मैगी पर कार्रवाई: देर आए, पर दुरुस्त आए
जो हंगामा मैगी खुलासे के बाद बरपा, वो बहुत पहले ही बरपना चाहिए था. मैगी तो केवल बानगी भर है. भारत का बाज़ार ऐसे सैंकडों खाद्य पर्दाथों से भरा पड़ा है जो लोगों के लिए धीमा जहर हैं.
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मैगी नूडल्स में मोनोसोडियम ग्लूटामेट यानी MSG की मौजूदगी पाए जाने के बाद जो हंगामा बरपा, वो बहुत पहले ही बरपना चाहिए था. मैगी तो केवल बानगी भर है. भारत का बाज़ार ऐसे सैंकडों खाद्य पर्दाथों से भरा पड़ा है जो लोगों के लिए धीमा जहर हैं. हाल ही में FSSAI ने कई उत्पादों पर शक जाहिर करते हुए उनकी सूची जारी की है.
अगर आप समझते हैं कि केवल मैगी नूडल्स ही आपके लिए नुकसान दायक था तो ऐसा नहीं है. क्योंकि कई अन्य लोकप्रिय ब्रांड भी हमारे लिए ऐसे ही खतरनाक हैं. जिनमें टॉप रेमन, चिंग्स और फूडल्स जैसे बड़े ब्रांड भी शामिल हैं. ये सभी अपने उत्पादों पर MSG या रसायनों का उल्लेख नहीं करते हैं. इसका बात खुलासा एक नई जांच रिपोर्ट में हुआ है. MSG एक प्रकार का एमिनो एसिड है जो कई कृषि उत्पादों में स्वाभाविक रूप से होता है. यह स्वाद बढ़ाने के लिए पैक्ड खाने में कृत्रिम रूप से मिलाया जाता है.
मिलावटखोरी के खिलाफ जहां दुनियाभर में सख्त कानून हैं, वहीं हमारे देश के खस्ताहाल प्रशासनिक ढांचे में खाने की जांच के लिए कोई पुख्ता इंतज़ामात नहीं हैं. देश की खाद्य सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाली एजेंसी FSSAI के पास अधिकार तो हैं, पर संसाधनों की कमी और कामचोरी ने इस एजेंसी को लापरवाह बना दिया. इसलिए इनका काम केवल फूड प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियों को प्रमाण-पत्र जारी करने तक सीमित हो गया था. कंपनी अपने उत्पाद मे क्या मिला रही हैं इस बात की परवाह इन्हे नहीं थी. रैपर पर जो लिखा होता था बस वही FSSAI के लिए काफी होता था.
लेकिन मैगी विवाद बढ़ता देख इस एजेंसी ने खुद को बचाने के लिए कसरत शुरु की. नतीजा सामने है, देश के 500 से ज्यादा खाद्य उत्पाद जांच के दायरे में हैं. जिनमें कई ऐसे ब्रांड हैं जो भारतीयों की जिंदगी का हिस्सा बन गए हैं. जब कार्रवाई बड़ी होगी तो खुलासा सा भी बड़ा ही होगा. कई उत्पाद तो ऐसे हैं जिन पर लोगों को इतना यकीन है कि वे आंख बंद करके उस पर भरोसा करते हैं. मगर अफसोस कि मिलावट के जहर से वो भी नहीं बचे हैं.
पूरे देश में खाद्य सुरक्षा का जिम्मा केवल FSSAI पर है |
हाल ही में दिल्ली सरकार के खाद्य विभाग ने अन्य नूडल्स ब्रांडों के 12 नमूनों का परिक्षण किया था जिसमें से 8 ब्रांड गुणवत्ता परीक्षण में फेल हो गए. इन नमूनों टॉप रेमन, चिंग्स और फूडल्स जैसे ब्रांड शामिल थे. विभाग ने दिल्ली में अलग-अलग स्थानों से लिए गए नमूनों को पिछले सप्ताह परीक्षण के लिए भेजा गया था. लैब रिपोर्ट में पता चला कि कई उत्पादों पर कंपनियों ने MSG आदि का उल्लेख नहीं किया है. अब इनके खिलाफ कार्यवाई की तैयारी हो रही है.
खाद्य सुरक्षा कानून के मुताबिक अगर खाने में MSG मिलाया गया है तो उसके पैक पर लिखा जाना चाहिए. मगर कई मामलों में ऐसा नहीं हो रहा है. रिपोर्ट के अनुसार टॉप रेमन नूडल्स के छह में से पांच नमूने जांच में गलत पाए गए. इसी तरह चिंग के दो नमूने भी फेल हो गए. फूडल्स नूडल्स के एक नमूने में लैड की मौजूदगी तय सीमा से ज्यादा पाई गई. जो इंसान के लिए नुकसान दायक है.
हालांकि नेस्ले इंडिया कंपनी ने बंबई उच्च न्यायालय में मैगी नूडल्स पर लगे प्रतिबंध को चुनौती दी थी. नेस्ले के वकीलों ने बहस करते हुए कहा कि केंद्रीय खाद्य नियामक और कुछ भारतीय राज्यों ने बिना कारण और सबूत के मैगी पर प्रतिबंध लगाया गया है.
नूडल्स बनाने वाली कंपनियां अब जो भी कहें. लेकिन इस पूरे मामले ने कम से कम FSSAI को जिंदा कर दिया. जो एजेंसी केवल औपचारिकता निभा रही थी, वो अब अपना काम कर रही है. उनकी प्रयोगशालाओं और अन्य स्वतंत्र प्रयोगशालाओं में मैगी नूडल्स जैसे उत्पादों के परीक्षण किए जा रहे हैं. इस काम में राज्यों के खाद्य विभाग भी संजीदा होकर मैदान में कूद पड़े हैं. मगर जरूरी ये है कि अब ये तेजी और काम का माहौल बरकरार रहना चाहिए. ताकि लोगों को परोसे जा रहे है जहर की हकीकत सामने आ सके.
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