New

होम -> समाज

 |  2-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 06 सितम्बर, 2015 01:47 PM
अभिषेक पाण्डेय
अभिषेक पाण्डेय
  @Abhishek.Journo
  • Total Shares

मां के रिश्ते को दुनिया का सबसे महान और निःस्वार्थ रिश्ता कहा जाता है लेकिन अगर वही मां अपने छोटे से बच्चे को मरने के लिए अकेला छोड़ दे तो! या खुद ही उसकी जान ले ले! वह भी सिर्फ इसलिए कि उसे अपने शौक पूरे करने हैं! फिर चाहे वह अपनी बेटी शीना के कत्ल का आरोप झेल रही इंद्राणी हों या हाल ही में चिली में अपने दो साल के बच्चे को भूखा-प्यासा छोड़ने वाली एक शराबी मां. तो ऐसे में कौन कहेगा मां से बड़ा दुनिया में और कोई रिश्ता नहीं? तो क्या मां की ममता से भरोसा उठ रहा है?
 
लेकिन इन सब के बीच जब इंसानी रिश्ता और मां की ममता अपने कर्तव्य से डिगते हुए और भरोसा खोते नजर आते हैं तो एक जानवर ने अपनी ममता से इस भरोसे को और मजबूत बनाया - एक जानवर ने मां का रोल निभाया! अपना दूध पिलाकर बच्चे की जान बचाकर! जी हां, चिली में दो साल के भूखे-प्यासे बच्चे को एक कुतिया ने 'मां' बनकर पाला-पोसा. जो काम करने में ममता या मानवता चूक गई, वही काम 'पशुता' ने कर दिखाया.
 
यह घटना है चिली की, जहां एक मां अपनी शराब की लत के चलते अपने दो साल के बच्चे को भूखा-प्यासा छोड़कर चली गई. इसके बाद जो हुआ उस पर आप शायद यकीन नहीं कर पाएंगे! इस बच्चे को भूख से बचाया एक प्रेग्नेंट कुतिया ने अपना दूध पिलाकर. जी हां, लोगों को जब यह कुपोषित बच्चा मिला तो वह उस कुतिया का दूध पी रहा था.
 
आपको झकझोरने वाली कहानीः
अफ्रीकी देश चिली में एक शराबी मां ने कथित तौर पर अपने दो साल के बेटे को एक मैकेनिक के वर्कशॉप में भूखा-प्याया छोड़ दिया था. मां की ममता से वंचित हुए इस बच्चे की जिंदगी बचाई उसके पड़ोस में रहने वाली रेना नामक की एक प्रेग्नेंट कुतिया ने. इस कुतिया ने बच्चे को अपना दूध पिलाया. इसके बाद लोगों ने इसकी जानकारी पुलिस को दी और वस्त्रहीन बच्चे को हॉस्पिटल ले जाया गया.

बच्चा न सिर्फ कमजोर हो गया था बल्कि वह त्वचा और जूं के संक्रमण से भी पीड़ित था. पुलिस अधिकारियों का मानना है कि बंदरगाह के इस बेहद गरीब इलाके के एक मैकेनिक वर्कशॉप में मिला यह बच्चा भूख से इसलिए बच पाया क्योंकि कुतिया ने उसे अपना दूध पिलाया था. इंसान द्वारा अपने कर्तव्यों में असफल हो जाने और एक जानवर के मानवता के लिए नई मिसाल बन जाने की यह अद्भुत दास्तां हैं.
 
यह कहानी दिखाती है कि जब इंसान अपने कर्तव्यों को पूरा कर पाने में नाकाम साबित हुआ तो एक जानवर ने साबित किया कि सभ्यता की डींगें हांकने वाले इंसान को अब भी जानवरों से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है.

#मां, #ममता, #ब्रेस्टफीडिंग, मां, ममता, ब्रेस्टफीडिंग

लेखक

अभिषेक पाण्डेय अभिषेक पाण्डेय @abhishek.journo

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय