इन 5 बातों का जिक्र करने से लड़की गंदी कहलाने लगती है, मां या सहेली से भी करती है शर्म!
महिला दिवस 2022 पर चलिए जानते हैं कि वे कौन से टॉपिक हैं? जिनपर बात करने से लड़कियां झिझकती हैं और जिनके बारे में जानना उनके लिए जरूरी है.
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महिला दिवस 2022 (womens day) पर आज उन विषयों की बात करते हैं, जिनका जिक्र अगर कोई करती है तो उन्हें गंदी औरत (dirty women) की उपाधि दी जाती है. जिन बातों के बारे में जानना उसका अधिकार है लेकिन वह खुलकर किसी से भी पूछ नहीं पाती. इन बातों के बारें में ऐसा हौआ फैलाया गया है कि, कोई लड़की अपनी मां और सहेली से भी पूछने पर शर्माती है. चलिए जानते हैं कि वे कौन से टॉपिक हैं जिनपर बात करने से लड़कियां झिझकती हैं और जिनके बारे में जानना उनके लिए जरूरी है.
जानकारी के अभाव में कई किशोरियां कई उल्टे-पुल्टे काम कर जाती हैं
पीरियड्स का नाम भी जुबां से नहीं निकलना चाहिए
माहवारी यानी पीरियड्स पर बात करने वाली लड़की को चरित्रहीन समझा जाता है. यूपी में माहवारी के बारे में महिलाओं को जागरूक करने वाली स्वाति ने यह बात मुझसे करीब 5 साल पहले बताई थी. यह कहानी अभी भी वही है. पीरियड्स के लिए पैड के प्रचार तो बहुत हुए लेकिन आज भी लाखों बच्चियां जागरूक नहीं हैं. तभी तो उन्हें अपने पहले पीरियड्स पर परेशानी होती है.
तमाम अंधविश्वास के बारे में माएं अपनी बेटियों को बता देंगी. यह कोई नहीं बताता कि साफ-साफाई का ध्यान कैसे रखना है, इस दर्द से निजात कैसे मिलेगा? इस समय डाइट कैसी लेनी चाहिए या फिर पीरियड्स क्रैम्प से राहत कैसी मिलेगी. काम पर बाहर जाना हो तो किन बातों का ध्यान रखना होगा?
जानकारी के अभाव में कई किशोरियां कई उल्टे-पुल्टे काम कर जाती हैं. कई इसे बीमारी और गंदगी समझने लगती हैं. कईं बहते खून को रोकने के लिए गंदा कपड़ा भी इस्तेमाल करने लगती हैं. उन्हें किसी से कुछ कहने या बताने में शर्म आती हैं. वे समझ ही नहीं पाति कि उनके साथ क्या हो रहा है? कई लड़कियों को संक्रामक बीमारियां हो जाती हैं. यहां तक की कई लड़कियों की पढ़ाई छूट जाती है.
अगर कोई लड़की इस बारे में कहीं बात करते हुए या लिखते हुए दिख जाए तो उसे गंदा ही समझा जाता है. कई लड़कियां पीरियड्स के बारे में सांकेतिक भाषा में बात करती हैं ताकि कोई सुन न लें. इसलिए लड़कियां कोड भाषा का इस्तेमाल करती हैं.
मां बनना बड़ी उपलब्धि लेकिन प्लानिंग की बात करना बेशर्मी
समाज के अनुसार, शादी के बाद लड़की की दूसरी सबसे बड़ी उपलब्धि मां बनने पर मिलती है, लेकिन गर्भधारण करने के बारे में वह किसी से बात नहीं कर सकती. बेबी प्लानिंग जैसी बातें आज भी फिल्मी और टीवी दुनिया की बात लगती है. आम घरों में तो अधिकतर बच्चे बिना प्लानिंग के ही हो जाते हैं.
उसके मन में इसे लेकर हजारों सवाल होते हैं लेकिन शर्म के कारण वह किसी से कुछ पूछ नहीं पाती है. इस बारे में बात करने के लिए उसे डॉक्टर के पास भी तभी ले जाया जाता है जब वह गर्भवती हो जाती है या लाख कोशिश करने के बाद वह प्रेगनेंट नहीं हो पाती है. वहीं प्रेगनेंसी में एक महिला की क्या जरूरते होती हैं? इस बारे में वह किसी से कुछ बोल नहीं पाती, उसे लगता है कि उसे गलत ही समझा जाएगा.
