ऋतिक या कंगना की साइड लेने से पहले कहानी का नया ट्विस्ट समझ लीजिए...
ब्रेकअप के किस्से हर महिला-पुरुष की लाइफ का हिस्सा होते हैं. लेकिन बवाल काटा हुआ कंगना रनौट और ऋतिक रोशन के ब्रेकअप ने. सवाल यह है कि कंगना की हर फिल्म रिलीज से पहले क्या अब ऐसा ही होगा ?
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पिछले दो तीन दिनों से सोशल मीडिया में कंगना छाई हुई है; कई हस्यास्पद लेख और पोस्ट पढ़ने को मिले ; ज़िनमें से एक था "फलना लड़की मेरी ex थी". पुरुष समाज तुमसे ये कहने का हक़ भी कंगना ने छीन लिया. अव्वल तो कंगना से पहले भी कई लड़कियों ने कहा है, फ़लाँ मेरा ex है लेकिन आपको वो आवाज़ इसलिये सुनाई नहीं दी क्यूँकि वो एक सिलेब्रिटी की आवाज़ नहीं थी. दूसरे अगर आप इसे इतना ही क़ाबिले तारीफ़ समझ रही हैं जो वाक़ई में है भी तो आप भी कहिये कि फ़लाँ मेरा ex था, आख़िर आपकी डायरी में भी तो कई प्रेम कहानियाँ क़ैद हैं !
एक सवाल और था "हिंदी साहित्य में है कोई कंगना जैसी ?" ये बात ठीक वैसी ही थी जैसे घर के पास वाले तालाब में बैठ कर समंदर की मछलियों का रंग पूछना ! कंगना और रितिक का विवादये सब पढ़कर देखकर मैं हैरान इसलिये हूँ कि अगर कंगना की फ़िल्म नहीं आ रही होती तो क्या तब भी कंगना ये सब बाज़ार में यूँ ही उछालती ? या अगर कंगना का ex ह्रितिक रोशन ना होकर कोई low profile फ़िल्म star होता क्या तब भी मीडिया इस बात को इतना ही तूल देती ? क्या सोशल मीडिया में तब भी इतना ही स्यापा होता अगर कंगना की जगह कोई आम लड़की होती ? क्या उसे भी अपने ex के बारे में बिंदास बोलने पर इतनी ही वाह वाही मिलती ? इतने सारे सवालों का एक ही जवाब है "नहीं"!
कंगना ने ह्रितिक को ex कहकर कोई रॉकट science लॉंच नही किया है ! किसी बड़े शहर के आम से कॉलेज में चले जाइये. एक आम सी लड़की से पूछिये तो वो अपने चार पाँच ex के नाम पता बता देगी; क्यूँकि फ़िल्म Dear ज़िंदगी में शाहरुख़ खान ने कहा था " हम कितनी कुर्सियाँ देखते हैं कोई एक लेने से पहले; फिर life पार्ट्नर देखने से पहले ऑप्शन देखने में क्या बुराई है ?" इस डायलॉग में थोड़ा संशोधन करूँगी. क्यूँकि हम लड़कियों में से ज़्यादातर कुर्सी नहीं ख़रीदते, लेकिन सैंडल ज़रूर ख़रीदते है तो "जब एक जोड़ी सैंडल लेने से पहले कितने सैंडल ट्राई करते हैं तो लाइफ़ पार्ट्नर चुनने से पहले ट्राई करने में क्या बुराई है ?" !
ख़ैर ये एक सोचा समझा हुआ publicity स्टंट है, जो कंगना अपनी फ़िल्म सिमरन के रिलीज के पहले करती है. और अचानक ही देश की पूरी जनता की सहानुभूति हासिल करके अपनी फिल्म की सफलता तय कर लेती है ! स्त्रीवादी पुरुष और महिलायें भर भर कर लिख रही हैं, उसकी पीठ थपथपा रही है; उससे सहानुभूति दर्शा रही हैं जैसे कंगना कोई मासूम है. लेकिन सच तो ये है कि कंगना कभी मासूम थी ही नहीं, वो फ़िल्म इंडस्ट्री में आते ही यहां टिकने के लिये अपने से दोगुने उम्र के आदमी से अफेयर करती है. असल में उसे सीढ़ी के पहले पायदान की तरह इस्तेमाल करती है !
कुछ सालों से कंगना अपने बड़ बोलेपन के कारण लाइम लाइट में आई है; ठीक फ़िल्म रिलीज के पहले वो अपने बड़ बोलेपन का सबूत देती हैं; कभी बलात्कार की बात तो कभी प्रेम संबंध की बात वो हमेशा से करती आई हैं ! facebook live में वो अपने संवाद अटक अटक कर बोलती हैं तो मुझे हैरत होती हैं ! शायद एक लेखक अच्छा वक़्ता नहीं हो सकता है या एक संगीतकार, लेकिन जो बोलने के लिये मशहूर है वो बोलने में भी अटक रहा है; कितना अजीब बात है ना ?!
क्या प्रेम ह्रितिक रोशन ने किया था या कंगना भी प्रेम में थी ? जब प्रेम में बिखराव आता है तो निश्चित ही कोई एक पक्ष आगे निकल जाता है या पीछे हट जाता है ! क्या आज से पहले इंडस्ट्री में ये नही हुआ ? इससे पहले भी कई सफल अभिनेत्री ने अपने से कमतर अभिनेता को छोड़कर श्रेष्ठ को चुना था लेकिन तब ये समाज भी चुप रहा था और सोशल मीडिया में कोई स्यापा भी नही हुआ था क्यूँकि तब वो अभिनेता मीडिया में जाकर रोया नही था !
कंगना को आज ये सब बोलने की ज़रूरत क्यूँ महसूस हुआ ? ठीक सिमरन की रिलीज के पहले; मानती हूँ असफलता के दिनों में ऐसी बातें करती तो कोई नहीं सुनता लेकिन सफलता मिले भी वक़्त हो चला तो आख़िर ये सब अब क्यूँ ? जवाब साफ़ है पब्लिसिटी के लिये. और मुझे उनके पब्लिसिटी स्टंट से कोई एतराज़ भी नहीं है. लेकिन अंधी दौड़ में दौड़ने वाली स्त्रीवादी पुरुष महिलाओं को देखकर हैरत हो रही है, उन्हें सिर्फ़ कंगना का स्त्री होना दिखाई से रहा है; उसके आंसू और गीली आवाज़ सुनाई दे रही है, इस सबके पीछे उसका शातिर दिमाग़ किसी को नहीं दिख रहा है !
अंत में यार ब्रेकअप होते रहना चाहिये वर्ना ब्रेकअप song कौन सुनता है भला !
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