सेक्स से नफरत के चलते किया गया था कॉर्न फ्लेक्स का आविष्कार !
हमारे आस-पास कई ऐसी मामूली चीजें हैं जिन्हें खासतौर पर सोचकर नहीं बनाया गया था. ऐसी ही ये 9 मामूली चीजें और उनके पीछे की दिलचस्प कहानियां.
-
Total Shares
अगर न्यूटन पेड़ से गरते सेब को देखकर न सोचते तो ग्रेविटी का पता ही नहीं चलता, लेकिन आविष्कार करने वाले ऐसे भी लोग थे जो सोचकर तो कुछ और निकले थे लेकिन कुछ अनोखा ही कर गए. हमारे आस-पास कई ऐसी मामूली चीजें हैं जिन्हें खासतौर पर सोचकर नहीं बनाया गया था, बल्कि वो खुद खास बन गईं. ऐसी ही हैं ये 9 मामूली चीजें और उनके पीछे की दिलचस्प कहानियां.
1. मास्टरबेशन रोकने के लिए बनाए गए थे कॉर्न फ्लेक्स
हेल्दी नाश्ते या वजन घटाने के नाम पर सुबह कॉर्न फ्लेक्स तो सभी खाते हैं, लेकिन ये जानकर आपको बड़ी हैरानी होगी कि कॉर्न फ्लेक्स का आविष्कार असल में वजन घटाने के लिए नहीं बल्कि मास्टरबेशन को रोकने के लिए बनाया गया था. इसकी खोज करने वाले डॉ जॉन हार्वे केलॉग और विल कीथ केलॉग थे. ये दोनों भाई सेक्स को 'अशुभ' और 'हानिकारक' मानते थे. ये दोनों एक साथ सेनिटेरियम और हेल्थ स्पा चलाते थे. इस स्पा में, इलेक्ट्रिक-करेंट थैरेपी, लाइट थैरेपी और मालिश जैसी कई चीजों के जरिए बीमारियों को ठीक किया जाता था. मास्टरबेशन को 'बीमारी' मानने वाले इन दोनों ने एंटी सेक्स फूड़ बनाने का सोचा. जिससे लोगों को मास्टरबेशन और सेक्स करने से रोका जा सके. अब सेक्स को तो रोका नहीं जा सका, हां, कॉर्नफ्लेक्स का स्वाद लोगों को इतना भाया कि ये रोज का नाश्ता जरूर बन गया.
2. क्रोएशियाई सैनिकों ने पहली बार पहनी थी टाई
जिस तरह से चीनी के बिना चाय फीकी होती है, ठीक उसी तरह आपका सूट-बूट बिना टाई के अधूरा लगता है. पार्टी हो या फिर कोई ऑफिस की मीटिंग, आपकी टाई आपके व्यक्तित्व में चार-चांद लगा देती है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि सबसे पहले क्रोएशिया के सैनिकों ने इस नेक टाई को पहना था ? जी हां. कहानी यूं है कि 17वीं शताब्दी में किंग लुईस xiii ने क्रोएशिया के सैनिकों को किराए पर रखा था. जो अपने गले पर कपड़े का एक टुकड़ा बांधकर रखते थे. सैनिकों की इस नेकटाई से लुईस काफी प्रभावित हुए. इसके बाद तो किंग ने अपने पूरे राज्य को ही शाही सम्मेलनों के दौरान इसे पहनने का आदेश दे दिया. उस वक्त इस कपड़े को 'ला क्रावेट' कहकर बुलाया जाता था, जिसको फ्रेंच में टाई कहते हैं. उसके बाद से ही लोगों ने नेकटाई पहनना शुरू कर दिया.
3. ब्रेथ मिंट का आविष्कार मिस्र के लोगों ने किया था
सांस की बदबू, मुंह की दुर्गंध से बचने के लिए हम ब्रेथ मिंट जैसे चीजें खाते हैं जिससे सांस ताजगी से भर जाती है. पर क्या कभी हमने ये सोचा है कि इस तरह का आविष्कार किसने किया होगा ? इस ब्रेथ मिंट को बनाने वाले मिस्र के निवासी थे, जिन्होंने दांत की सड़न और बैक्टीरिया की गंध से निजात पाने के लिए इसका आविष्कार किया था. इसे लोबान और दालचीनी के साथ मिलाकर शहद में उबाल कर बनाया गया था.
4. पॉपकॉर्न खाने के लिए नहीं सजाने के लिए बनाए गए थे.
मॉल में अक्सर मूवी देखते हुए तो कभी खाली बैठकर हम पॉपकॉर्न का मजा उठाते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि पॉपकॉर्न का आविष्कार पहले खाने के लिए नहीं बल्कि सजाने के लिए किया गया था. जी हां, न्यू मैक्सिको का एक जातीय समूह एजटेक्स (aztecs) ने पॉपकॉर्न की शुरुआत की थी. एजटेक्स समुदाय पॉपकॉर्न को हार, सिर के आभूषण और धार्मिक मूर्तियों को सजाने के लिए इस्तेमाल करता था.
