यासीन मलिक, जो पाकिस्तानी आतंकवाद को कश्मीर लेकर आए
आतंकी संगठन JKLF के पूर्व प्रमुख और हुर्रियत की अलगाववादी राजनीति करने वाले यासीन मलिक कश्मीर घाटी में युवाओं को भारत-विरोधी बनाने की फैक्टरी चलाते हैं.
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जम्मू एवं कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के नेता यासीन मलिक को गुरुवार को पुलिस ने हिरासत में ले लिया. यासीन मलिक ने कश्मीर घाटी में बंद का आह्वान किया था. जेकेएलएफ के प्रवक्ता ने बताया कि मलिक ने घाटी में निर्दोष नागरिकों की हत्या के खिलाफ बंद का आह्वान किया था. पुलिस नहीं चाहती है वह इस धरना प्रदर्शन का नेतृत्व करें.
कश्मीर में हाल ही में राज्यपाल शासन लागू हुआ है महबूबा मुफ्ती के इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति ने राज्यपाल शासन की अनुमति दे दी और इसके बाद से अलगाववादियों के खिलाफ इस कार्यवाही को बड़ा माना जा रहा है.
पर मसला ये है कि यासीन मलिक जैसे नेता इस हालत पर पहुंचते कैसे हैं और कैसे कश्मीर में पाकिस्तानी झंडे फैराए जाते हैं.
क्यों कभी नहीं करते पाकिस्तान की बुराई...
यासीन मलिक ने इंडिया टीवी में आप की अदालत को दिए एक इंटरव्यू में इस बात का उत्तर देने की कोशिश की. उनसे यही सवाल किया गया था कि वो पाकिस्तान के इतने समर्थन में क्यों रहते हैं. इसपर यासीन का जवाब था कि शुरुआत तो भारत ने ही की न. अटल जी पहले बात करके आए पाकिस्तान से. पहले उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से बात करके मसले का हल निकाला जाए. अगर आपको लगता है कि पाकिस्तान इतना बुरा है तो बार-बार बात क्यों करते हो.
पत्नी भी हिंदुस्तान विरोधी..
सिर्फ यासीन मलिक ही नहीं बल्कि उसकी पत्नी भी पाकिस्तान समर्थक है. आईसीसी चैम्पियन्स ट्रॉफी जीतने पर मिसाल मलिक ने पाकिस्तानी टीम को बधाइयां भी दी थीं और कहा था कि इससे सबसे ज्यादा कश्मीरी कौम खुश है.
मिसाल मलिक ने एक और वीडियो हाल ही में पोस्ट किया है जिसमें कहा है कि.. हिंदुस्तान वहशी जानवर बन गया है और हमारे खून का प्यासा है. हम पाकिस्तान से अपील करते हैं कि जो बच्चे शहीद हो रहे हैं वो उनके भी बच्चे हैं उन्हें बचाएं.
ऐसे कई वीडियो मिल जाएंगे मिसाल मलिक के जहां वो पाकिस्तान को सपोर्ट करते हुए अपनी बात कह रही हैं. जहां यासीन खुले तौर पर अब पाकिस्तान के सपोर्ट की बात नहीं करते और आज़ाद कश्मीर मांगते हैं वहीं उनकी बेगम हमेशा से ही पाकिस्तान समर्थक रही हैं और हिंदुस्तान की कट्टर विरोधी.
यासीन मलिक.. एक हत्यारा या एक लीडर?
मलिक एक आम नहीं बल्कि खास किस्म के कश्मीरी का पैंतरा अपनाते हैं- भ्रमित, अपराधी, मौकापरस्त, भावनात्मक, बहादुर, सतर्क और नाटक करने में अव्वल. एक आतंकवादी कमांडर के रूप में वह बिना औपचारिक शिक्षा और पारिवारिक बैकग्राउंड के भी बहुत ऊंचा उठ गया. यासीन ने 1995 में समर्पण के बाद JKLF के हथियार भारतीय सेनाओं को देने की बात कही थी. लेकिन उन्हीं हथियारों का इस्तेमाल कर स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) ने साथी आतंकवादियों को मार दिया और यासीन मलिक ने इसे सीज़ फायर करार दिया और उस समय बच निकला जब अलगाववादी आतंकियों के लिए सरेंडर का मतलब सिर्फ मौत होती थी.
फिर उन्होंने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए विशेष रूप से श्रीनगर में सूचनार्थियों का एक नेटवर्क स्थापित किया ताकि हिजबुल मुजाहिदीन और जमीयतुल मुजाहिदीन के प्रभाव को कम किया जा सके.
कुल मिलाकर कई हत्याओं के आरोपी यासीन मलिक ने खुद को JKLF का लीडर बता दिया और अब शांति की बात करने लगा, लेकिन अगर पाकिस्तानी सपोर्ट की बात करें तो पहले कश्मीर में अशांति फैलाने के लिए भी यासीन मलिक का हाथ कहीं न कहीं था.
यासीन मलिक पर पाकिस्तान से हथियार लेने और उनका समर्थन करने के आरोप लगते रहे हैं. कश्मीर में ISIS और पाकिस्तान के झंडे फैरते रहे हैं. इस बात को नकारा तो नहीं जा सकता.
ये वही यासीन मलिक हैं जिन्होंने पाकिस्तान में बने ट्रेनिंग कैम्प में हथियारों की ट्रेनिंग ली थी, ये वही यासीन मलिक हैं जिन्हें पाकिस्तानी कमिश्नर ने बात करने के लिए बुलाया था. ये वही यासीन मलिक हैं जो एक समय पर आतंकवादी बनकर दहशत फैला रहे थे और आज ये शांति और अमन की बात करते हैं. 6 साल से ज्यादा का वक्त जेल और इंटेरोगेशन सेंटर में काटने के बाद एक बार फिर आज यासीन मलिक को गिरफ्तार कर लिया गया है. शांति के इस रास्ते पर भी घाटी में शुजात बुखारी की हत्या के बाद बंद का आह्वाहन करना और शांति को भंग करना कहां तक सही है ये सोचने वाली बात है. कश्मीर में पाकिस्तान के झंडे फैराना कहां तक सही है ये भी सोचने वाली बात है.
अब खुद ही समझ जाइए कि इतनी नफरत अगर कहीं भरी होगी तो यकीनन पाकिस्तान के झंडे तो फैराए ही जाएंगे!
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