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Updated: 19 सितम्बर, 2016 12:01 PM
शुभम गुप्ता
शुभम गुप्ता
  @shubham.gupta.5667
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आज प्रधानमंत्री मोदी का 66वां जन्मदिन है. देश भर से ही नहीं बल्कि विश्व भर से लोग उन्हें शुभकामनाएं दे रहे हैं. भाजपा भी देश भर में प्रधानमंत्री मोदी का जन्मदिन मना रही है. मगर एक नजर प्रधानमंत्री के पूरे सफर पर. मोदी के एक ही जीवन में कई रुप हैं देखिये भी और पढ़िए भी.

बालक नरेंद्र

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 ट्रेनों में चाय बेचते बेचते हिंदी सीख गए मोदी

साल 1950 में वडनगर गुजरात में बेहद साधारण परिवार में जन्मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 17 सितंबर को 66 बरस के हो गए. एक चाय बेचने वाले कभी देश का पीएम भी बनेगा ये किसी ने सोचा नहीं था. मोदी खुद कहते हैं कि उनका बचपन चाय बेचते हुए गुजरा है. मोदी तो ठहरे गुजराती मानुष उन्हें हिंदी नहीं आती थी मगर ट्रेनों में चाय बेचते-बेचते हिंदी सीख गए, ऐसा खुद मोदी ने कहा था. मोदी की 17 साल की उम्र में ही शादी हो गई थी. उनकी पत्नी जशोदाबेन आज उनके साथ नहीं रहतीं. वो एक स्कूल में शिक्षिका हैं.

युवा मोदी

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  17 साल की उम्र में ही हो गई थी शादी

कहते हैं मोदी बचपन से ही बहादूर थे. एक बार मोदी वड़नगर के एक तालाब में अपने मित्रों के साथ खेल रहे थे. तभी एक मगरमच्छ तालाब में दिखाई दिया. सभी ने तालाब में खेलना ही बंद कर दिया. मगर बहादुर मोदी ने मगरमच्छ को ही तालाब से निकाल फेंका. एक इंटरव्यू में इस बात का जिक्र खुद मोदी भी कर चुके हैं.

संत मोदी

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 मोदी संन्यासी बनना चाहते थे

बचपन में नरेंद्र मोदी को साधु संतों को देखना बहुत अच्छा लगता था. मोदी खुद संन्यासी बनना चाहते थे. संन्यासी बनने के लिए नरेंद्र मोदी स्कूल की पढ़ाई के बाद घर से भाग गए थे और इस दौरान मोदी पश्चिम बंगाल के रामकृष्ण आश्रम सहित कई जगहों पर घूमते रहे और आखिर में हिमालय पहुंच गए. कई महीनों तक साधुओं के साथ घूमते रहे.

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 2 साल हिमालय पर्वत पर बिताए

कहते हैं अगर मोदी संघ से नहीं जुड़ते तो आज साधु या संत होते. अध्यात्म से मोदी को बेहद लगाव था. मोदी संत बनना चाहते थे और इसी कारण मोदी ने 18 साल की उम्र में ही अपना घर छोड़ दिया. उसके बाद मोदी ने 2 साल हिमालय पर्वत पर बिताए.

संघी मोदी

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 लोगों की सेवा करना अच्छा लगता था

मोदी शुरु से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की शाखाओं में जाया करते थे. उन्हें लोगों की सेवा करना अच्छा लगता था. मोदी ने राजनीति शास्त्र में एमए किया. जब मोदी सन् 1970 में अहमदाबाद पहुंचे तो उन्होंने उसी साल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सदस्यता ली और संघ के लिये काम करने लगे.

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 1970 में ली आरएसएस की सदस्यता

इसके बाद 1974 में वे नव निर्माण आंदोलन में शामिल हुए. इस तरह सक्रिय राजनीति में आने से पहले मोदी कई वर्षों तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे. तभी से उनकी छवि बनने लगी. इमरजेंसी के दौरान मोदी ने सरदार का रुप धारण किया और किसी के हाथ नहीं आए.

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 सरदार के रूप में मोदी

कार्यकर्ता मोदी

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 1980 के दशक में आखिरकार मोदी गुजरात की भाजपा ईकाई में शामिल हो गए

1970 में संघ से जुड़ने के बाद 1980 के दशक में आखिरकार मोदी गुजरात की भाजपा ईकाई में शामिल हो गए. माना गया कि पार्टी को संघ के प्रभाव का सीधा फायदा होगा. प्रधानमंत्री बनने के बाद जब मोदी दिल्ली के बीजेपी दफ्तर पहुंचे तो मोदी भावुक हो गए और कहने लगे कि एक समय था जब मैं इसी कार्यालय में मीडियाकर्मियों के लिए कुर्सियां लगाया करता था. मगर आज उसी पार्टी ने मुझे देश का प्रधानमंत्री बना दिया.