सेक्स अरे जरा धीरे बोलो किसी ने सुन लिया तो
यह एक ऐसा शब्द है, जिसे किसी महिला के मुंह से सुन लिया जाए तो उसे गंदी महिला का खिताब दे दिया जाता है. सेक्स को हमेशा पुरुषों के लिए और पुरुषों की मर्जी से ही जोड़ कर देखा जाता रहा है. लोग जैसे यह मानने के लिए ही तैयार नहीं है कि, सेक्स एक महिला की भी इच्छा हो सकती है.
सेक्स के साथ एजुकेशन जोड़कर इसे इज्जत देने की कोशिश की जाती है लेकिन फिर भी लोग इस पर बात नहीं करना चाहते. कोई महिला अगर इस पर बात करे तो उसे जज किया जाता है. गंदी बात की किसी सीरीज में यह दिखाया गया है कि कोई महिला सेक्स से इतना डरती है कि वह शादी नहीं करना चाहती.
उसे लगता है कि सेक्स करने पर बहुत दर्द होगा...इस चक्कर में उसकी शादीशुदा जिंदगी भी खराब हो जाती है. लोग बेटियों की शादी तो करा देते हैं लेकिन सेक्स के बारे में मां भी कोई जानकारी नहीं देती हैं. इसलिए जानकारी के अभाव में महिलाओं को इंफेक्शन हो जाता है. महिलाएं सहेलियों से भी इस बारे में बात करने से कतराती हैं.
खुद के पसंद के लड़के शादी की बात ना बाबा ना
लड़कियां सारे जहां के काम करती रहें लेकिन अपने पंसद के लड़के से शादी करनी है, यह बात बताने में महीनों झिझकती हैं. अधिकतर मामलों में घरवालों को कहीं और से ही पता चलता है कि उनकी बेटी किसी को पसंद करती है.
ऐसा नहीं है कि वे अपनी माता-पिता से बताना नहीं चाहतीं. असल में लड़कियों की शादी को लेकर माहौल ही ऐसा बनाया गया है कि वे डर और शर्म के मारे बता नहीं पातीं. लड़कियों को लगता है कि पता नहीं उनके घरावाले उनके बारे में क्या सोचेंगे?
आज भी समाज की नजरों में वही लड़की अच्छी होती है जो सारे काम अपने घरवालों की मर्जी से करती है. लव मैरिज की बात करना मतलब चरित्र पर उंगली उठाने वाले को न्योता देना.
दोस्तों के साथ पार्टी करती है मतलब बिगड़ैल है
घर के बेटे बड़े आराम से दोस्तों के साथ टूर पर जा सकते हैं, पार्टी कर सकते हैं. वहीं लड़की अगर दिन के समय में भी दोस्तों के साथ पार्टी करने की बात कर दे तो तूफान मच जाता है. नाइट आउट करने या रात की पार्टी करने की तो बात ही छोड़ दो.
रात के समय किसी लड़की के बाहर जाने का मतलब उसके चरित्रहीन होने से है. शर्म के मारे लड़की पूछने से पहले 100 बार सोचती है. जी हां अपने सारे काम करने से पहले एक लड़की को पहले घर में पूछना ही पड़ता है. भले वह लड़की सही है और कुछ गलत नहीं कर रही लेकिन पार्टी की बात करने की उसकी हिम्मत नहीं होती.
घरवाले अगर दिन की पार्टी के लिए मान भी जाते हैं तो सबसे पहले यही सवाल होता है कि, पार्टी कहां होगी? घर से दूर तो नहीं है, कौन-कौन आएगा? वहीं पार्टी के बाद अगर बाद में पता चले कि वहां कोई लड़का भी आया था तब तो अलग मुसीबत...
हम बहुत गहराई में नहीं भी जाते हैं तो भी यह पता है कि, इन विषयों के बारे में बात करना हर महिला की जररूत है. वरना वे इस दुनिया में हर वक्त दबा ही महसूस करेंगी. महिला दिवस पर गिफ्ट देने और विश करने से बात नहीं बनेगी. जब तक महिलाओं का सम्मान नहीं करेंगे उनकी जिंदगी बेहतर नहीं हो पाएगी.
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