5. ऊंची एड़ी के जूते फैशन के लिए नहीं पैरों की सुरक्षा के लिए बनाए गए थे
हमेशा फैशन में बने रहने वाले हाई हील्स की भी कुछ अलग ही कहानी है. यूरोप में हाई हील्स जूतों को फैशन के लिए नहीं बल्कि पैर की सुरक्षा के लिए बनाया गया था. इसे लकड़ी को तराशकर बनाया जाता था और सड़कों पर भरे हुए सीवेज और गंदगी से बचने के लिए पहना जाता था.
6. पश्चिम की देन नहीं है टॉयलेट पेपर
जब भी हम टॉयलेट पेपर की बात करते हैं तो अक्सर हम उसे अमेरिका के साथ जोड़ते हैं. क्योंकि हमें तो यही लगता है कि टॉयलेट पेपर का कॉन्सेप्ट अमेरिका से ही निकला है. लेकिन ये जानकर आप हैरान हो जाएंगे कि सबसे पहले टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल मध्यकालीन चीन की 6ठी शताब्दी में हुआ था. टॉयलेट पेपर को 14वीं शताब्दी के युआन वंश के दौरान बनाना शुरू किया गया था. जहां टॉयलेट पेपर के दस लाख पैकेज को बनाया गया था जिनमें 1000 से लेकर 10,000 शीट तक थीं.
7. नशे में कुछ बोल न पाए तो ब्रांडी कह दिया
डच भाषा में ब्रांडी को 'brandewijn' या 'burnt wine' बुलाते थे. इसके शुरुआती निर्माण से जुड़ी एक दिलचस्प कहानी है. डेनमार्क के एक ट्रांसपोर्टर के जिम्मे था शिप पर शराब को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने का काम. शराब की ढुलाई आसान बनाने के लिए उसने इस गर्म करके गाढ़ा बना दिया. बाद में लोगों ने जब इसी गाढ़ी शराब का सेवन किया तो उन्हें बहुत मजा आया. जाहिर है नशा भी खूब हुआ होगा. लेकिन वे नशे में 'brandewijn' का उच्चारण ठीक से नहीं कर पाए और उसे ब्रांडी बुलाने लगे. और यह नाम आज भी कायम है.
ब्रांडी का मूल नाम 'brandewijn' यानी 'burnt wine' था.
8. ऑटोमेटिक टोस्टर के पीछे भी है एक दिलचस्प कहानी
टोस्टर का आविष्कार1909 में जनरल इलेक्ट्रिक के फ्रैंक शेलर ने किया था. इसका पेटेंट फ्रैंक शेलर के नाम पर था. 1913 में, लॉयड कॉमन और उनकी पत्नी हेज़ेल कॉमन एक दुकान में इलेक्ट्रिक टॉस्टर खरीदने गए, तभी उन्होंने देखा कि दुकानदार टोस्ट को पलटने के लिए दूसरे हाथ का इस्तेमाल कर रहा था. तभी हेज़ेल ने लॉयड से कहा, "क्या आप ऐसे टोस्टर का आविष्कार नहीं कर सकते जो अपने आप टोस्ट को पलट दे?" लॉयड कॉमन ने पहली बार आटोमेटिक टोस्टर का आविष्कार किया. और इस ऑटोमेटिक टोस्टर का पेटेंट लॉयड कॉमन और हेज़ेल कॉमन के पास था.
1909 में फ्रेंक शैलर का बनाया गया टोस्टर
9. खुन्नस निकालने के लिए बनाए गए थे आलू चिप्स
हर किसी के फेवरेट चिप्स जिसे आप जब चाहे खा सकते हैं, इसे असल में किसी को मजा चखाने के लिए बनाया गया था. इस रेसिपी को जॉर्ज क्रूम नाम के शेफ ने बनाया था. जॉर्ज अपने समय के काफी नामी शेफ थे. लेकिन एक बार किसी ग्राहक ने जॉर्ज के खाने की आलोचना कर दी. उसी ग्राहक से बदला लेने के लिए क्रूम ने इस आलू के चिप्स को बनाया था.
जिसमें उन्होंने आलू को बहुत पतला काटते हुए ढेर सारा नमक डाल दिया और यह सोचकर पेश किया कि वो ग्राहक इसे नापंसद कर देगा. लेकिन शेफ की उम्मीदों पर पानी फिर गया. ग्राहक को जॉर्ज के बनाए ये चिप्स बहुत पंसद आए. इस तरह शेफ के बेमन से बनाए गए चिप्स आज दुनिया बड़े मन से खा रही है.
(आईचौक में इंटर्नशिप कर रहीं नेहा केशरी की रिसर्च स्टोरी)
आपकी राय