे नशे की वजह से बेटे को खोने के गहरे आघात से परेशान हैं.

हालांकि चीजों की क्रोनोलोजी देखें तो यह भी पता चलता है कि समाज में बढ़ती नशाखोरी के खिलाफ कौशल किशोर की पार्टी ने इसे अभी बड़ा राजनीतिक एजेंडा तो नहीं बनाया है लेकिन प्रमुखता से इस पर काम कर रही है. उनके तमाम नेता इस दिशा में सक्रिय नजर आते हैं. भाजपा की राज्य सरकारें भी अपने स्तर पर नशाखोरी के खिलाफ मुहिम के जरिए सामजिक बदलाव की दिशा में आगे बढ़ रही हैं.

नशाखोरी के खिलाफ बड़ा सामाजिक-राजनीतिक अभियान चलाते दिख रही भाजपा, क्या है इसके पीछे  

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अभी एक हफ्ता पहले ही क़ानून व्यवस्था को लेकर एक समीक्षा बैठक में अफसरों को निर्देश दिया कि पुलिस विभाग में जांच की जाए कि कौन-कौन कर्मचारी ड्रग की लत का शिकार है. उन्होंने साफ़ कहा कि नशे की लत के शिकार पुलिस कर्मियों को कोई जिम्मेदारी ना दी जाए. उन्होंने दो टूक कहा कि ड्रग की लत के शिकार पुलिस कर्मचारियों को चिन्हित किया जाए और उन्हें पुलिस सेवा से बर्खास्त किया जाए. मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती भी नशाखोरी के खिलाफ जबरदस्त अभियान चला रही हैं. पिछले दिनों उनके अभियानों के कुछ वीडियोज पर राजनीतिक बहस शुरू हुई.

अभी हाल में बिहार में नशीली शराब से मौतों पर भी भाजपा बहुत आक्रामक नजर आई. पार्टी ने आरोप लगाया कि सरकार बदलने के साथ ही सीमांचल के रास्ते सफेदपोश देश विरोधी ताकतें सक्रिय हो गईं. नशे के कारोबार में चिंताजनक वृद्धि देखने को मिली है. राजनीतिक संरक्षण में अवैध शराब के कारोबार के संचालन को लेकर आरोप लगाए गए. वैसे भाजपा नेता और सरकारें जिस तरह से नशाखोरी और उसे चलाने वाले सिंडिकेट के खिलाफ सक्रिय हैं, अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कि यह उनके लिए एक बड़ा सामजिक और राजनीतिक मुद्दा है. हो सकता है कि 2024 के चुनाव में इसे प्रमुखता से विषय बनाया जाए.

उधर, केंद्रीय एजेंसियां भी ड्रग तस्करी और इसके पीछे लगी ताकतों पर नकेल कसने की दिशा में प्रहार कर रही है. सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद नारकोटिक्स विभाग ने मुंबई में कई हाईप्रोफाइल लोगों पर फंदा डाला. बड़े ड्रग पैडलर पकड़े गए. कई हाई प्रोफाइल लोग भी नारकोटिक्स के जाल में फंसे. इसमें शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान का केस भी प्रमुखता से आया. आरोप है कि उनके पास से प्रतिबंधित नशीला पदार्थ बरामद किया गया. उन्हें जेल तक जाना पड़ा. यह मामला फिलहाल अदालती प्रक्रिया में है. बॉलीवुड के कई सितारों से ड्रग लिंकअप को लेकर पूछताछ हुई. ड्रग के सिलसिले में तमाम सितारों की चैटिंग को देखकर समूचा देश हैरान रह गया था. लोगों को यकीन नहीं हुआ कि बॉलीवुड के सुपरस्टार्स के जीवन में ऐसा भी कुछ चल रहा है.

