आजादी के बाद से भारतीय रेलवे की इस बड़ी उपलब्धि को कम मत समझिए
भारतीय रेलवे ने बहुत अच्छी पहल की है जहां सिर्फ 5 महीने में ही अहम रूट्स की अधिकतर मानवरहित क्रॉसिंग हटा दी गई हैं या तो वहां सबवे या ओवरब्रिज बना दिया गया है या फिर गेट मित्र लगाया गया है.
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भारतीय रेलवे के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है? इसका जवाब शायद अलग-अलग लोगों के लिए अलग होगा, किसी के लिए ट्रेन में टॉयलेट बनाना सबसे बड़ा है, किसी के लिए देश को कोने-कोने तक रेलवे लाइन पहुंचाना सबसे बड़ी उपलब्धि होगी तो किसी के लिए एसी कोच को बेहतर बनाना हो सकती है, कुछ को शायद बुलेट ट्रेन सबसे बड़ी उपलब्धि लगे, लेकिन मेरे लिए सही मायनों में अब भारतीय रेलवे ने कुछ बड़ा किया है.
अप्रैल 2018 में दुदही रेलवे क्रासिंग पर स्कूल वैन (टाटा मैजिक) सिवान-गोरखपुर पैसेंजर ट्रेन से टकरा गई थी. इसमें ड्राइवर सहित 13 बच्चों की मौत हो गई थी और इस कारण संसद से लेकर सड़क तक हर जगह विरोध प्रदर्शन हुए थे. उस समय मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग को लेकर बहुत बातें की गईं थीं और सरकार ने जल्द से जल्द इस समस्या का हल निकालने का आश्वासन दिया था.
रेलवे ने अब मानवरहित क्रॉसिंग खत्म करने की पहल तेज़ कर दी
अब दावा किया जा रहा है कि रेलवे क्रॉसिंग पर होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए अधिकतर बड़े रूट्स पर सरकार ने मानवरहित क्रॉसिंग खत्म करने का काम लगभग पूरा कर लिया है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट्स सूत्रों के हवाले से ये दावा कर रही है कि भारतीय रेलवे ने देश की ऐसी रेलवे क्रॉसिंग पर या तो गेट मित्र लगाए हैं या फिर इन क्रॉसिंग पर गेट लगाने या सबवे बनाने का काम पूरा कर लिया है.
सभी तेज़ रफ्तार ट्रेनों से लोग सुरक्षित..
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस महीने के आखिर तक सिर्फ 600 ऐसी क्रॉसिंग रह जाएंगी जहां किसी तरह का कोई काम न किया गया हो. हादसे रोकने के लिए लगभग हर ऐसे रूट पर जहां 130 किलोमीटर प्रति घंटे से तेज़ रफ्तार की ट्रेन चलती है वहां मानवरहित क्रॉसिंग अब नहीं होंगी. जहां सबवे या ओवरब्रिज नहीं बनाया जा सकता था वहां भी तत्कालीन तौर पर गेट मित्र को लगा दिया गया है. जिन्हें गेट मित्र के बारे में नहीं मालूम उन्हें बता दूं कि ये वो लोग होते हैं जो मानवरहित क्रॉसिंग पर आने-जाने वाले वाहनों को और लोगों को आने वाली ट्रेन के बारे में आगाह करते हैं, उन्हें इस काम के लिए खास ट्रेनिंग दी जाती है.
इस साल अप्रैल में ऐसी 3470 क्रॉसिंग का जिक्र किया गया था और पूरे नेटवर्क में इन क्रॉसिंग पर खास ध्यान देने की बात की गई थी. हालांकि, इनमें से अधिकतर में ट्रेनों की स्पीड कम होती थी, लेकिन 1300 ऐसी थीं जहां हाई स्पीड ट्रेनें चलती थीं और यहां बेहद खतरनाक स्थिती थी रेल प्रशासन के लिए और उन लोगों के लिए जो हादसों की चपेट में आ जाते थे. अब रिपोर्ट के मुताबिक जो बची हैं वहां बहुत कम ट्रैफिक है और जल्द ही उन्हें भी हटा दिया जाएगा.
