ओल्ड, आउटडेटेड नहीं, योग मॉडर्न और ट्रेंड में है
फरीदाबाद के हुडा ग्राउंड में हुए आयोजन में एक लाख से ज्यादा लोगों ने अपनी योग साधना का प्रदर्शन किया. तो खास साधकों ने अपने अद्भुत् अभ्यास का भी. बच्चों और किशोर योगियों ने योग के आसनों और जिमनास्टिक का अनूठा संगम किया.
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देश का प्राचीनतम ज्ञान आधुनिकतम तकनीक के साथ जब उड़ान भरता है तो दुनिया उससे चकाचौंध होती ही है. अब चाहे भारतीय संगीत की बात हो, कला की या फिर योग की. फरीदाबाद में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर हुए कार्यक्रम में एक लाख से ज्यादा लोगों ने एक साथ योग किया. यानी भारत की प्राचीनतम जीवन शैली का अद्भुत ज्ञान और आधुनिकतम ड्रोन के जरिये फुल एचडी 360 डिग्री कैमरों से सौ मीटर की ऊंचाई से उसकी डिजिटल रिकॉर्डिंग. लगे हाथों ये नजारा दुनिया के डेढ सौ से ज्यादा देशों में लाइव प्रसारित भी हुआ.
इतने बड़े मैदान में लोगों को आसन की हर बारीकी साफ साफ दिखाई पड़े इसके लिए 25 बड़े एलईडी स्क्रीन लगाये गये. 25 से ज्यादा कैमरे पल पल की और चप्पे चप्पे की गतिविधियों पर नजर रखे रहे.
योग का मतलब ही है जोड़ना.. सदियों से ये ज्ञान आत्मा को परमात्मा के साथ, ज्ञान को अध्यात्म के साथ, शरीर को चेतना के साथ, या फिर अंतर की ऊर्जा को भावना की गहराइयों के साथ जोड़ता रहा. फिर ये संस्कृतियों को जोड़ने लगा और अब तो दुनिया के देशों को उनकी सरहदों और सोच को भी जोड़ने का जरिया बन गया. सांख्य योग के अलावा पतंजलि का आठ अंगों वाला योग अष्टांग योग है. यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि ये आठ अंगों का संयोग ही अष्टांग योग है. इनके अभ्यास से मन, शरीर और आत्मा तीनों एक सीध में एक साथ हो जाते हैं. इसके साथ ही आत्मा का अध्यात्मिक परमात्मा के साथ सायुज्य होने का रास्ता साफ होता जाता है.
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर बाबा रामदेव |
भारत का ये ज्ञान सदियों पुराना है. कपिल, कणाद, पतंजलि जैसे ऋषि मुनियों ने गुरु शिष्य परंपरा से मिले अनुभव और ज्ञान को आने वाली पीढ़ियों के लिए संहिताबद्ध किया. यानी श्रुति की परंपरा अब वाचिक और शाब्दिक होने लगी. लगभग दस साल पहले तक यही माना जाता रहा था कि योग आसन, प्राणायाम और ध्यान ये सब या तो बुजुर्गों के लिए हैं या फिर बाबाजी लोगों के लिए. ये दकियानूसी चीजें हैं जिन्हें थका हारा आदमी करता है. लेकिन आधुनिक लाइफस्टाइल से उपजे रोग और निराशा का निदान प्राचीन योग में ही नजर आया. यानी पुराने चावल का पथ्य एक बार फिर सच साबित हुआ.
आज योग फैशन में आ गया. नई पीढ़ी ये बताने में गर्व महसूस करने लगी कि - यू नो आई एम अल्सो प्रैक्टिसिंग योगा एवरी डे... विदाउट योगा आई कांट एमेजिन लाइफ....
योग, प्राणायाम और ध्यान करने से ऊर्जा और उमंग का संचार तो तब भी होता था.. लेकिन तब कोई करता नहीं था.. अब करते हैं तो फायदा भी महसूस होता है. अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के आयोजनों के बहाने दुनिया के डेढ सौ से ज्यादा देशों में करोड़ों लोगों का परिचय भारत की इस विद्या के साथ हुआ. देश के करोड़ों युवाओं का सीधा संपर्क योग साधना से हुआ. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों या फिर सदी के महानायक अमिताभ बच्चन, फिल्मी हस्तियां हों या बिजनेस टाइकून.. हर कोई चाहता है कि जनता के बीच जाकर योग आसन की अपनी साधना, कला या हुनर जिसके पास जिस रूप में है उसका प्रदर्शन करे.
फरीदाबाद के हुडा ग्राउंड में हुए आयोजन में एक लाख से ज्यादा लोगों ने अपनी योग साधना का प्रदर्शन किया. तो खास साधकों ने अपने अद्भुत् अभ्यास का भी. बच्चों और किशोर योगियों ने योग के आसनों और जिमनास्टिक का अनूठा संगम किया. सभी आसनों का एक साथ तालमेल के साथ प्रदर्शन दिलचस्प रहा.
इतने बड़े समारोह में तोड़ फोड़ भी हुई. अरे.. कुछ वैसी तोड़ फोड़ नहीं बल्कि रिकॉर्ड्स की तोड़ ताड़. बल्कि कई रिकॉर्ड टूटे और नये बने... हरियाणा के रोहिताश्व कुमार चौधरी ने 36 किलोग्राम से ज्यादा वजन पीठ पर रखकर एक मिनट में 51 पुश अप्स लगाकर नया रिकॉर्ड बनाया. यानी यूरोप के एथलीट का एक मिनट में 38 पुश अप्स का पुराना रिकॉर्ड तोडा. एक जगह एक साथ 400 लोगों के शीर्षासन करने का रिकार्ड बना. रोहिताश्व को खुशी है कि वो ये सारे रिकॉर्ड शाकाहारी रहते हुए बना रहा है. इससे पहले भी रोहिताश्व ने एक घंटे में एक हजार एक सौ पुश अप्स मारने के अलावा कई रिकॉर्ड तोड़े हैं.
इनके अलावा एक युवक ने 90 मिनट तक लगातार शीर्षासन कर रिकॉर्ड बनाया. सात योग साधकों ने 1500 बार सूर्य नमस्कार किये. लेकिन स्वास्थ्य नियमों की बाधा के कारण इसे गिनीज बुक में जगह नहीं मिल पाई.
योग ने ये साबित कर दिया है कि सदियों पुराना ये ज्ञान आधुनिकतम तकनीक और इंतजाम के साथ कदम ताल कर सकता है. उनको उंगली पकड़ा कर भगा सकता है. साथ ही समय मिले तो दुनिया को हांफने पर मजबूर भी कर सकता है. क्योंकि इसका लोहा अब पूरी दुनिया मानने लगी है.
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