11 बातें जो बताती हैं केरल के हालात हाथ से बाहर हो गए हैं
केरल की बाढ़ के कारण दो लाख से भी ज्यादा लोग राहत शिविर को अपना घर बनाने को मजबूर हो गए हैं. 11 तस्वीरें और उनसे जुड़ी बातें बता रही हैं कि Gods own country (भगवान का घर) कहे जाने वाले केरल से भगवान कहीं दूर चले गए हैं.
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केरल में बारिश और बाढ़ की वजह से हालात दिन प्रति दिन बिगड़ते जा रहे हैं. बाढ़ और मलबे में दबने से अब तक 164 लोगों की मौत हो चुकी है. केरल में बचाव कार्य तेज़ी से शुरू है और NDRF (नैशनल डिसासटर रिस्पॉन्स फोर्स) और नेवी की टीम लोगों की मदद लगातार कर रही हैं.
केरल में जल-प्रलय लोगों के लिए कभी न भुलाया जाने वाला सदमा लेकर आया है.
आज सुबह केंद्र नो NDRF टीमों को केरल भेजने की घोषणा की है. गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने केरल के चीफ मिनिस्टर पिनाराई विजयन से फोन पर बात कर कहा कि और ज्यादा NDRF दस्ते मदद के लिए केरल भेजे जा रहे हैं. राजनाथ सिंह ने कहा कि केंद्र हर मुमकिन मदद करने को तैयार है और लगातार केरल के सीएम के संपर्क में हैं.
मूसलाधार बारिश के साथ बहकर आ रहा मलबा जानलेवा बनता जा रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह के हस्तक्षेप के बाद केरल और तमिलनाडु के बीच मुल्लापेरियार डैम और उसके बढ़ते जलस्तर को लेकर चल रहा विवाद भी खत्म हो गया है. केरल चाहता था कि पानी निकालने और पानी भरने के लिए एक ही गेट हो जाए.
समुद्र के किनारे बसा केरल अब खुद पानी-पानी हो गया है.
भारतीय नेवी के ऑपरेशन मदद के सातवें दिन नेवी ने 21 अन्य रेस्क्यू और डाइविंग टीम लोगों की मदद के लिए तैनात कर मदद का काम और तेज़ कर दिया है. लगभग दो लाख लोग राहत कैंप में रह रहे हैं और नैशनल डिसासटर रिस्पॉन्स फोर्स (NDRF) की 14 टीमें लगी हुई हैं. इसमें 399 रेस्क्यू करने वाले लोग और 34 नावें शामिल हैं.
बाढ़ से जनजीवन हैरान, कई जगह रास्ते जाम.
NDRF की टीमों ने लगभग 926 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है. इसमें पथानामथिट्टा, कोज़ीकोड, एर्नाकुलम, थिसुर और आलापुज़ाह शामिल हैं. मृत्यू का आंकड़ा 79 पार कर गया है.
जहां तक नजर जाती है, वहां तक पानी ही पानी.
दक्षिण केरल और सेंट्रल केरल का पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम पूरी तरह से ठप्प हो गया है. दक्षिण रेलवे को बहुत नुकसान पहुंचा है और कोच्ची मेट्रो भी अभी बंद है. कोच्ची इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर शनिवार तक विमानों की आवाजाही बंद है. सभी कोच्ची आने या जाने वाली उड़ानों को तिरुवनन्तपुरम या कोज़ीकोड डायवर्ट कर दिया गया है.
जीवन की नैया अब नाव के ही सहारे.
केरल के रेवेन्यू का अहम हिस्सा यानी पर्यटन काफी प्रभावित हुआ है. इंडियन असोसिएशन ऑफ टूर ऑपरेटर्स (IATO) के अनुसार 70 से 80% टूर कैंसिल हुए हैं इसमें इडुक्की, मुन्नार, कुमाराकोम आदि जगह शामिल हैं. इन जगहों पर केरल में सबसे ज्यादा टूरिस्ट आते हैं. यहां देश और विदेश सभी जगहों से पर्यटक आते हैं.
डूबा... डूबा... और डूब ही गया.
बारिश की वजह से चैम्पियन्स बोट लीग को भी नुकसान हुआ है. ये केरल की सबसे लोकप्रीय स्नेक बोट रेस होती है जिसे चुंदन वल्लम्स कहा जाता है.
दरिया बन चुके केरल में देशभक्ति की एक तस्वीर, वैसे अब दरियादिली दिखाने की बारी तो देश की है...
केरल की बाढ़ की वजह से एक और प्राकृतिक घटना को नुकसान हुआ है. मुन्नार का नीलकुरिंजी फूल जो 12 साल में एक बार खिलता है और दूर दराज के पर्यटक भी इसे देखने आते हैं वो इस साल खिला था. उस फूल को भी नुकसान पहुंचा है. इस फूल के कारण मुन्नार में बहुत से पर्यटकों के आने की आशंका जताई जा रही थी. प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी स्वतंत्रता दिवस की स्पीच में भी इस फूल का जिक्र किया था.
बाढ़ देखते-देखते अब यह रोज की जिंदगी का हिस्सा बन गई है.
चाय, कॉफी, इलाइची और रबर के किसानों को लगभग 600 करोड़ का नुकसान हुआ है. सिर्फ चाय के बागानों का नुकसान ही 150 से 200 करोड़ तक का है. वायनाद में करीब 100 एकड़ चाय के बागान भूस्खलन और बाढ़ की चपेट में आ गए.
जिधर देखो बाढ़ और बचाव के ही नजारे हैं.
2018-19 के त्रासदी रिलीफ फंड के तहत केंद्र सरकार ने केरल सरकार को 320 करोड़ रुपए की मदद दी है. इसके अलावा, स्टेट डिजास्टर रिलीफ फंड में 1 अप्रैल 2018 तक 348.45 करोड़ रुपए और मौजूद थे.
जिन रस्तों पर गाड़ी दौड़ती थीं, अब वहां नावें ही नावें हैं.कुल मिलाकर केरल के हालात ऐसे हैं कि वहां रह रहे लोगों को लगातार मदद की जरूरत है. केरल के साथ-साथ अब तमिलनाडु में भी बाढ़ के हालात बनते जा रहे हैं. बांधों से पानी लगातार निकाला जा रहा है और केरल में अभी हाईअलर्ट जारी है. उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही बारिश रुकेगी और वहां निचले इलाकों का जलस्तर नीचे आएगा.
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