लाइसेंस रद्द होने के बाद मैक्स अस्पताल में भर्ती हो गए हैं कई सवाल !
उन मरीजों का क्या, जो पिछले कई सालों से यहां इलाज करवा रहे हैं. कई मरीजों को अस्पताल ने शनिवार को चेकअप कराने के लिए बुलाया था, मगर लाइसेंस रद्द होने के कारण अस्पताल ने इलाज करने से मना कर दिया.
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मैक्स अस्पताल की गलती की वजह से एक एक नवजात शिशु की मौत हो गयी. इसे लेकर दिल्ली सरकार ने एक जांच कमिटी बनायी और उसके बाद इस अस्पताल का लाइसेंस रद्द कर दिया गया. अब अस्पताल में नए मरीजों का इलाज नहीं हो रहा है और न ही उन मरीजों का इलाज हो रहा है जो कई सालों से यहां इलाज करा रहे हैं. वहीं DMA यानी दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने भी सरकार को धमकी दी है कि अगर ये फैसला वापस नहीं लिया तो दिल्ली में स्वस्थ्य सेवा ठप कर देंगे.
पहले आपको इस मामले के बारे में बताते हैं. 30 नवंबर को दिल्ली के शालीमार बाग स्थित मैक्स हॉस्पिटल में ऑपरेशन के जरिए वर्षा नाम की एक महिला की प्रीमच्योर डिलिवरी हुई थी. महिला ने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया था. बाद में डॉक्टरों ने दोनों नवजातों को मृत घोषित कर उनके शरीर को प्लास्टिक में लपेटकर परिजनों को सौंप दिया था. अस्पताल की घोर लापरवाही का उस वक्त खुलासा हुआ जब नवजात बच्चों को दफनाने जा रहे परिजनों को एक बच्चे की हरकत महसूस हुई. परिजनों ने देखा कि लड़का जिंदा था. इसके बाद उसे एक दूसरे अस्पताल में भर्ती कराया गया. हालांकि 3-4 दिन बाद उस बच्चे की भी इलाज के दौरान मौत हो गई.
इस सनसनीखेज मामले के सामने आने के बाद दिल्ली सरकार ने घटना की जांच के आदेश दिए थे. 3 सदस्यीय जांच पैनल ने अस्पताल को दोषी पाया. इसके बाद दिल्ली सरकार ने अस्पताल के लाइसेंस को रद्द कर दिया. दिल्ली सरकार के जांच पैनल ने यह भी पाया था कि अस्पताल आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का मुफ्त इलाज भी नहीं कर रहा.
मगर जब ये मामला सामने आया तब हर किसी ने दिल्ली सरकार पर दबाव बनाया. फिर चाहे हो मीडिया ही क्यों न हो. सोशल मीडिया से लेकर टीवी तक हर किसी ने मांग की, कि इस अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई होनी ही चाहिए. नतीजतन सरकार कार्रवाई करती है. लाइसेंस रद्द करने के बाद अब इस अस्पताल में कोई भी नया मरीज भर्ती नहीं किया जायेगा.
अगर हमारा मरीज मर गया तो ?
उनका क्या जो सालों से इस अस्पताल में इलाज करा रहे हैं?
मगर उन मरीजों का क्या, जो पिछले कई सालों से यहां इलाज करवा रहे हैं. मैंने रिपोर्टिंग करते वक़्त पाया की कई ऐसे मरीज थे, जिनका यहां पर 5-6 सालों से इलाज चल रहा था. उन मरीजों को अस्पताल ने डायलिसिस कराने से मना कर दिया. वहीं कई मरीजों को अस्पताल ने शनिवार को चेकअप कराने के लिए बुलाया था, मगर लाइसेंस रद्द होने के कारण अस्पताल ने इलाज करने से मना कर दिया. ऐसे में अस्पताल के बाहर मरीजों ने खूब हंगामा मचाया. दिल्ली सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गयी. मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का पुतला फूंका गया. मरीजों का कहना था कि एक आदमी की सजा इतने सारे मरीजों को क्यों? हमारा क्या दोष? हमने क्या किया? अगर इलाज नहीं हुआ और हमारा कोई मर गया तो इसकी ज़िम्मेदारी कौन लेगा? वाकई में इस सवाल का जवाब तो किसी के पास नहीं था.
डीएमए ने दी स्वस्थ्य सेवा ठप करने की धमकी-
इस मसले पर आज दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने सरकार को धमकी दी है की सरकार अपना फैसला वापस ले. वरना सोमवार को दिल्ली में स्वास्थ्य सेवायें ठप कर दी जाएगी. जब भी किसी मरीज की मौत होती है तो लोग डॉक्टर को हत्यारा घोषित करने में लग जाते हैं. ये वाकई दुखद है. हालांकि DMA की इस धमकी का साथ खुद उनकी ही ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन ने नहीं दिया और प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि अब अस्पताल नए नियम बनाएगी. इसमें मरीज के परिजनों को सारे नियम कायदे पहले से समझा दिए जाएंगे और उनसे बॉन्ड साइन कराया जाएगा.
कुल मिलाकर सरकार कार्रवाई ना करे तो दिक्कत और कार्रवाई कर दे तो दिक्कत.
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