रेपिस्टों को जेल जाने का भय नहीं रहा तो...
केरल के मंत्री ने बलात्कारियों के प्राइवेट पार्ट काट देने का सुझाव दिया है. जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने कहा था कि बलात्कारियों को पीड़ितों के सामने तब तक टॉर्चर करना चाहिए जब तक कि वे माफी नहीं मांग लेते.
-
Total Shares
पिछले कुछ दिनों से भारत में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध बढ़ रहे हैं. और ऐसे अपराधों को रोकने वाले सख्त कानूनों की कमी के कारण देश महिलाओं के लिए और ज्यादा असुरक्षित हो रहा है. लेकिन, केरल में एक मंत्री ने बलात्कार के लिए एक खास सजा खोज निकाली है- जो भी महिलाओं का रेप करने की कोशिश करे उसके प्राइवेट पार्ट को काट दिया जाना चाहिए.
केरल के पीडब्ल्यूडी मंत्री जी सुधाकरन ने राज्य महिला विकास निगम द्वारा आयोजित एक लोन फेस्टिवल को संबोधित करते हुए कहा कि- 'रेपिस्टों से निपटने का एक ही तरीका है. उनके लिंग ही काट दिए जाएं.'
मंत्री जी की जय-जय
पिछले दिनों द इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, 23 साल की एक लॉ स्टूडेंट ने सालों तक उसका यौन शोषण करने वाले एक ढोंगी बाबा का लिंग काट दिया था. हो सकता है कि मंत्री जी को रेप का ये आइडिया इस घटना से ही मिला हो.
टाइम्स ऑफ इंडिया ने मंत्री जी के हवाले से कहा है- 'राज्य में महिलाएं 'नकली स्वामियों' की भक्ति में व्यस्त हैं. आजकल महिलाओं को अपने बच्चों के देखभाल और उनके लिए अच्छा भोजन बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं है. इसके बजाय उनका ध्यान फर्जी स्वामियों की तरफ लगा रहता है जो उन्हें खाने के लिए दूध और केला देने के बदले जीवन बर्बाद कर रहे हैं. इसे बदलना चाहिए.'
हालांकि ये कोई पहली बार नहीं है जब किसी मंत्री ने बलात्कारियों के लिए ऐसी सख्त सजा का सुझाव दिया है. इससे पहले फरवरी में जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने कहा था कि बलात्कारियों को पीड़ितों के सामने तब तक टॉर्चर करना चाहिए जब तक कि वे माफी नहीं मांग लेते. उन्होंने कहा था, 'बलात्कारियों को ऊल्टा लटकाकर चमड़ी उधड़ जाने तक मारना चाहिए. इसके बाद उनके घावों पर तब तक नमक और मिर्च लगानी चाहिए जब तक की वो दया की भीख ना मांगने लगे. और ये सब उनके परिवार वालों के सामने होना चाहिए ताकि उन्हें पता चले कि मां-बहन के सामने बेइज्जत होना कैसा लगता है.'
हालांकि ऐसी कार्रवाई कुछ लोगों को अमानवीय लग सकती है लेकिन हमारे हिसाब से ये ही सही है. आखिरकार जेल जाने का डर लोगों के दिल में इतना भय पैदा नहीं कर पा रहा कि वो रेप करने के पहले सजा की बात सोचकर ही थर्रा जाएं.
अपने बलात्कारी या छेड़छाड़ करने वालों को महिलाएं द्वारा खुद ही सजा देने का मतलब भले ही कानून के तोड़ना हो लेकिन आखिरकार ये उस पीड़िता के लिए तो न्याय ही होगा. रेप के कई मामलों में हमने पहले भी देखा है कि कानून को अपने हाथ में लेना ही न्याय है.
ये भी पढ़ें-
रेप के मामलों में मेनका गांधी और आजम खां के बयान तो एक जैसे ही लगते हैं
आपकी राय