सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देने से पहले तीन तलाक के इन पहलुओं को जान लीजिए
तीन तलाक मामले में मुस्लिम लॉ बोर्ड की दलीलों से बहुत बड़ा है. पाकिस्तान एक मुस्लिम देश है फिर भी वहां तीन तलाक बैन है, फिर भारत में इतना हंगामा क्यों? जानिए तीन तलाक ने कैसे बर्बाद कर दी थी मीना कुमारी की जिंदगी...
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सुप्रीम कोर्ट ने आज तीन तलाक मामले में अपना फैसला सुना दिया है. इसे असंवैधानिक मानते हुए कोर्ट ने ये फैसला लिया है कि तीन तलाक या वर्बल डिवोर्स महिलाओं के अधिकारों के खिलाफ है.
इस मामले में सरकार को 6 महीने के अंदर कानून बनाना होगा तब तक के लिए तीन तलाक पर बैन लग गया है. तीन तलाक मामले में पांच जजों की बेंच ने फैसला सुनाया. तीन जज तीन तलाक के खिलाफ थे तो तीन इसके पक्ष में. इस केस पर सुनवाई 11 मई को शुरू हुई थी, लेकिन ये बात शुरू कैसे हुई?
एक महिला जो भिड़ गई कायदे और कानून दोनों से...
ये सब शुरू हुआ शायरा बानो से. एक 35 साल की महिला जिसने 2016 में तीन तलाक के मामले को कोर्ट तक पहुंचाया. 2015 अक्टूबर में शायरा बानो को उसके पति ने तलाक दे दिया था. उत्तराखंड की शायरा अपने पति के साथ 15 साल बिता चुकी थीं.
अपनी याचिका में शायरा ने तलाक ए इबादत, बहुविवाह और निकाह हलाला को गैरकानूनी करार देने को कहा था.. कारण ये कि वो संविधान के आर्टिकल 14, 15, 21 और 25 के तहत अधिकारों का हनन करता है. शायरा के पति ने इस बात पर बवाल भी मचाया क्योंकि वो मुस्लिम पर्सनल लॉ के अंतरगत आते हैं. इस मामले में चार और महिलाओं आफ्रीन रहमान, गुलशन पर्वीन, इशरत जहां और आतिया साब्री ने शायरा की याचिका का साथ दिया.
इस मामले में चीफ जस्टिस जेएस केहरार ने सात याचिकाओं को सुना. बेंच ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) से इस बारे में पूछा कि आखिर क्यों ऐसा कानून जो किसी भी इंसान के लिए अर्धम के बराबर है अभी भी इस्तेमाल किया जाता है तो इसपर AIMPLB का कहना था कि ये धार्मिक है. इसी बात के चलते सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक मामले पर केस चलाया गया.
जज और धर्म...
इस मामले में 5 जजों की बेंच बनी जिन्हें अलग-अलग धर्मों से लिया गया. जस्टिस जेएस केहर (सिख) हैं, कुरियन जोसफ (इसाई), आर एफ नरीमन (पार्सी), यू यू ललित (हिंदू), अब्दुल नजीर (मुस्लिम). इस मामले में धार्मिक फैसले निष्पक्ष लिए जा सकें इसलिए अलग-अलग धर्मों के जजों को लिया गया. मुस्लिम लॉ बोर्ड ने इसका भरपूर विरोध किया और कहा कि कोर्ट इस्लामिक मामलों में दखल न दे. ये मामला शरिया कानून के हिसाब से है और कुरान में भी इसका जिक्र है, लेकिन फिर भी फैसला हो ही गया. अभी तक 6 महीने के अंदर मुस्लिम तलाक पर कोई कानून बनाया जाएगा.
इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपील की कि इसे धार्मिक राजनीति से अलग रखा जाए और महिलाओं के अधिकारों का सम्मान किया जाए. अभी सिर्फ तीन तलाक के मामले में ही फैसला आया है और बहुविवाह या हलाला पर कोई बात नहीं हुई.
क्या कभी सोचा महिलाओं पर क्या होता है...
जरा सोचिए वो महिला कितनी मजबूर होगी जिसने अपनी जिंदगी के 15 साल एक इंसान को दे दिए उसे एक झटके में अलग कर दिया. बच्चों से मिलने के लिए तड़पती हुई वो मां किस बेबसी में गई होगी कोर्ट का दरवाजा खटखटाने. तीन तलाक महिलाओं के साथ कितना गलत करता है ये तो आप सोच भी नहीं सकते. ये वो परीक्षा है जिसने फिल्म इंडस्ट्री की मीना कुमारी को भी नहीं छोड़ा.
ट्रैजडी क्वीन की जिंदगी की ट्रैजडी...
मीना कुमारी की शादी फिल्म 'पाकीजा' के निर्देशक कमाल अमरोही से हुई थी. एक बार मीना कुमारी को उनके शौहर कमाल अमरोही ने गुस्से में आकर तीन बार तलाक दिया और उनका तलाक हो गया. बाद में पछतावा होने पर उन्होंने मीना कुमारी से निकाह करना चाहा, लेकिन तब मीना कुमारी को हलाला से गुजरना था. कमाल अमरोही ने मीना कुमारी का निकाह अपने दोस्त अमान उल्ला खान (जीनत अमान के पिता) से करवाया. मीना कुमारी को अपने नए शौहर के साथ हम बिस्तर होना पड़ा था और फिर इद्दत यानी मासिक आने के बाद उन्होंने अपने नए शौहर से तीन तलाक लेकर अपने पुराने शौहर कमाल अमरोही से दुबारा निकाह किया. मीना कुमारी इस बात से बिलकुल टूट गई और शराब का सराहा ले लिया. उन्होंने कहा था कि अपने जिस्म को किसी और इंसान को देने के कारण उनमें और वैश्या में कोई अंतर नहीं रह गया.
जरा सोचिए कि एक अभिनेत्री, चकाचौंध भरी दुनिया, दुनिया भर के सारे एशो आराम, लाखों चाहने वाले और वो भी तीन तलाक से इतनी टूट गई कि अपनी जिंदगी को ही बर्बाद कर दिया. न जाने इतने सालों में कितनी महिलाओं ने तीन तलाक के कारण यातनाएं झेली होंगी.
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