कोरोना से हमें सबक मिल चुका है, लंपी वायरस की रोकथाम के लिए हमें उसी फॉर्मूले पर काम करना है
कोरोना ने हमको काफी कुछ सिखा दिया है. तो उसी से सबक लेकर हमें जल्दी ही लंपी वायरस से संक्रमित गायों पहचान करके उन्हें आइसोलेट करना होगा. उनका वैक्सीनेशन करवाना होगा ताकि संक्रमण न फैले. क्योंकि संक्रमण और ज्यादा फैला तो इसका सीधा असर दूध उत्पादन पर पड़ेगा.
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अभी कोरोना वायरस से पूरी तरह पीछा छूटा नहीं है कि एक और वायरस ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है और ये है लंपी वायरस. इंसानों पर इसका सीधे तौर पर कोई असर नहीं है लेकिन फिर भी डरने वाली और एहतियात बरतने वाली बात तो है. ये वायरस जानवरों को परेशान कर रहा है और बहुत बड़ी तादाद में गायें इससे संक्रमित होकर जान गंवा चुकी हैं. भारत के बहुत से राज्यों में पशुओं की हालत नाजुक है, ऐसे में आम जनमानस के मन में कई सवाल उठना लाजिमी है.जैसे. ये लंपी वायरस होता क्या है? क्या लंपी वायरस इंसानों को भी हो सकता है? लंपी वायरस से पशुओं की जान को कितना खतरा है? क्या इससे दूध के उत्पादन पर भी असर पड़ेगा? आखिर इस लंपी वायरस का इलाज क्या है? हम इस आर्टिकल में कोशिश करेंगे कि आपके सभी सवालों के जवाब दे पाएं.
लंपी वायरस से जानवरों को बचाया जा सकता है बस संक्रमित गायों की पहचान करके उन्हें आइसोलेट करना होगा
तो सबसे पहले यही समझा जाए कि आखिर लंपी वायरस है क्या?
लंपी वायरस पशुओं में पाया जाने वाला एक खतरनाक वायरस है. इस बीमारी में पशुओं के शरीर पर गांठें उभर आती हैं. और आप तो जानते हैं कि गांठ को अंग्रेजी में कहते हैं लंप. उसी वजह से इस बीमारी का नाम पड़ गया लंपी स्किन डिजीज यानी पूरे शरीर में गाठें देने वाला लंपी वायरस. ऐसा केप्री-पॉक्स वायरस के कारण होता है. ये वायरस गोटपॉक्स और शिपपॉक्स फैमिली का है. इसलिए गोट यानी बकरी और शिप यानी भेड़ में भी इस वायरस का खतरा होता है. ज्यादातर ये बीमारी गायों और भैसों को होती है और उनके शरीर पर मोटी मोटी गांठें दिखने लगती हैं.
केप्री-पॉक्स उसी वायरस फैमली से आता है जिससे इंसानों को होने वाले स्मॉलपॉक्स और मंकी पॉक्स आते हैं. यहां मैं आपको ये बात बिल्कुल साफ करता चलूं कि ये लंपी स्किन डिजीज इंसानों को नहीं होती. अगर आपको किसी भी राज्य से किसी अफवाह में ये पढ़ने-देखने को मिला हो तो मैं क्लियर कर रहा हूं कि ये सरासर गलत है. इंसानों में लंपी वायरस का कोई केस अब तक सामने नहीं आया है.
एहतियात बरतते हुए इस बात का ध्यान जरूर रखना है कि जो लोग पशुओं का काम करते हैं वे संक्रमित पशुओं से थोड़ी दूरी बनाकर रखें. जानकारों का कहना है कि लंपी वायरस से संक्रमित पशुओं को दूसरे पशुओं से दूर कर देना चाहिए और अपने हाथ साबुन से धोने चाहिए. अपने हाथों को आप सैनिटाइज भी कर सकते हैं. आपकी कोशिश ये होनी चाहिए कि संक्रमित पशुओं की स्किन को आप हाथ न लगाएं.
केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री संजीव बालियान ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि लंपी वायरस से देश के करीब 13 राज्य प्रभावित हैं. 10 लाख से ज्यादा जानवर प्रभावित हैं जिनमें से करीब 75,000 से ज्यादा पशुओं की जान जा चुकी है. 8 राज्यों इसकी मार सबसे ज्यादा है- गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और जम्मू-कश्मीर. इसके अलावा हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश और अंडमान निकोबार में भी लंपी वायरस के मामले सामने आ चुके हैं.