राष्ट्रीय सचिव मोदी

इसके बाद मोदी के राजनैतिक करियर की शुरुआत होने लगी. मोदी को वर्ष 1988-89 में भारतीय जनता पार्टी की गुजरात इकाई का महासचिव बनाए गया. नरेंद्र मोदी ने लाल कृष्ण आडवाणी की 1990 की सोमनाथ-अयोध्या रथ यात्रा के आयोजन में अहम भूमिका अदा की. इसके बाद वो भारतीय जनता पार्टी की ओर से कई राज्यों के प्रभारी बनाए गए.

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 1988-89 में भारतीय जनता पार्टी की गुजरात इकाई का महासचिव बनाए गए

प्रभारी मोदी

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 1998 में उन्हें महासचिव (संगठन) बनाया गया

मोदी को 1995 में भारतीय जनता पार्टी ने पांच राज्यों का पार्टी प्रभारी बनाया. इसके बाद 1998 में उन्हें महासचिव (संगठन) बनाया गया. इस पद पर वो अक्टूबर 2001 तक रहे.

विधायक मोदी

मोदी सच में किस्मत लेकर पैदा हुए हैं. मोदी ने पहली बार विधायक का चुनाव लड़ा और सीधे गुजरात के मुख्यमंत्री बने. 2001 में केशुभाई पटेल को मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद मोदी को गुजरात की कमान सौंपी गई. उस समय गुजरात में भूकंप आया था और भूकंप में 20 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे.

मुख्यमंत्री मोदी

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 मुख्यमंत्री बनने के 5 महीने बाद ही हो गया गोधरा रेल हादसा

मोदी के सत्ता संभालने के 5 महीने बाद ही गोधरा रेल हादसा हुआ जिसमें कई हिंदू कारसेवक मारे गए. जिसके बाद दंगे भड़र उठे. यूं तो मोदी 3 बार लगातार गुजरात के मुख्यमंत्री बने रहे. इस बात को तो विरोधी भी नहीं झुठला पाए कि मोदी राज में गुजरात में बहुत विकास हुआ. बाद में मोदी ने इसी गुजरात मॉडल को देश के सामने रखा और देश ने उन्हें प्रधानमंत्री बनाया.

दाग़ी मोदी

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 अमेरिका ने मोदी को 10 साल वीज़ा नहीं दिया

मोदी के सत्ता संभालने के लगभग पांच महीने बाद ही गोधरा रेल हादसा हुआ जिसमें कई हिंदू कारसेवक मारे गए. इसके ठीक बाद फरवरी 2002 में ही गुजरात में मुसलमानों के खिलाफ दंगे भड़क उठे. इन दंगों में सरकार के मुताबिक एक हजार से ज्यादा और ब्रिटिश उच्चायोग की एक स्वतंत्र समिति के अनुसार लगभग 2000 लोग मारे गए. इनमें ज्यादातर मुसलमान थे.

जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गुजरात का दौर किया तो उन्होंनें उन्हें 'राजधर्म निभाने' की सलाह दी जिसे वाजपेयी की नाराजगी के संकेत के रूप में देखा गया. अमेरिका ने मोदी को 10 साल वीज़ा नहीं दिया. ब्रिटेन ने भी मोदी से रिश्ते खत्म कर लिए थे. आज भले ही सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों में मोदी को क्लिन चिट दे दी हो मगर विरोधी आज भी मोदी को ही दंगों का गुनाहगार मानते हैं.

प्रधानमंत्री मोदी

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 जुलाई 2016 तक 42 देशों की यात्रा कर चुके हैं

16 मई 2014 को जब लोकसभा चुनाव के नतीजे देश के सामने आए. सारा देश ही नहीं बल्कि सारा विश्व अचंभित रह गया. बीजेपी ने लोकसभा चुनाव मोदी के दम पर लड़ा था. नारा भी यही दिया कि “अबकी बार मोदी सरकार”. खुद मोदी ने 100 से ज्यादा सभाएं देश भर में की और बीजेपी ने 282 सीटें हासिल कर इतिहास रच दिया. इससे पहले कभी भी बीजेपी के पास इतनी सीटें नहीं आईं थी. एनडीए ने 334 सीटों पर मोदी सरकार बनाई. 26 मई 2014 को मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली.

प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी जुलाई 2016 तक 42 देशों की यात्रा कर चुके हैं. इन यात्राओं में 113 दिन लगे. विरोधी दल इस बात पर भी मोदी को निशाना बनाते हैं. हांलाकि मोदी सरकार आने के बाद देश में विदेशी निवेश बढ़ा है. फिलहाल मोदी कि नजरें आने वाले यूपी चुनाव पर हैं.

इन सबसे इतर मोदी अपने खास फैशन के लिए भी दुनिया भर में मशहूर हैं. एक नजर उनके अपने खास स्टाइल पर भी..

लेखक

शुभम गुप्ता शुभम गुप्ता @shubham.gupta.5667

लेखक आज तक में पत्रकार हैं.

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