DU College Topper के गैंगस्टर बनने की कहानी बहुत कुछ कहती है!
चोर, बदमाश, हत्यारा, गैंगस्टर या फिर आतंकवादी सबके सब अपराधी हैं सबके लिए सज़ा का प्रावधान है. अपराधी जाहिल हो या फिर शिक्षित, अपराधी अपराधी ही कहलाया जाएगा. ये गहरी चिंता का विषय है कि आज शिक्षित वर्ग अपराध की दुनिया में तेज़ी के साथ कदम पसार रहा है. इसका हल खोजना सरकारों के लिए बेहद ज़रूरी है वरना शिक्षित वर्ग हमेशा नए अपराधों को जन्म देते रहेंगे.
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एक वक्त था जब लोग पढ़ लिखकर अच्छी नौकरी तलाशते, कारोबार करते थे. लेकिन वक्त ने ऐसी करवट ली कि अब ज़्यादातर अपराधी पढ़े लिखे ही पाए जा रहे हैं. शिक्षित वर्ग अपराध के मार्ग पर साल दर साल बढ़ता जा रहा है इसी वजह से समाज में नए नए तरीके के अपराधों ने भी जन्म ले डाला है. आज हमारे समाज में जितने भी साइबर क्राइम हो रहे हैं वह शिक्षित वर्ग के लोग ही कर रहे हैं ये बात किसी से भी छिपी नहीं है. अपराध करने की नई नई तकनीक और मास्टरमाइंड फार्मूले ने समाज में कई नए प्रकार के अपराध को जन्म दे डाला है जोकि न सिर्फ हमारे समाज बल्कि हमारे देश के लिए भी खतरनाक है. जिस समाज में शिक्षित अपराधियों का जमावड़ा लगा हो वहां अपराधियों के हौसले तो बुलंद होते ही हैं साथ ही साथ संवेदनाएं भी मर जाया करती हैं. आनलाइन ठगी से लेकर एटीएम की लूट तक, नकली पैसों के कारोबार से लेकर नकली दवाओं और अन्य सामानों के प्रोडक्शन तक, नकली फर्जी एवं अन्य दस्तावेज तैयार करने, माडर्न चोरी से लेकर माडर्न तरीके के मडर हत्या एवं लूट तक, अपराध के हर क्षेत्र में शिक्षित वर्ग के लोगों की मौजूदगी अधिक संख्या में बढ़ती चली जा रही है.
दिल्ली पुलिस द्वारा मार गिराया गया अपराधी कुलदीप फज्जा दिल्ली यूनिवर्सिटी का टॉपर था
इंसान हैं तो अपराध होना है, इस बात में कतई संदेह नही है. बिना अपराध के समाज की महज कल्पना ही की जा सकती है. लेकिन अपराध की बढ़ती रफ्तार और इस क्षेत्र में आऩे वाले शिक्षित वर्ग पर सभी को गहरी चिंता किए जाने की ज़रूरत है. शिक्षित वर्ग अपराध की दुनिया में कदम क्यों रख रहा है इसकी हज़ार वजहें हो सकती हैं लेकिन कोई भी वजह किसी के अपराध को कहीं से भी सही साबित नहीं कर सकती है. अपराध महज अपराध होता है और उसकी सज़ा भी एक मुकर्रर है.
पढ़े लिखे अपराधियों की चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल टीम ने दिल्ली में एक गैंगेस्टर कुलदीप सिंह उर्फ फज्जा को एनकाउंटर में मार गिराया है. कुलदीप यानी की फज्जा को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था और 25 मार्च को मेडिकल चेकअप के लिए अस्पताल लेकर आए थे. यहीं पर फिल्मी स्टाइल में फज्जा के साथियों ने फज्जा को बचाकर पुलिस को चकमा दे डाला था. हालांकि फज्जा के एक साथी को दिल्ली पुलिस ने उसी वक्त मार गिराया था जबकि दो अन्य बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया था.
इस घटना के बाद से ही दिल्ली पुसिल की स्पेशल टीमें फज्जा को तलाश रही थी. फज्जा को दिल्ली पुलिस ने ढूंढ़ निकाला और गिरफ्तार करने के लिए सटीक जगह पर पहुंची, चारो तरफ से घिर जाने के बाद फज्जा को जब कोई रास्ता न दिखाई दिया तो फायरिंग शुरू कर दिया. पुलिस ने जवाबी फायरिंग में फज्जा को मार गिराया और उसके साथियों को गिरफ्तार कर लिया.
यह एनकाउंटर जब प्रकाश में आया तो हर कोई फज्जा की बैकग्राउंड हिस्ट्री ढ़ूंढ़ने लग गया. तलाश करने पर मालूम चला कि अपराधी बन बैठा फज्जा दिल्ली युनिवर्सिटी का टॅापर रह चुका है. उसने दिल्ली विश्वविद्यालय के एक बेहद नामचीन कालेज किरोड़ीमल से वनस्पति विभाग में आनर्स में टॅाप किया था. गांव में एक मामूली झगड़े के बाद बदले की आग में झुलस रहे कुलदीप ने वहीं से अपराध की दुनिया में अपनी इंट्री करा ली और उसके बाद फिर वह एक गैंगस्टर बनकर उभर गया.
कुलदीप ने हाथ में कलम की जगह पिस्तौल को उठा लिया और एक शातिर अपराधियों के लिस्ट में शामिल हो गया. कुलदीप के एनकाउंटर के बाद से ही उसकी पढ़ाई लिखाई और टॅापर होने की दुहाई दी जा रही है और उसके सारे अपराधों से अलग हटकर उसे एक शिक्षित इंसान के रूप में पेश करने की कोशिश की जा रही है जोकि सरासर गलत है.
किसी भी अपराधी की पढ़ाई लिखाई की चर्चा यूं भी नहीं करना चाहिए क्योंकि बदमाशी और दंबगई एक ट्रेट है इसका एक अलग स्वैग है जोकि भौकाल दिखाने के लिए हर आदमी के अंदर पाई जा सकती है उसके लिए शिक्षित होना या न होना कोई मायने नहीं रखता है. दिमाग हर किसी के पास होता है कोई इसका अच्छी जगह पर इस्तेमाल करता है तो कोई इसी दिमाग को बुरे कामों के लिए या फिर अपराध करने पर लगाता है.
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