रोकथाम के लिए केंद्रीय एजेंसियों सीमा सुरक्षा बालों को अधिकार दे रही मोदी सरकार

इसमें कोई शक नहीं कि केंद्र सरकार देशभर में नशे के खिलाफ आक्रामक मोड में नजर आती है. यह युवाओं को ड्रग की चपेट में जाने से रोकने के लिए जरूरी भी है. गृह मंत्रालय क्या कर रहा है अभी शीत सत्र में गृहमंत्री अमित शाह ने संसद को विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने बताया कि ड्रग का जो नेक्शस एक्टिव है, बाहर से खेप मंगाई जाती है- उनकी सरकार उसे जड़ से नष्ट कर देगी. उन्होंने बताया कि मोदी सरकार ने तकनीकी का सहारा लिया है. डेटाबेस तैयार किया जा रहा है. संबंधित एजेंस्कियों अर्द्ध सैनिक बलों को संसाधन और कानूनी अधिकार देने के काम किए जा रहे हैं. ऐसी व्यवस्था कर दी गई है जिसकी वजह से समुद्री रास्ते बाहर से आने वाली नशे की खेप अब पकड़ी जाने लगी है. गुजरात पोर्ट में इसका जबरदस्त असर दिखा. वहां बड़ी खेप पकड़ने में सफलता पाई गई. गुजरात देश का पहला राज्य है जिसने ड्रग के मामले में बड़ी सफलता अर्जित की है. पंजाब ड्रग का सबसे ज्यादा शिकार राज्य है लेकिन वहां केस ही दर्ज नहीं होते. जबकि वहां कोई हफ्ता नहीं बीतता कि ड्रोन से ड्रग तस्करी के नए-नए मामले सामने ना आते हों. पंजाब, बिहार, बंगाल में हालात ज्यादा चिंताजनक बताए जा रहे. अंतरराष्ट्रीय तस्करी  के ये सबसे बड़े अड्डे भी हैं.

असल में कानूनों में कमी की वजह से स्थलीय मार्ग से और सीमावर्ती राज्यों में एक्टिव ड्रग नेक्शस पर ठोस कार्रवाई में बाधा आ रही है. अमित शाह ने संसद को बताया था कि सीमावर्ती इलाकों में कार्रवाई तो हो जाती है मगर ड्रग नेक्शस क़ानून में कमियों का लाभ और राजनीतिक कनेक्शन की वजह से बच निकलता है. कानूनों की वजह से केंद्रीय एजेंस्कियों और अर्द्धसैनिक बालों को ज्यादा अधिकार नहीं हैं. वे मामले तो पकड़ लेते हैं लेकिन बाद में उन्हें राज्य के हाथ सौंपना पड़ता है. ड्रग नेक्शस बच निकलता है. यही वजह है कि केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई का निर्णायक असर व्यापक रूप से नहीं दिख पाता. केंद्रीय सरकार ड्रग की तस्करी रोकने के लिए कई कानूनों को बनाने की दिशा में बहुत आगे बढ़ चुकी है.

अंतराष्ट्रीय इस्लामिक आतंकी ऑपरेट करते हैं ड्रग का कारोबार, भ्रष्ट नेता-अफसरों से मिलती है मदद  

असल में ड्रग तस्करी में सप्लाई चेन का समूचा नेक्शस अंतर्राष्ट्रीय इस्लामिक संगठनों के हाथ में है. देश के अंदर और बाहर इसे आतंकी ही ऑपरेट करते हैं. इसमें राजनीति माफिया और भ्रष्ट अफसरों का सिंडिकेट भी शामिल है. ड्रग कारोबार का पैसा आतंकी गतिविधियों में खर्च होता है. सीमावर्ती इलाकों में हालत खराब हैं. बताने की जरूरत नहीं है कि पंजाब और जम्मू-कश्मीर में ड्रग की खेप कहां से आती है. और उसके पीछे कौन सी ताकतें हैं. इसी तरह पश्चिम बंगाल, असम और पूर्वोत्तर के सीमावर्ती इलाकों में भी खेप कहां से आती है? दक्षिण में ड्रग की एक बड़ी खेप केरल में आती है. लेकिन यह खेप पाकिस्तान की बजाए किसी और मुल्क से अनाधिकारिक तरीके से भेजी जाती है. दक्षिण पश्चिमी राज्यों में भी समुद्री रास्तों से ही खेप आती है. हवाई रास्ते भी इस्तेमाल किए जाते हैं. ड्रग पर निर्णायक प्रहार के लिए ठोस कानूनों की जरूरत है. चूंकि समाज तक नशे की लत जिस तरह पहुंच चुकी है- अभी उसकी रोकथाम नहीं हुई तो स्थिति भयावह हो जाएगी.

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