'करन जौहर तुम गे कम्युनिटी के दुश्मन हो !'
कोई ऐसा 'गे' कैसे हो सकता है जो खुद पर लोगों को हंसने की छूट दे. इतने ऊंचे स्तर पर जाकर करण जौहर को अपने संघर्ष और दर्द का मजाक उड़ाने की छूट नहीं देनी चाहिए.
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करण जौहर की किताब 'द अनसुटेबल बॉय' (the unsuitable boy) उनकी सेक्सुअल पहचान के बारे में खुलासा कर रही है. लेकिन इस खुलासे से पहले करण ने जो अपराध किए हैं उनका क्या?
जब सलमान खान ने 'रेप' कमेंट किया था तो पूरी फेमिनिस्ट ब्रिगेड टूट पड़ी थी. वैसे ही LGBT कम्युनिटी को करण जौहर को भी नहीं छोड़ना चाहिए. क्योंकि, वे इस कम्यु्निटी के साथ खड़े होने के बजाए उन्हें डराते रहे. करण तुम्हें कोई हक नहीं है कि समाज में स्वीकार्यता को लेकर संघर्ष कर रही LGBT कम्युनिटी की कोशिशों को कमजोर करो.
कई बार अपनी खिल्ली उड़वा चुके हैं करण जौहर |
करण जौहर तुम गे हो, टेररिस्ट नहीं. बेफिक्र रहो. तुम खुद को गे कहने के कारण जेल नहीं चले जाओगे. जबकि यही बात तुम अपनी फिल्मों में, कॉफी विद करण में, कॉलम में, ट्वीट में और अक्षम्य जोक्स में हजारों बार कह चुके हो.
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करण जौहर ने गे कम्यूानिटी के बारे में अपनी सोच को बदलने में थोड़ा समय लिया है. फिल्म 'दोस्ताना' से 'कपूर एंड संस' तक का एक लंबा सफर है. शुरुआत में वह इसे सिर्फ गे को हंसी-मजाक का पात्र समझते थे, लेकिन 'कपूर एंड संस में' उन्हें इसमें गंभीरता नजर आई है.
ऐसा नहीं है कि हमें करण जौहर के सेक्सुअलिटी को लेकर संघर्ष का अंदाजा नहीं है. अपने ही शो में उन्होंने कई बार अपनी खिल्ली उड़वाई. ट्विंकल खन्ना से लेकर रणवीर-रनबीर, किसी ने करण को नहीं छोड़ा. अब इसे शो का फॉर्मेट मानने के अलावा कोई चारा नहीं है, या एक खुलासे की सस्ती कोशिश, कि करण एक गे हैं. लेकिन करण के लेवल के व्यक्ति को यह शोभा नहीं देता कि वे अपनी सेक्सुअलिटी को इस तरह डील करें. और समाज में गलत उदाहरण पेश करणे की तो उन्हें बिल्कुल छूट नहीं दी जा सकती.
करण के पास जीवन का लंबा अनुभव है. उन्हें वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में बतौर कल्चरल लीडर न्यौता दिया जाता है. मैं उन्हें विजेता मानती यदि वे गे प्राइड मार्च में हिस्सा लेते, एक इंसान के अधिकारों के लिए लड़ते, अपने साथियों को समलैंगिकों पर स्तरहीन चुटकुलों से रोकते और यदि वे अपने शो में आने वाले मेहमानों को उनकी सेक्सुअलिटी पर कमेंट न करणे देते. तो अपनी सेक्सुअलिटी की कैद से बाहर आने का यह दिन कई मामलों में अहम हो जाता.
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इन सबके उलट उन्होंने पूरी कम्युानिटी को नीचा कर दिया.
क्या मैं किसी औरत के चरित्र पर छींटाकशी करके खुद को एक औरत कह सकती हूं? या एक ऐसी मुसलमान, जो दुनिया में कहीं भी आतंकी घटना होने पर खुद को आतंकवादी कहने की छूट दे? तो कोई ऐसा गे कैसे हो सकता है जो खुद पर लोगों को हंसने की छूट दे. इतने ऊंचे स्तर पर जाकर करण को अपने संघर्ष और दर्द का मजाक उड़ाने की छूट नहीं देनी चाहिए.
सेक्सुअली किसकी पसंद क्या है, यह दुनिया को बताने के लिए नहीं, बल्कि उसका निजी मामला होता है. जैसे किसी को भी यौन प्रताड़ना, महिला अधिकार या रेप जैसे मामलों में कोई हल्की बात नहीं कही जा सकती, वैसे ही LGBT कम्युनिटी का मामला भी है. खासतौर पर जब भारतीय कानून इस कम्युनिटी के अस्तित्व को ही नजरअंदाज करता है तो इस दिशा में हर संघर्ष मायने रखता है.
बोहतर होगा कि करण LGBT कम्यु्निटी के अधिकारों की रक्षा के लिए आगे आएं |
मुझे करण जौहर से बहुत उम्मीदें हैं-
1. करण आप वह 'तीन शब्द' जोर से बोलिए और अपने लिए वह इज्जत हासिल करिए जिसके आप हकदार हैं. यह सब दुनिया के लिए नहीं, बल्कि भ्रम में फंसे अपने खुद के व्यक्तित्व के लिए.
2. अपनी हैसियत का इस्तेमाल करिए और गे कम्यु्निटी के अधिकारों की रक्षा के लिए आगे आइए. याचिका दायर करिए, गे प्राइड मार्च में हिस्सा लीजिए, अपने अस्तित्व को अपने सम्मान की तरह रखिए.
3. पूरी कम्युनिटी को नीचा दिखाने वाले चुटकुलों को अपने सामने कहे जाने से रोकिए. अपनी फिल्मों में होमोफोबिया मत दिखाइए. हालांकि कपूर के संस के लिए शाबाशी. सिर्फ इसलिए लोग मजा लेते हैं, किसी को न जोक करणे दें और न खुद जोक बनें.
4. आपने जो भी संघर्ष किया है, उसका पॉजिटिव पहलू सबके सामने रखें. ऐसी दर्दभरी कहानियों को बिलकुल सामने न लाएं जिनका अंत और भी ज्यादा दुखद रहा.
तो प्रिय करण, अब तक तुमने कम्युनिटी का जितना बुरा हो सकता था किया और सभी लोग तुम से माफी की उम्मीद करते हैं. ताकि कोई और unsuitable boy न बने.
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