हिमाचल प्रदेश के पशुपालकों ने तो इसे महामारी घोषित करने की अपील भी की है. एनिमल हसबेंडरी और डेयरी डिपार्टमेंट के सचिव जीतेंद्र नाथ ने बताया कि राजस्थान में 600 से 700 गायों की मौत हर रोज हो रही है.
ऐसे में सवाल उठता है कि ये लंपी वायरस इतनी तेजी से फैल कैसे रहा है?
दरअसल, ये संक्रमण मच्छर, मक्खी और खून चूसने वाले दूसरे कीड़ों की वजह से आसानी से फैल रहा है. जब कोई मच्छर और मक्खी किसी संक्रमित पशु पर बैठने के बाद किसी दूसरे पशु पर बैठते हैं तो इस बीमारी को दूसरे स्वस्थ पशुओं में ट्रांसफर कर देते हैं. इससे ये वायरस बहुत तेजी से फैल रहा है. एक कारण इस साल की बरसात से भी जुड़ा है. राजस्थान और गुजरात में इस साल सामान्य से ज्यादा बारिश हुई, इसलिए वहां मक्खी-मच्छर काफी ज्यादा हैं, जिससे चुनौती और बढ़ गई है.
फिर से याद दिला दूं कि वो मक्खी-मच्छर जो संक्रमित जानवरों पर बैठने के बाद इंसानों पर बैठेंगे तो इंसानों में लंपी वायरस नहीं फैला पाएंगे क्योंकि लंपी वायरस गाय-भैसों, बकरियों और भेड़ों में ही फैल सकता है. लंपी वायरस से संक्रमित पशुओं को तेज बुखार आने के साथ ही उनकी भूख कम हो जाती है. इसके अलावा चेहरे, गर्दन, थूथन, पलकों समेत पूरे शरीर में गोल उभरी हुई गांठें बन जाती हैं. साथ ही पैरों में सूजन, लंगड़ापन और नर पशु में काम करने की क्षमता भी कम हो जाती है. कई बार पशुओं की मौत भी हो जाती है.
इन संक्रमित बीमार पशुओं में दूध देने की क्षमता भी कम हो जाती है. यहां आते हैं आपके हमारे सरोकार से जुड़े कुछ और सवाल-
क्या इससे दूध के उत्पादन पर भी असर पड़ेगा?
क्या हमें गाय-भैंस वाला दूध पीना बंद कर देना चाहिए?
अब एक सवाल का जवाब हां है तो दूसरे का नहीं. दूध के उत्पादन पर असर जरूर पड़ेगा लेकिन आपको दूध पीना इसलिए बंद करने की जरूरत नहीं है कि उससे संक्रमण हो जाएगा. हम आपको बार-बार कह रहे हैं कि इंसानों में अब तक लंपी वायरस का कोई केस सामने नहीं आया है. कुछ जगहों से ऐसी खबरें हैं कि लोगों ने दूध खरीदना बंद कर दिया है, दूध पीना बंद कर दिया है. ये सोचकर कि कहीं वो लंपी वायरस के शिकार न हो जाएं. आप दूध की खपत सिर्फ इसीलिए जरूर कम कर सकते हैं क्योंकि दूध के उत्पादन पर असर पड़ने लगा है ताकि सभी को दूध की थोड़ी सप्लाई होती रहे.
जानवरों के विशेषज्ञों का कहना है कि अगर दूध को उबाल कर पिया जाए तो इंसानों को वायरस से कोई खतरा नहीं है. इसके लिए दूध को लंबे समय तक उबालना जरूरी होगा या फिर पाश्चराइजेशन के जरिए इस्तेमाल किए जाने वाला दूध किसी भी तरीके से नुकसानदायक नहीं होता है, क्योंकि इससे वायरस पूरी तरीके से नष्ट हो जाता है. इंसान के लिए इसमें कोई भी हानिकारक तत्व नहीं बचते हैं. लेकिन गाय के बच्चे को ये खतरा जरूर है कि अगर वो मां का दूध पीए तो उसे भी वायरस अपनी चपेट में ले सकता है.
