युनानी पौराणिक कथा को मानें तो सेल्फी एक श्राप है
सेल्फी कई लोगों के जीवन की आखिरी तस्वीर बनकर रह गईं. निश्चित रूप से बात परेशान करने वाली है कि दुनिया में सेल्फी से होने वाली मौत सबसे ज्य़ादा भारत में ही हुई हैं. इस तरह होने वाली कुल मौतों में आधी हिंदुस्तान में हुई.
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यूनान की एक पौराणिक कथा के अनुसार नदी के देवता सेफिसस और अप्सरा लीरिओप का एक सुंदर बालक था जिसका नाम नारसिसस. एक भविष्यवक्ता ने घोषणा की थी कि उसकी उमर काफी लंबी होगी, बशर्ते वो अपना चेहरा न देखे. एक बार नारसिसस ने अपना चेहरे का प्रतिबंब तालाब के पानी में देख लिया और उस पर मोहित हो गया. इतने आत्म मुग्ध कि हर समय अपना चेहरा तालाब में देखा करता. कथाएं कहती हैं कि एक दिन उसी तालाब में डूबकर उनकी मौत हो गई. मृत्युस्थल पर एक पुष्प उगा जिसे "नारसिसस" (नरगिस) नाम दिया गया.
खैर ये तो हुई पुराणों की बात. लेकिन ऐसे नारसिसस अब भी जन्म ले रहे हैं. इसी आशीर्वाद के साथ जन्मे हैं कि यदि वे खुद पर अति मोहित न हों तो दीर्घायु होकर काफी कुछ कर सकते हैं. वे वाकई खूबसूरत हैं. लेकिन, युवा होने पर शायद कोई श्राप उनपर हावी हो जाता है. वे सेल्फी लेने लगते हैं. खुद को हमेशा के लिए खत्म कर देने वाली सेल्फी.
सेल्फी के प्रति दीवानगी भी एक तरह का नारसिज्म ही तो है. यह मनोवैज्ञानिक सत्य है कि तनाव से मुक्त होने के लिए बाहरी वस्तुओं के प्रति आकर्षण होता है, और जब व्यक्ति वस्तुओं अथवा व्यक्तियों में रस नहीं ले पाता तो वो खुद से प्रेम करने लगता है. खुद से प्रेम करने की इस लत को मनोविज्ञानिक एक डिसऑर्डर भी मानते हैं. सेल्फी का क्रेज लोगों में इस कदर हावी है कि लोग अपनी जान की परवाह न करते हुए भी सेल्फी लेने से नहीं चूकते. लिहाजा ये सेल्फी कई लोगों के जीवन की आखिरी तस्वीर बनकर रह गईं. निश्चित रूप से बात परेशान करने वाली है कि दुनिया में सेल्फी से होने वाली मौत सबसे ज्य़ादा भारत में ही हुई हैं. इस तरह होने वाली कुल मौतों में आधी हिंदुस्तान में हुई.
पिछले साल सेल्फी लेने की वजह से नागपुर में 7 लड़के नदी में बह गए, नर्मदा के तट पर सेल्फी खिंचवाते वक्त पैर फिसला और 4 लड़के डूब गए. पिछले दिनों मुंबई में बांद्रा बीच पर कुछ लड़कियां सेल्फी लेते वक्त डूब गईं, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई. चलती ट्रेन के सामने सेल्फी खिंचवाने से तीन लड़कों की जान चली गई. हाल ही में चेन्नई में एक 16 साल का भी चलती ट्रेन के सामने सेल्फी खिंचवाना चाहता था, लेकिन अपनी जान से हाथ धे बैठा. ये कुछ मामले हैं जिससे सरकार ने देश भर में ऐसे 16 जगह को 'नो सेल्फी जोन' घोषित किया है.
भारत के अलावा विदेशों में भी 'डेयरडेविल सेल्फी' या फिर 'रिस्की सेल्फी' का क्रेज है, जहां लोग जान की परवाह नहीं करते और सेल्फी खींचते हैं. सेल्फी से होने वाली मौत के मामले में भारत के बाद रूस का ही नाम आता है. इस देश ने तो सेफ सेल्फी खेचने की गाइडलाइंस भी दी हैं.
इन हादसों को देखते हुए मुंबई के एक शख्स ने लोगों को जागरुक करने के लिए एक एक वेबसाइट बनाई है. selfietodiefor नाम की इस वेबसाइट में लोगों को शपथ लेने के लिए प्रेरित किया जाता है कि वो सेफ सेल्फी लेंगे, और अपनी या अपने साथियों की जान खतरे में नहीं डालेंगे. इस वेबसाइट पर 250 से ज्यादा लोग शपथ ले चुके हैं. फेसबुक पर भी इनके पेज पर 2000 से ज्यादा लाइक्स हैं.
लेकिन किसी के भी ऐसे प्रयास तभी कारगर साबित होंगे जब लोग इस आत्ममुग्धता से बाहर आएं. वो खुद को इस श्राप से मुक्त करें. युवाओं को समझना होगा कि वो मोह जीवन से रखें न की इन सांसारिक चीजों से. वरना सेल्फी ऐसे ही खींची जाती रहेंगी, और हादसे भी ऐसे ही होते रहेंगे.
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