क्षमा बिंदु, इन दुनिया वालों को 'क्षमा' करना...
क्षमा बिंदु को परेशानी में देख आज उन लोगों के कलेजे को ठंडक मिल गई होगी, जो उनकी शादी से नाखुश थे.
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समाज को वही शादी मंजूर होती है, जो उसकी मर्जी से हो. वरना हर कोई अलग अलग लेवल पर 'क्षमा बिंदु' (kshama bindu) बनाया जाता है. क्षमा ही नहीं, अगर कोई दूसरी लड़की समाज के खिलाफ अपनी पसंद से शादी करती, तो उसका भी यही हाल होता. क्षमा बिंदु ने जब खुद ही सिंदूर से अपनी मांग भर ली और मंगलसूत्र पहन लिया तो लोगों ने उनकी शादी पर सवाल उठाए. कई लोगों ने इस शादी का विरोध किया, इस वजह से क्षमा ने दो दिन पहले ही 11 जून को किराए के घर में शादी की.
जिस मंदिर में शादी होनी थी, उसकी मंजूरी नहीं मिली. क्षमा बिंदु को परेशानी में देख आज उन लोगों के कलेजे को ठंडक मिल गई होगी, जो उनकी शादी से नाखुश थे. उन्हें लगा होगा, अच्छा हुआ ऐसे लोगों को ऐसा ही सबक मिलना चाहिए.
लोगों ने क्षमा के इस फैसले पर उन्हें पागल तक करार दिया. क्षमा की शादी को शास्त्रों के खिलाफ बताया गया. पंडित जी ने भी शादी कराने से मना कर दिया. कुल मिलाकर यह सारी कोशिश हुई कि वह शादी न कर पाए, लेकिन क्षमा ने जो सोचा था वह सपना पूरा किया.
क्षमा ही नहीं, अगर कोई दूसरी लड़की समाज के खिलाफ अपनी पसंद से शादी करती, तो उसका भी यही हाल होता
असल में क्षमा बिंदु को गुजरात के वडोदरा शहर को छोड़ना पड़ा है. उनके मकान मालिक ने उनसे घर खाली करने को कहा. वह अब अपनी नौकरी, शहर और घर दोनों छोड़ चुकी हैं. मकानमालिक ने सामाजिक दबाव में आकर यह फैसला लिया कि क्षमा उसके घर में नहीं रह सकतीं. क्षमा अब कहां रहेंगी यह किसी को नहीं पता. उनके पास अब नौकरी भी नहीं है. शायद उनसे कंपनी ने रिजाइन मांग लिया हो. फिलहाल वे नई नौकरी और घर की तलाश में है. उनका कहना है कि कोई कुछ भी कर ले, मुझे खुद से शादी करने पर कोई पछतावा नहीं है. वो अपने शहर एक दिन जरूर लौटेंगी.
क्षमा ने खुद से शादी की तो जैसे दुनिया वालों ने उन्हें सजा दी. उसके जज्बात को मकान मालिक से लेकर ऑफिस वालों ने नहीं समझा. जैसे उसने खुद को अपनाकर कोई गुनाह कर दिया हो. हालांकि वह अपनी जंग जीतकर लौटेगी, देख लेना.
कुछ लोगों को शायद लगा होगा कि क्षमा के कारण उनके सोसाइटी का नाम बदनाम हो रहा है. इससे उनकी बेटियां बिगड़ जाएंगी. अरे भला कोई लड़की अकेले रह रही है, तो इसमें किसी को क्या परेशानी हो सकती है. यह वही लोग होंगे जो अकेली लड़की को किराए पर घर नहीं देना चाहते. क्षमा ही नहीं, अगर कोई दूसरी लड़की घरवालों के खिलाफ अपने पसंद के लड़के से शादी करती, तो उसका भी यही हाल होता जो आज क्षमा के साथ हुआ है. शायद इससे भी खतरनाक होता. इसमें कुछ नया नहीं है.
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कोई विधवा अपने मन से शादी करे तो भी लोग उसे नहीं अपना पाते. किसी तलाकशुदा महिला की दूसरी शादी लोग नहीं पचा पाते. कितनी बार तो हम ऐसी खबरें पढ़ते हैं कि घरवालों ने अपनी ही बेटी को मौत के घाट उतार दिया, क्योंकि उसने प्रेम विवाह किया था. भारत में समलैंगिक विवाह, अंतरजातीय विवाह, प्रेम विवाह, गरीब-अमीर विवाह, उम्रदराज विवाह...तमाम ऐसे उदाहरण मौजूद हैं, जो ऑनर किलिंग की वजह बनते हैं.
कई परिवार वाले अगर अपनी मर्जी से शादी करने वाले जोड़ों को छोड़ देते हैं तो उनसे हमेशा के लिए रिश्ता खत्म कर लेते हैं. परिवार की इज्जत को दांव पर लगाने वाली बेटियों को मरा हुआ मानकर उसका पिंडदान तक कर दिया जाता है. समाज के लोग भी ऐसी संतान के नाम पर थू-थू करते हैं. बाहरी लोग भी उन्हें देखकर मुंह बना लेते हैं.
कंपनियां खुद को बदनाम करने से बचाने के लिए उन्हें नौकरी से निकाल देती हैं, उनके घर आना-जाना छोड़ देते हैं. ऐसे जोड़ों को समाज से बायकॉट कर दिया जाता है. कोई उन्हें किराये पर घर नहीं देता ना ही कोई उनकी मदद करता है. मजबूरी वश ऐसे कपल को अपना शहर, अपनी नौकरी छोड़कर कहीं और जाना पड़ता है. समलैंगिक लड़के या लड़कियों की जबरन किसी से भी शादी करा दी जाती है, लड़कियों के प्यार में पड़ने की भनक लगते ही उसे चटपट विदा कर दिया जाता है. तो क्षमा बिंदु के साथ जो बर्ताव हुआ है उसका तो पहले ही लोगों को अंदेशा था. आखिर क्षमा की क्या गलती थी, वह तो चुपचाप अपनी दुनिया में खुद के साथ जी रही थी, और यह बात भला लोगों ने बर्दाश्त कैसे हो सकती थी?
जिस तरह क्षमा बिंदु ने खुद से शादी करने ही हिम्मत दिखाई उसे देखकर कुछ लोगों के कलेजे पर सांफ लोट रहा था. यह वही लोग हैं जिनके लड़कियों के शादी ना करने से बाल्टी भर-भर के परेशानी होती है. सिंगल रहने वाली लड़की को देखते ही इनकी 12 फीट लंबी जुबान खुद ही बोल पड़ती है कि, हॉय तुम 27 साल की हो गई अब तक शादी क्यों नहीं किया. कर लो कर लो, भविष्य के बारे में सोचो...आखिर हर चीज का एक वक्त होता है.
अरे, अब जिसे शादी ही नहीं करनी है उसके लिए क्या सही और क्या गलत वक्त. कुछ लोग इस बात को स्वीकार नहीं कर पाते कि कोई महिला अकेले ही रहना चाहती है. वह अकेले ही खुश रह सकती है. उसे जिंदगी बिताने के लिए किसी के सहारे की जरूरत नहीं है. अब किसे शादी करनी है और किसे नहीं करनी है, यह उसके ऊपर ही छोड़ देना चाहिए. अब क्षमा जिंदगी भर अकेले रहना चाहती थीं. वह किसी की पत्नी वहीं बनना चाहती थीं. तो उन्होंने इस सोलोगामी के जरिए खुद को अपना लिया.
उनके लिए यह उसी तरह का भाव है जैसे सन्यास ले लेना. अब क्षमा अकेले रहना चाहती थीं लेकिन सन्यासी बनकर नहीं, बल्कि एक सामान्य महिला की तरह. वे अपनी अच्छाइयों के साथ अपनी बुराइयों को भी अपनाना चाहती थीं, और एकल विवाह के जरिए उन्होंने खुद को हर तरह से अपना भी लिया. शादी के बाद उन्होंने यह भी कहा था कि वो किसी और की पत्नी कभी नहीं बनेंगी. लोगों ने क्या-क्या ना कहा, गंदे-गेंदे कॉमेंट्स किए लेकिन क्षमा ने उनकी परवार नहीं की, क्योंकि वे कुछ ऐसा नहीं कर रही थीं. फिर भी लोगों ने उनके चरित्र पर भी उंगली उठाई.
हालांकि उन लोगों को मन भी दुखा है जो क्षमा के इस कदम की सराहना कर रहे थे. लोगों का मानना है कि क्षमा ने खुद के अस्तित्व को अपनाया था. उसने दुल्हन बनने और अपनी खुशी के लिए यह शादी की थी. जब वह अकेले इतना बड़ा फैसला ले सकती है, तो यह लड़ाई भी वह जीत ही लेगी...जो लोग क्षमा के हारने का इंतजार कर रहे हैं उन्हें उसके जीत की खुशी मिलेगी. क्षमा बिंदु, इन दुनिया वालों को 'क्षमा' करना ये तुम्हारे भाव को समझ नहीं पाए..
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