ऐसे 'रिकॉर्ड' से ही टूटेंगे बलात्कारियों के हौंसले
महज 23 दिनों के अंदर 4 महीने की बच्ची को अगवा कर उससे रेप और फिर उसकी हत्या करने के दोषी को फांसी की सजा सुनाई गई है. रेप के मामले में इतनी जल्दी और इतनी कठिन सजा देना अपने आप में एक रिकॉर्ड है.
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कहते हैं सजा का डर ही किसी को अपराध करने से रोकता है. अगर सजा का डर नहीं होगा तो कोई शख्स अपराध करने से पहले सोचेगा भी नहीं. सजा का डर पैदा करने वाला एक फैसला इंदौर के सेशन कोर्ट ने भी लिया है. यहां महज 23 दिनों के अंदर 4 महीने की बच्ची को अगवा कर उससे रेप और फिर उसकी हत्या करने के दोषी को फांसी की सजा सुनाई गई है. रेप के मामले में इतनी जल्दी और इतनी कठिन सजा देना अपने आप में एक रिकॉर्ड है, जो बलात्कारियों के हौंसले तोड़ने का काम करेगा. अगर इसी तरह से रेप के मामलों में त्वरित कार्रवाई करते हुए कड़ी सजा दी जाएगी, तो ही बलात्कार के मामलों पर अंकुश लगाया जा सकता है.
पहले जानते हैं क्या है पूरा मामला
यह घटना 20 अप्रैल की है, जो मध्य प्रदेश के इंदौर में घटी. 4 महीने की बच्ची अपने माता-पिता के साथ सो रही थी. उनके साथ बच्ची का मामा नवीन उर्फ अजय गड़के भी रहता था, जो बच्ची को अगवा कर एक इमारत में ले गया. वहां पर बच्ची से दुष्कर्म किया और फिर उसी बिल्डिंग से फेंककर उसकी हत्या कर दी. सीसीटीवी फुटेज में नवीन करीब 4.45 बजे बच्ची को साइकिल पर लेकर जाता दिखा और 15 मिनट बाद अकेला वापस लौटता दिखा. कोर्ट ने नवीन को बच्ची के साथ रेप और उसकी हत्या करने के लिए दोषी पाया और फांसी की सजा दी. रेप की बात सामने आने के बाद जब पहली बार आरोपी को कोर्ट ले जाया गया था तो कोर्ट परिसर के बाहर ही भीड़ ने उसे पीटा भी था.
People thrash rape accused of the case where a 8 months old girl was raped & murdered in #Indore. He's being presented before the District Court by Police.This was uncalled for. Yes,people are angry but this ain't the way to make it felt.#MadhyaPradeshpic.twitter.com/5eWNaagafb
— Jagrati Shukla (@JagratiShukla29) April 21, 2018
मामले की सुनवाई कर रही जज वर्षा शर्मा ने कहा कि आरोपी ने जैसा जघन्य और क्रूर काम किया है, उसे देखते हुए अधिक से अधिक दंड दिया जाना सही है, ताकि समाज में फिर कोई ऐसा काम न करे. रेप और हत्या के माहौल में महिलाएं और बच्चियां खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हैं. उन्होंने कहा- तीन महीने की बच्ची जो रोने-मुस्कुराने के अलावा कुछ नहीं जानती थी, उससे दुष्कर्म करने वाला समाज में गैंगरीन की तरह है, उसे समाज से अलग कर देना चाहिए.
14 दिन में सुनवाई कर फांसी देने का है रिकॉर्ड
इतनी छोटी बच्ची से रेप का ये पहला मामला है. इससे पहले किसी भी मामले में इतनी छोटी बच्ची को रेप का शिकार नहीं बनाया गया. 23 दिन में रेप के मामले की सुनवाई करके फांसी की सजा देना भी किसी रिकॉर्ड से कम नहीं है. इससे पहले ऐसा सिर्फ एक बार हुआ है वो भी मध्य प्रदेश का ही मामला है. उस मामले में 2013 में भोपाल में 8 साल की एक बच्ची से रेप और हत्या की गई थी, जिसकी सुनवाई 14 दिन में पूरी कर के फांसी की सजा सुना दी गई थी. अगर सबसे तेज कार्रवाई की बात करें तो जयपुर में 2006 में कोर्ट ने एक जर्मन महिला से दुष्कर्म के आरोपी ओडिशा के पूर्व डीजीपी के बेटे को 9 दिन में सुनवाई पूरी करके 7 साल की सजा सुनाई थी.
अपने ही क्यों करते हैं हैवानियत?
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के 2015 के आंकड़ों के अनुसार 95 फीसदी रेप के मामलों में आरोपी कोई रिश्तेदार या नजदीकी शख्स होता है, जिसे पीड़िता पहले से जानती है. इंदौर के इस मामले में भी मामा ने अपनी भांजी का रेप किया है. 2015 में कुल 34,651 रेप में मामले दर्ज हुए. आंकड़ों के अनुसार हर रोज 95 रेप केस, हर घंटे 4 रेप केस यानी हर 15 मिनट में एक रेप का मामला दर्ज किया गया. इससे साफ होता है कि देश में हर 15 मिनट में एक लड़की के साथ रेप होता है. हालांकि, ऐसे भी बहुत से मामले होते हैं, जिनकी रिपोर्ट नहीं लिखाई जाती और मामला यूं ही दबा दिया जाता है. यानी रेप के मामले इससे भी अधिक होंगे.
पॉक्सो कानून में बदलाव के बाद पहली फांसी
हाल ही में बच्चियों से रेप की घटनाओं पर सजा सख्त करने की मांग हुई थी, जिसके बाद केंद्र सरकार ने पॉक्सो कानून में संशोधन किया. नए नियमों के अनुसार 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से रेप पर फांसी की सजा का प्रावधान है. पुराने कानून में रेप के लिए अधिकतम सजा उम्रकैद थी. केंद्र सरकार द्वारा पॉक्सो कानून में बदलाव के बाद ये पहला मामला है, जिसमें रेप के दोषी को फांसी दी गई है. और जिस तरह से महज 23 दिनों के अंदर रेप का ये मामला सुलझा दिया गया, वह वाकई काबिले तारीफ है. रेप के दोषी को फांसी देने की सजा की शुरुआत मध्यप्रदेश से ही हुई थी, जिसके बाद अरुणाचल प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा ने भी इस कानून को लागू कर दिया.
तो कब होगी नवीन को फांसी?
अभी यह मामला निचली अदालत में था, इसलिए अभी सिर्फ सजा मुकर्रर की गई है, ना कि उसकी तारीखच इस फैसले को हाईकोर्ट भेजा जाएगा, जहां हाईकोर्ट केस की स्टडी करेगी और निर्णय लेगी कि निचली अदालत के फैसले को रहने देना है या फिर उस पर रोक लगानी है. हाईकोर्ट ही फांसी की तारीख का भी फैसला करेगी. पॉक्सो एक्ट में बदलाव के बाद रेप में पहली फांसी का ऐलान तो हो चुका है, लेकिन फांसी होने में कितना समय लगेगा, ये ऊपरी अदालतों पर निर्भर करता है. निचली अदालत ने तो काफी तेजी से इस मामले में कार्रवाई करते हुए सजा सुनाई है, लेकिन ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या ऊपरी अदालतें भी उतनी ही त्वरित कार्रवाई करती हैं या नहीं.
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