New

होम -> समाज

 |  2-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 08 दिसम्बर, 2015 07:12 PM
आईचौक
आईचौक
  @iChowk
  • Total Shares

ये हैं ओडिशा के कटक जिले की सबसे छोटी रियासत टिगिरिया के अंतिम राजा बृजराज क्षत्रिय बिरबार चुमपति सिंह महापात्रा. ये ओडिशा के उन 26 राजाओं में अकेले जीवित व्यक्ति थे जिन्होंने विलय समझौते पर 15 दिसंबर 1947 को हस्ताक्षर किए थे. राजा बृजराज महापात्रा 95 वर्ष के थे और 30 नवंबर इस दुनिया से चले गए.

इस राजा के पास न नौकर-चाकर थे और न ही कोई सिंहासन. सर छिपाने को थी एक टूटी-फूटी झोपड़ी, जिसकी छत से टपकता हुआ पानी राजा की बेबसी बयां करता था. जबकि राजा के पुश्तैनी घर में गर्ल्स हाई स्कूल चल रहा है. राजसी तेज तो इस राजा के चेहरे से साफ झलकता था लेकिन कुर्ता और लुंगी पहनने वाले इस शख्स को देखकर ये अंदाजा लगाना मुश्किल था कि किसी जमाने में ये एक रियासत के राजा थे. 

raja-tigeria_120815071129.jpg
                                                                 दूसरों की दया पर जी रहे थे

वो भी क्या दिन थे-

1940 में रायपुर के राजकुमार कॉलेज से डिप्लोमा करने के बाद सौनपुर की राजकुमारी रासमंजरी देवी के साथ उनकी शादी हुई. जिनसे उनके तीन लड़के और तीन लड़कियां थीं. उनके राजसी ठाठ में 30 नौकर, शानदार लग्जरी गाडियां, मोटर बाइक और घोड़े शामिल थे. नई गाडियों का खास शौक रखते थे. मार्केट में जब भी कोई नई कार आती थी, तो वो उसे खरीद लेते थे. उनके पास 25 कार और जीपें थीं. पर इसे वक्त की मार ही कहेंगे कि अपने बुढ़ापे में इस राजा ने एक रिक्शा खरीदा था, जिससे वो आस पास के गांवों में घूमने जाया करते थे.

raja1_120815070042.jpg
                                                          रिक्शा चलाकर दूसरे गांव जाया करते थे

मुफलिसी में जीवन जीने को मजबूर थे-

1947 में उनकी रियासत को भारत में मिला दिया गया था. जिसके बाद से उनका वक्त बदल गया. 1948 से उन्हें 11,200 रूपए वार्षिक बतौर पेंशन मिलते थे, जिसे 1975 में इंदिरा गांधी ने बंद कर दिया. 1960 तक राजा बृजराज अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहते थे, लेकिन दिवालिया होने के बाद उन्हें अपनी संपत्ति बेचनी पड़ी. अपना घर भी उन्होंने मात्र 75,000 रुपए में इस शर्त पर बेचा कि उसमें लड़कियों के लिए स्कूल खोला जाए. संपत्ति बेचकर वो अपनी पत्नी से भी अलग हो गए. सालों किसी न किसी के घर आश्रित रहे, और 1987 में टिगिरिया गांव आए और एक झोपड़ी बनाकर रहने लगे. यहां राजा को गांव वाले ही खाना देते थे.

raja2_120815070431.jpg
                                                               राजा थे पर राजनीति पसंद नहीं थी

राजनीति करने का न्यौता ठुकराया

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बिजु पटनायक ने राजा महापात्रा से राजनीति में शामिल होने की पेशकश की थी लेकिन उन्हें वो स्वीकार नहीं था. वे अपनी प्रजा के बीच राजनीति नहीं करना चाहते थे.

अब इसे क्‍या कहेंगे?

#राजा, #उडीसा, #राजनीति, राजा, रियासत, उडीसा

लेखक

आईचौक आईचौक @ichowk

इंडिया टुडे ग्रुप का ऑनलाइन ओपिनियन प्लेटफॉर्म.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय