कोरोना से बड़ी समस्या की गिरफ्त में एक देश, घास-फूस और टिड्डे खाने को मजबूर लोग
संयुक्त राष्ट्र खाद्य एजेंसी (World Food Programme- WFP) ने मेडागास्कर (Madagascar) से जुड़ी कुछ जानकारियां शेयर की हैं. जिसके मुताबिक, मेडागास्कर में तेजी से बढ़ रहे सूखे ने हजारों लोगों को अकाल के मुंह में धकेल दिया है.
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दुनिया के कई देश जहां कोरोना महामारी (Covid pandemic) से परेशान हैं, वहीं एक ऐसा देश भी है जो एक अलग ही समस्या का सामना कर रहा है. आपको यह जानकर हैरानी भी हो सकती है कि इस देश के लोग जंगली पत्तियां, घास-फूस और टिड्डे जैसी चीजें खाने को मजबूर हैं. हम बात कर रहे हैं अफ्रीकी देश मेडागास्कर (Madagascar) की संयुक्त राष्ट्र खाद्य एजेंसी (World Food Programme- WFP) ने मेडागास्कर से जुड़ी कुछ जानकारियां शेयर की हैं. जिसके मुताबिक, मेडागास्कर में तेजी से बढ़ रहे सूखे ने हजारों लोगों को अकाल के मुंह में धकेल दिया है.
मेडागास्कर के लोग भुखमरी से जूझ रहे हैं
अकाल की वजह से काफी बुरे हालात बने हुए हैं. इस कारण हजारों लोगों की जिंदगियां खतरे में है. हालात यहां तक पहुंच चुके हैं कि यहां के लोग अपना पेट भरने और भूख मिटाने के लिए घास-फूस और टिड्डे जैसी चीजें खा रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र खाद्य एजेंसी की यह रिपोर्ट पिछले हफ्ते आई है. इसमें यह भी बताया गया कि मेडागास्कर में धूल भरी आंधी और सूखे के कारण फसलें बर्बाद हो गई हैं. जीने के लिए यहां के लोग कुछ भी खाने को तैयार हैं. संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम के सीनियर डायरेक्टर आमेर दाऊदी ने इसको लेकर एक चेतावनी भी जारी की है.
आमेर दाऊदी (Amer Daoudi) का कहना है कि "मेडागास्कर (Madagascar) में तबाही का पैमाना विश्वास से परे है. अगर हम मेडागास्कर के लोगों तक भोजन नहीं पहुंचाते हैं, तो कई परिवार भूखे रह जाएंगे और जान गंवा देंगे. तीव्र कुपोषण दर को कम करने के लिए जल्द से जल्द उचित कदम उठाने की जरूरत है. इस मानवीय संकट को दूर करने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है."
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा हाल ही में किए गए एक आकलन के मुताबिक, दक्षिणी देशों के अधिकांश जिलों में पिछले चार महीनों में पांच साल से कम उम्र के बच्चे वैश्विक तीव्र कुपोषण (GAM) की चपेट में हैं.
सबसे ज्यादा प्रभावित अंबोवॉम्ब का जिला है जहां GAM 27 प्रतिशत को पार कर गया है, जिससे कई बच्चों की जान जोखिम में है. स्वस्थ बच्चों की तुलना में तीव्र कुपोषण वाले बच्चों की मृत्यु होने की संभावना चार गुना अधिक है.
सबसे ज्यादा प्रभावित अंबोवॉम्ब का जिला है
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