बुलेट ट्रेन तो ले आएंगे, लेकिन ये जापानी जिम्मेदारी कहां से लाएंगे?
जापान में अगर कोई ट्रेन लेट होती है तो यात्रियों को पूरा पैसा वापस किया जाता है. यदि ट्रेन 20 सेकंड भी जल्दी चल पड़ी तो माफी मांगी जाती है. क्या भारत में इस तरह की जिम्मेदारी लेने वाला कोई है?
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भारतीय रेल और उसकी गाथा से हर भारतीय परिचित है. होगा ही. आखिर रेलवे तो भारत की लाइफलाइन कही जाती है. करीब ढाई करोड़ लोग रोज यात्रा करते हैं. चाहें पैसेंजर ट्रेन हो या फिर एक्सप्रेस सभी में एक बात जरूर समान रही है, वो है ट्रेन लेट होने की. भारत में अगर रेलवे ट्रेन राइट टाइम भी बता रहा है तो भी कम से कम 10-20 मिनट लेट ही होती है ट्रेन. आलम तो ये है जनाब कि कुछ लोग तो सिर्फ इसलिए ट्रेन पकड़ पाते हैं क्योंकि वो लेट होती हैं. सर्दियों के समय की बात तो न ही बताई जाए तो ही अच्छा है. लगातार ट्रेने लेट होती हैं और 8-10 घंटे लेट होने के बाद कोहरे के समय ट्रेन रद्द होना भी आम बात है.
मोदी जी अपनी बुलेट ट्रेन की तैयारी बहुत ही कायदे से कर रहे हैं. कम से कम ऐसा बोला तो जा रहा है, लेकिन जिस देश से ये ट्रेन लाई जा रही है क्या उसकी तरह भारत में रेलवे की जिम्मेदारी भी लाई जा सकेगी?
20 सेकंड ट्रेन जल्दी निकली तो मांगी सार्वजनिक माफी...
खबर जापान की है. यहां सुकुबा एक्प्रेस लाइन (TSukuba) ने से एक ट्रेन 20 सेकंड जल्दी निकल गई और इस लाइन की जिम्मेदारी रखने वाली कंपनी ने सार्वजनिक माफी मांगी. ये माफी उन लोगों से मांगी गई जिन्हें ट्रेन जल्दी निकलने के कारण परेशानी हुई.
ये लाइन टोकियो-एरिया मेट्रोपोलिटन इंटरसिटी रेलवे कंपनी द्वारा चलाई जाती है और इससे कई अहम शहर जुड़ते हैं. कंपनी ने अपनी वेबसाइट पर इस बात को लेकर माफी मांगी.
ट्रेन को सुबह 9.44 बजे निकलना था, लेकिन वो 9:43:40 पर निकली यानि कुल 20 सेकंड पहले. कंपनी का कहना है कि शायद कुछ लोगों ने इस ट्रेन के जल्दी निकलने की बात को नोटिस भी नहीं किया होगा, लेकिन जापान की ट्रेन हमेशा समय पर रहती हैं और लोग इन्हीं के कारण अपने यात्रा प्लान करते हैं. ऐसे में समस्या हो सकती है.
मजे की बात ये है कि अगले 4 मिनट में दूसरी ट्रेन आने वाली थी, लेकिन कंपनी के अनुसार अगर एक ट्रेन छूट गई तो हो सकता है कि कुछ लोगों के आगे के प्लान बिगड़ जाएं. माफीनामे में ये भी लिखा गया था कि ये शर्मिंदगी की बात है.
इससे पहले की कुछ और कहा जाए एक बात और जान लेनी जरूरी है. अगर जापान में ट्रेन लेट होती है तो वहां सभी यात्रियों के पैसे वापस किए जाते हैं.
ये तो बात हुई जापान की. वो देश जहां से मोदी जी बुलेट ट्रेन लाने वाले हैं, लेकिन क्या इसकी तरह जिम्मेदारी भी ला पाएंगे? जापान में तो रेल सुरक्षा को भी बहुत अहमियत दी जाती है. इतनी कि वहां भूकंप की मार सहने वाली ट्रेन भी चलती हैं. अगर भूकंप भी आया तो भी यात्रियों को कुछ नहीं होगा. यही कारण है कि जापान में पिछले 50 साल में एक भी रेल यात्री की जान नहीं गई. अब भारत में ये आंकड़ा देखा जाए तो सिर्फ शर्म ही आएगी.
क्या हालत है भारत की?
इस मामले में भारत की हालत बहुत खराब है. 2016 में एक रिपोर्ट आई थी, ये रिपोर्ट RailYatri.in की तरफ से आई थी. उसमें 2500 ट्रेनों की जांह 6 महीने तक की गई थी. आंकड़ों के अनुसार साल 2016 में ट्रेनों के लेट होने में 30% की कमी आई है और फिर भी नैशनल ट्रेन डिले इंडेक्स 35.03 मिनट का है. यानि अमूमन एक ट्रेन इतनी लेट तो होती ही है.
भारत में क्या हाल है समय की पाबंदी का...
ट्रेन टाइम पर चलने के मामले में ये राज्य सबसे बेहतर हैं....
- गुजरात (14 मिनट)
- तमिलनाडु (19 मिनट)
- पश्चिम बंगाल (23 मिनट)
- झारखंड (24 मिनट),
- कर्नाटक (26 मिनट) भारत में सबसे ज्यादा ट्रेन लेट बिहार में होती है. औसत 1 घंटे 2 मिनट की देरी. इसके बाद नंबर आता है उत्तर प्रदेश का, जहां 55 मिनट की देरी होती है, इसके बाद पंजाब जहां 50 मिनट की देरी से अमूमन ट्रेन चलती है.
यानी खुद ही सोच लीजिए कि किस हद तक भारत में ट्रेनें लेट होती हैं. अब ये जिम्मेदारी आखिर कौन लेगा कि जापान की बुलेट ट्रेन के साथ जापान की तरह ट्रेनों में यात्रियों की सुरक्षा और ट्रेन लेट होने की समस्या से निजात मिलेगी? ये सोचने वाली बात है कि क्या बुलेट ट्रेन अगर भारत में लेट होगी तो भारतीय रेलवे भी यात्रियों को उनका पैसा वापस करेगी?
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