विदेशों में बैन..भारत में क्यों नहीं?
मैगी ही नहीं है जो सेहत के लिए हानिकारक है, ऐसे बहुत से उत्पाद हैं जो मानकों के आधार पर खरे नहीं उतरते, फिर भी बाजार में धड़ल्ले से बिक रहे हैं.
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किसी चीज पर जब बैन लगाया जाता है तो उसके पीछे एक ठोस आधार होता है. यहां हम बीफ बैन की बात नहीं कर रहे, बल्कि उन उत्पादों की बात कर रहे हैं जो हम सभी की दिनचर्या में शामिल हैं. मैगी पर बैन लगा क्योंकि उसमें लेड की मात्रा ज्यादा पाई गई थी, जो सेहत के लिए बिलकुल ठीक नहीं होता.
मैगी पर आफत आई, वो बाजार से गायब हो गई. लोगों का विश्वास अब भी जीत नहीं पाई है मैगी. इस मामले में मैगी की किस्मत खराब है, क्योंकि केवल मैगी ही नहीं है जो सेहत के लिए हानिकारक है, बल्कि बहुत से ऐसे उत्पाद हैं जो किसी न किसी तरह मानकों के आधार पर खरे नहीं उतरते, फिर भी बाजार में धड़ल्ले से बिक रहे हैं. जानकर हैरानी होगी कि उन उत्पादों को विदेशों तक में बैन किया जा चुका है, लेकिन भारत में नहीं. नजर डालिए इन उत्पादों पर जिनमें कुछ न कुछ ऐसा पाया गया जो सेहत के साथ खिलवाड़ करता है. पर तब भी भारत में बैन नहीं किया गया. ये सौतेलापन सिर्फ मैगी के साथ ही क्यों हुआ..इनके साथ क्यों नहीं?
1. शहद- 2010 में ये अखबार आई कि देश में बिकने वाले ब्रैंडेड शहद दूषित हैं. सेंटर फॉर साइंस ऐंड इन्वाइरनमेंट ने भारत में बिकने वाले 12 ब्रैंड्स के शहद के नमूनों की जांच की. इनमें से 11 में 6 हानिकारक एंटीबायॉटिक्स पाए गए. इन ब्रैंड्स में डाबर, हिमालया, पतंजलि, बैद्यनाथ, खादी जैसे ब्रांड शामिल थे. विदेशों में निर्यात करने के लिए ये कंपनियां ख्याल रखती हैं शहद में एंटीबायॉटिक्स न मिले हों क्योंकि बाहरी देशों में शहद में एंटीबायॉटिक्स का प्रयोग या तो बैन है, या फिर सीमित मात्रा में है. पर अपने देश में एंटीबायोटिक्स के प्रयोग पर कोई रोक नहीं.
2. दवाएं- तबियत ठीक करने वाली दवाएं तबियत खराब भी कर सकती हैं. इसीलिए विदेशों में disprin, D-Cold, Vicks Action 500, Enteroquinol, Analgin, Syspride जैसी दवाओं पर बैन है, लेकिन भारत में कोई बैन नहीं.
3. कीटनाशक- भारत में इस्तेमाल किए जाने वाले कीटनाशकों में से करीब 70 विदेशों में बैन किए जा चुके हैं. क्योंकि ये हानिकारक कैमिकल खाने के साथ हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं और अनेकों स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देते हैं. भारत में इसपर बैन नहीं है. स्वास्थ्य को लेकर सजग लोग दुगने-चौगुने दाम देकर ऑर्गेनिक चीजें खरीदने को मजबूर हैं.
4. किंडर जॉय- एक खिलौने के साथ मिलने वाली ये चॉकलेट भारत में खूब बिकती है. लेकिन अमेरिका में इसपर रोक लगी हुई है. क्योंकि इससे गला चोक हो सकता है.
5. च्यवनप्राश- हर रोज बच्चों को दिये जाने वाले च्यवनप्राश में भी भारी मात्रा में लेड और मरकरी पाया जाता है. इसीलिए 2005 में कनेडा में इसे बैन कर दिया गया. लेकिन भारत के बच्चों को इससे शक्ति मिलती है.
6. हल्दीराम के स्नैक्स- अमेरिका के FDA डेटा के अनुसार भारत के नामी ब्रांड हल्दीराम के आधे से ज्यादा स्नैक्स पर रोक लगा दी गई. इस ब्रांड के वेफर्स, कुकी और बिस्किट में मिलावट पाई गई. उन्होंने इसे गंदा, सड़ा हुआ और बेकार बताकर बैन कर दिया. पर यहां तो हल्दीराम की नमकीन का बोलबाला है.
खबर आ रही है कि अमेरिका अब साबुन, टूथपेस्ट और बॉडी वॉश पर बैन लगाने की तैयारी कर रहा है जिनमें छोटे-छोट प्लास्टिक के पार्टिकल्स यानी माइक्रोबीड्स पाए जाते हैं. कारण सीधा सा है कि ये माइक्रोबीड्स पानी में नहीं घुलते और पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं. जॉनसन एंड जॉनसन, प्रौक्टर एण्ड गैम्बल जैसी कंपनियों के कई प्रोडक्ट इस दिशा में बैन करने की तैयारी की जा रही है.
ये बड़ी कंपनियां इस बात की भी दलील देती हैं कि भारत के मानक और विदेशी मानक अलग अलग होते हैं. लेकिन इंसान के स्वास्थ को ध्यान में रखकर जो मानक निर्धारित किए जाते हैं वो भला कैसे अलग हो सकते हैं.
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