छात्रा-पुलिस-कैडेट्स की वर्दी में हिजाब पहनने की अनुमति नहीं, केरल सरकार का फैसला सही या गलत?
कुछ दिनों पहले कुट्टियाडी की छात्रा रिजा नाहन ने तर्क दिया कि देश के संविधान के अनुसार, हिजाब और पूरी आस्तीन पहनना उनका मौलिक अधिकार है.
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हिजाब (Hijab) पर कुछ दिनों से हंगामा बरपा हुआ है. कई स्कूलों और कॉलेजों में इन दिनों छात्राओं के हिजाब पहनने या ना पहनने का मामला सामने आया है. जिसमें कर्नाटक का नाम शामिल है. कई लोगों का कहना है कि कर्नाटक में अगले साल चुनाव होने वाले हैं इसलिए ऐसे मामले बार-बार सामने आ रहे हैं. फिलहाल हम केरल की बात करते हैं. असल में कुछ दिनों पहले कुट्टियाडी की छात्रा रिजा नाहन ने तर्क दिया कि देश के संविधान के अनुसार, हिजाब और पूरी आस्तीन पहनना उनका मौलिक अधिकार है.
इसके बाद केरल सरकार ने कहा है कि वह छात्रा पुलिस कैडेट्स की वर्दी में हिजाब और पूरी बाजू पहनने की इजाजत नहीं दे सकती है. इस परियोजना में राज्य के विभिन्न स्कूलों के हाई स्कूल की छात्राएं शामिल हैं. असल में छात्रा रिजा नाहन ने उच्च न्यायालय में इससे जुड़ी एक याचिका दायर की थी. जिसके बाद इस मामले को सरकार के पास भेजा गया था.
स्कूलों और पुलिस भर्ती में अगर जाति-पाति और धर्म की बातें होने लगीं तो बच्चों का क्या भविष्य क्या होगा?
इस पर सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि 'वर्दी में धार्मिक प्रतीकों को जोड़ना अनुचित होगा. यह गलत संदेश देगा और इसी तरह की मांग अन्य ऐसी इकाइयों पर उठेगी जो कि धर्मनिरपेक्ष होनी चाहिए. यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि एनसीसी और स्काउट्स एंड गाइड्स के पास भी वर्दी है जिसका छात्रों की धार्मिक पृष्ठभूमि से कोई संबंध नहीं है. छात्र पुलिस परियोजना के पीछे का विचार ही एक ऐसी पीढ़ी का निर्माण करना था जो राष्ट्र को पृष्ठभूमि के सभी अंतरों से ऊपर रखे'.
दरअसल, छात्र पुलिस कैडेटों के राज्य नोडल अधिकारी भी धार्मिक प्रतीकों को वर्दी के हिस्से के रूप में अनुमति देने के पक्ष में नहीं थे और उन्होंने मांग को नकार दिया. उन्होंने इस तरह की अनुमति के कई नकारात्मक पहलू गिना दिए. एक सरकारी अधिकारी ने रिपोर्ट में बताया कि पिछले दस सालों में पुलिस कैडेट के लिए इस तरह की ऐसी कोई मांग सामने नहीं आई है.
सरकारी कॉलेज में हिजाब और भगवा शॉल को लेकर उपजा था विवाद
इसके पहले कर्नाटक के एक सरकारी कॉलेज में हिजाब और भगवा शॉल को लेकर विवाद सामने आया था. जब चिकमंगलूर जिले के बालागाडी राजकीय डिग्री कॉलेज में छात्राओं के हिजाब पहनकर आने बैन लगा दिया गया था. इसके बाद कुछ छात्रों ने भगवा स्कार्फ पहनकर कॉलेज आना शुरु कर दिया था. इसी बात को लेकर तनाव पैदा हो गया था. जिसके बाद कॉलेज प्रशासन ने हिजाब और भगवा शॉल दोनों को बैन कर दिया. इसके बाद वहां का महौल शांत हुआ था.
जब 6 मुस्लिम लड़कियों के हिजाब का मामला अल्पसंख्यक आयोग तक पहुंच गया
कर्नाटक के उडुपी के एक सरकारी कॉलेज में 6 मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनने के कारण कक्षाओं में आने से रोका गया था. प्रशासन का मानना था कि ये परिधान कॉलेज के नियमों के अनुकूल नहीं था. इसे लेकर इतना हंगामा हुआ कि यह मामला कर्नाटक राज्य अल्पसंख्यक आयोग तक पहुंच गया. हालांकि कॉलेज की सुधार समिति ने बाद में यह फैसला लिया कि लड़कियां हिजाब पहनकर कॉलेज में तो आ सकती हैं, लेकिन वे हिजाब के साथ कक्षा में शामिल नहीं हो सकती हैं.
सरकारी महिला पीयू कॉलेज ने हिजाब पहनने वाली आठ छात्रों के प्रवेश पर रोक लगा दी थी और करीब एक महीने बाद भी छात्राएं अपनी कक्षाओं में प्रवेश नहीं कर पाई थीं. इन छात्राओं की उम्र लगभग 16 से 19 साल के बीच है. कॉलेज का कहना था कि "कैंपस में किसी भी धार्मिक गतिविधि की अनुमति नहीं दी जाएगी". कॉलेज प्रबंधन और उनके अभिभावकों के बीच बातचीत के बाद छात्राओं ने सीएफआई से भी संपर्क किया था.
कई बार उन बातों को भी तूल दिया जाता है जिनका कोई मतलब नहीं होता है. स्कूलों और पुलिस भर्ती में अगर जाति-पाति और धर्म की बातें होने लगीं तो बच्चों का क्या भविष्य क्या होगा और उनके दिमाग में कैसी बातें आएगी, वे क्या सीखेंगे. वैसे केरल सरकार के इस फैसले पर आपकी क्या राय है? मेरे दिमाग मेंं तो तालिबान की मुस्लिम छात्राओं की दयनीय हालात याद आ रही है, वे पढ़ना चाहती हैं, खुल कर रहना चाहती हैं लेकिन उन्हें मजबूरी में कैदियों की तरह जिंदगी जीनी पड़ रही हैं और हमारे देश में जितनी आजादी है उतनी ही परेशानी है...
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