निर्भया के नाबालिग-बलात्कारी के साथ क्या सलूक हो?
तीसरी बरसी से ठीक एक दिन पहले वो दिल्ली में मजनूं का टीला के सुधार गृह से बाहर आ जाएगा.
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निर्भया केस का नाबालिग-बलात्कारी अब 20 साल का हो गया है. तीन साल की उसकी सजा पूरी होने जा रही है - और घटना की तीसरी बरसी से ठीक एक दिन पहले वो दिल्ली में मजनूं का टीला के सुधार गृह से बाहर आ जाएगा.
16 दिसंबर 2012
निर्भया के घरवालों ने सभी बलात्कारियों को फांसी की सजा दिए जाने की मांग की थी. अदालत ने इस मामले में चार लोगों को फांसी की सजा सुनाई और किशोर को तीन साल के लिए सुधार गृह भेजा गया. तब उसकी उम्र 17 साल और 6 महीने थी.
ये घटना 16 दिसंबर, 2012 की है जब दिल्ली में चलती बस में 23 साल की मेडिकल छात्रा के साथ छह लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया था. ट्रायल के दौरान बलात्कारियों में से एक ने आत्महत्या कर ली थी.
निर्भया के माता-पिता ने इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया है. आयोग ने दिल्ली सरकार के सचिव, दिल्ली के पुलिस कमिश्नर और गृह मंत्रालय के सचिव को नोटिस भेज कर दो हफ्ते के भीतर जवाब देने को कहा है.
15 दिसंबर 2015
मेल टुडे के साथ एक इंटरव्यू में निर्भया के पिता ने कहा, "वो जल्द ही बाहर निकल आएगा, वो किसी भी सड़क पर चलती किसी भी लड़की पर हमला कर सकता है जैसे उसने निर्भया पर किया था."
निर्भया के माता पिता चाहते हैं कि भारत में भी सेक्स ऑफेंडर्स के खिलाफ सख्त कानून बनाया जाए. निर्भया के माता-पिता सोराना यानी सेक्स ऑफेंडर्स रजिस्ट्रेशन एंड नोटिफिकेशन एक्ट जैसे कानून की मांग कर रहे हैं जो ऐसे मामलों में प्रभावी पाया गया है. ये कानून कनाडा और पूरे अमेरिका में लागू है.
इसके तहत सजायाफ्ता अपराधियों से जुड़ी अहम जानकारियां सरकार द्वारा आम लोगों को उपलब्ध कराई जाती है. इससे लोग जब चाहें दोषी अपराधी की मौजूदा लोकेशन मालूम कर सकते हैं और जान सकते हैं कि फिलहाल वो क्या काम करता है?
हाल ही में केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने भी ऐसी आशंका जताई थी. एक प्रेस कांफ्रेंस में मेनका ने कहा, "वो ऐसा व्यक्ति है जिस पर हमें निगरानी रखनी होगी. हम ये नहीं कर सकते कि उसे ऐसे ही जाने दें और फिर से किसी घटना का इंतजार करें."
मेनका की नजर में भी 'नाबालिग-अपराधी' में कोई सुधार नहीं आया है और वो समाज के लिए खतरा बना हुआ है. मेनका ने भी इस मामले में सख्त कानून बनाने पर जोर दिया है.
इतना ही नहीं खुफिया एजेंसियों को तो यहां तक शक है कि सुधार गृह में एक कश्मीरी किशोर अपराधी जिहाद में शामिल होने के लिए उसका ब्रेन-वॉश कर चुका है.
अब इन बातों से तो निर्भया के पिता की चिंता को ज्यादा ही बल मिलता है. आजाद होने के बाद वो महिलाओं और पूरे समाज के लिए बहुत बड़ा खतरा है. सच में कोई भी नहीं जानता कि वो कैसा दिखता है - और उसमें कितना बदलाव आया?
ऐसी तमाम चिंताओं के बावजूद सरकार उसके साथ क्या सलूक करती है, इसे देखना होगा. फिलहाल निर्भया के पिता की एक बात पर तो अमल हो ही सकता है - अगर उसे जेल में रखने का कोई कानून नहीं है तो कम स कम उसका चेहरा तो सार्वजनिक कर दिया जाए.
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