इसी कड़ी में गुवाहाटी की नॉर्थईस्ट फ्रंटियर रेलवे में एक भी रेलवे क्रॉसिंग ऐसी नहीं बची है. मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग से इस रेलवे लाइन को पूरी तरह से छुटकारा मिल गया है. इस लिस्ट में सेंट्रल, ईस्टर्न, साउथ ईस्ट सेंट्रल और वेस्ट सेंट्रल रेलवे लाइन भी शामिल है.
रेलवे ने ये पॉलिसी भी अपना ली है कि आगे आने वाले समय में किसी भी जगह लेवल या मानवरहित क्रॉसिंग नहीं बनाई जाएगी. 2007-08 से 1272 लोग मानवरहित लेवल क्रॉसिंग के कारण मारे गए हैं और इसी साल इस तरह की क्रॉसिंग के कारण 16 लोगों की मौत हो गई है.
अगर हम सिर्फ रेलवे की इसी बात की तारीफ करें कि जिन रूट्स पर सबसे ज्यादा ट्रैफिक होता है उन रूट्स पर रेलवे सबसे ज्यादा ध्यान दे रही है तो कम से कम दुर्घटनाओं को रोकने की भारतीय रेलवे की ये पहल प्रशंसनीय है. अगर ये रिपोर्ट सही है तो यकीनन इससे कई लोगों की जान बच सकती है. देखिए इस बात को तो नकारा नहीं जा सकता कि रेलवे क्रॉसिंग पर लोगों की जान जाने का कारण कई बार उनकी अपनी गलती होती है, लेकिन रेलवे के लिए भी दुर्घटना के बाद मुआवजा देने से बेहतर है कि पहले ही कुछ अच्छी सुरक्षा योजनाओं पर खर्च कर दिया जाए ताकि लोगों की जान बच सके. और यकीनन पांच महीने में ये काम करना काबिले तारीफ है.
रिपोर्ट के अनुसार अब अहम रूट्स पर सिर्फ 600 क्रॉसिंग मानवरहित बची हैं जिन्हें जल्द ही खत्म किया जा रहा है
वैसे तो रेलवे की इस पहल की तारीफ करनी जरूरी है, लेकिन इसके बाद एक नई समस्या पैदा हो सकती है. 16 सितंबर की रात दिल्ली में रेलवे के एक गेट मैन के दोनों हाथ काट लिए गए. ये घटना दिल्ली के नरेला की है जहां गेटमैन कुंदर पाठक के हाथ काट लिए गए. सिर्फ इसलिए क्योंकि कुंदन अपना काम कर रहा था और उसने दो लोगों के लिए रेलवे फाटक नहीं खोला था क्योंकि ट्रेन आ रही थी. कुंदन का रोहिणी स्थित एक अस्पताल में इलाज चल रहा है और उसकी स्थिती गंभीर बताई जा रही है.
गेट मित्र या रेलवे के गेट मैन अगर किसी जगह पर अपना काम कर रहे होते हैं तो उनकी बात सुनी नहीं जाती. अगर कुशीनगर वाले हादसे की ही बात करें तो उस समय गेट मित्र की चेतावनी के बावजूद ड्रायवर ने स्कूल वैन क्रॉस करने की कोशिश की थी.
जहां गेट मित्र मौजूद नहीं हैं वहां लोग अपनी मर्जी से रेलवे लाइन क्रॉस करते हैं और जहां मौजूद हैं वहां उन्हें काम करने नहीं देते. एक बात तो समझनी होगी कि कहीं रेलवे प्रशासन की गलती है तो कहीं न कहीं उन लोगों की भी गलती है जो चेतावनी मिलने के बाद भी किसी की नहीं सुनते. अगर चेतावनी दी ही न जाए तो रेलवे की गलती, लेकिन सामने आती ट्रेन को देखकर भी क्रॉस करने की कोशिश करें तो यकीनन ये गलती तो उन लोगों को भी दी जाएगी.
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