ऐसे में गाय के बछड़ों को संक्रमित गायों से दूर रखने में ही भलाई है.लाखों गाय इस समय आइसोलेशन में हैं और इससे भारत का डेयरी उद्योग भी खासा प्रभावित हुआ है. जैसा हमने आपको बताया कि गायों में ये वायरस तेजी से फैल रहा है. पशुओं में उभरी हुई गांठें विकसित होती हैं. फिर इनमें घाव बन जाता है. आंखों में पानी आना भी इसका एक लक्षण है. नाक से ज्यादा तरल पदार्थ और मुंह से अधिक लार का निकलना भी एक लक्षण है.
इसके चलते पशुओं को खाना चबाते या खाते समय दिक्कत होती है. इस वजह से वो खाना बंद कर देते हैं. जब खाएंगे कम तो दूध का उत्पादन भी कम होगा ही. इसीलिए लंपी वायरस के संक्रमण का कोई भी लक्षण अगर पशुपालकों को अपनी गाय में दिखे तो तुंरत उसका उपचार शुरू करवा दें. वरना पशुओं की जान का खतरा बढ़ जाता है. हालांकि अभी तक डेथ रेट एक से दो फीसदी ही बताया जा रहा है लेकिन समय पर जानवरों की देखभाल से ही संक्रमण फैलने से रोका जा सकता है.
हमने आपको बताया कि लंपी वायरस से जानवरों की सबसे ज्यादा मौतें राजस्थान में हुई हैं. जिसकी वजह से राजस्थान सरकार ने इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग भी की है. इस पर राजनीति भी हुई, बीजेपी ने कई जगहों पर कांग्रेस सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. लेकिन सवाल यहां राजनीति के आगे का है क्योंकि मामला सिर्फ एक राज्य का नहीं बल्कि देशव्यापी है.
केंद्र सरकार भी इससे बाखबर है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ग्रेटर नोएडा में हुए डेयरी के एक कार्यक्रम में इसका जिक्र किया. पीएम मोदी ने जानकारी दी कि इस वायरस की वैक्सीन भी तैयार कर ली गई है. लेकिन अभी उसकी लॉन्चिंग में वक्त लगेगा. भारत सरकार के मुताबिक ICAR के दो संस्थानों ने लंपी वायरस पर कारगर वैक्सीन तैयार कर ली है. जिसकी लॉन्चिंग में 3 से 4 महीने का वक्त लगेगा.
अब बात आती है कि फिर लंपी वायरस का उपचार क्या है?
फिलहाल लंपी वायरस से गायों को बचाने के लिए गोट पॉक्स की वैक्सीन इस्तेमाल की जा रही है, जिससे काफी हद तक मदद भी मिल रही है. केंद्र सरकार के मुताबिक अब तक डेढ़ करोड़ टीके राज्यों को दिए गए हैं. इस वायरस को रोकने के लिए और भी कई उपाय किए जा रहे हैं. जिस तरह कोरोना से इंसानों को बचाने के लिए होम आइसोलेशन, कंटेनमेंट जोन और टेस्टिंग की रणनीति अपनाई गई थी, ठीक उसी तरह इस वायरस से गायों को बचाने के लिए प्रभावित राज्यों में उन्हें अलग रखा जा रहा है, उनकी टेस्टिंग की जा रही है.
बीमारी को रोकने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. इसके लिए वैक्सीनेशन तो किया ही जा रहा है, इसके साथ ही शेल्टर होम यानी गौशालाओं को चिह्नित किया जा रहा है जिसमें सड़कों पर घूमने वाली संक्रमित गायों को रखने के लिए प्राथमिकता दी जाएगी. यहां सभी संक्रमित गायों को रखा जाएगा और उनका इलाज किया जाएगा. बीमार गायों को ट्रेस किया जा रहा है. भैंसों में भी ये बीमारी पहुंच रही है, लेकिन जानकारों की मानें तो भैंस की इम्यूनिटी मजबूत होने की वजह से मौत के मामले अब तक नहीं आए हैं.
अब कोरोना ने हमको काफी कुछ सिखा दिया है तो उसी से सबक लेकर हमें जल्दी ही लंपी वायरस से संक्रमित गायों पहचान करके उन्हें आइसोलेट करना होगा और वैक्सीनेशन करवाना होगा ताकि संक्रमण न फैले. क्योंकि संक्रमण और ज्यादा फैला तो इसका सीधा असर दूध उत्पादन पर पड़ेगा..इसीलिए हम उम्मीद करते हैं इसका टीका जल्द आए और गायों को लंपी वायरस से मुक्ति मिले.
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